कोरोनावायरस : उत्तराखंड में कर्मचारियों पर देश में महामारी एक्ट के तहत पहला केस

Coronavirus: First Case Under Employees Epidemic Act in Uttarakhand
कोरोनावायरस : उत्तराखंड में कर्मचारियों पर देश में महामारी एक्ट के तहत पहला केस
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हाईलाइट
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देहरादून, 18 मार्च (आईएएनएस)। कोरोना के कोहराम से भले ही दुनिया हिली पड़ी हो, मगर उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में प्रमोशन को लेकर हड़ताल पर बैठे कर्मचारी बाज नहीं आ रहे हैं। ये हड़ताली कर्मचारी कोरोना जैसी विपदा से जूझ रही राज्य सरकार को दबाव में लेकर अपना उल्लू साधने की जुगत में हैं।

सरकार ने भी ऐसे अड़ियल हड़ताली कर्मचारियों से सीधे-सीधे निपटने की योजना बनाई है। इसी के चलते मंगलवार को जबरन स्टेडियम में घुसे सैकड़ों कर्मचारियों के खिलाफ पुलिस ने महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है।

अब पुलिस से बचने के लिए ये हड़ताली कर्मचारी भागे-भागे फिर रहे हैं। मंगलवार को देहरादून स्टेडियम में दीवार-दरवाजों से कूदकर घुसने वाले सैकड़ों कर्मचारियों के खिलाफ स्थानीय डालनवाला थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। एफआईआर देहरादून के जिला क्रीड़ा अधिकारी राजेश ममगई की शिकायत पर दर्ज किया गया है। चूंकि अचानक स्टेडियम में घुसने वाली भीड़ में सैकड़ों हड़ताली शामिल थे, इसलिए सबकी अलग-अलग पहचान तुरंत कर पाना मुनासिब नहीं था। लिहाज एफआईआर में किसी को नामजद नहीं कराया गया है।

देहरादून की पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे ने बुधवार को आईएएनएस को फोन पर बताया, थाना डालनवाला में एक एफआईआर अज्ञात भीड़ के खिलाफ दर्ज की गई है। यह एफआईआर देहरादून जिले के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ है, जिसमें महामारी अधिनियम और जबरन सरकारी स्थल में घुसने की धाराएं लगाई गई हैं।

एसपी सिटी श्वेता चौबे ने आईएएनएस से आगे कहा, हम लोग आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रहे हैं, जो भीड़ स्टेडियम/परेड ग्राउंड (स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स) में घुसी थी, उसमें दो से ढाई सौ की भीड़ थी। हम लोग सीसीटीवी और मुखबिर तंत्र से भी इस भीड़ में शामिल वांछित लोगों की तलाश में जुटे हैं। जल्दी ही कई गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है।

उल्लेखनीय है कि जबसे कोरोना जैसी महामारी ने कोहराम मचाया है तब से अब तक हिंदुस्तान में उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया है। जिन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ महामारी अधिनियम और जबरन सरकारी जगह में घुसने का केस दर्ज किया गया है, उनमें से अधिकांश कई दिन से हड़ताल पर हैं।

महामारी अधिनियम के तहत दर्ज एफआईआर में फंसे इन हड़ताली कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें प्रमोशन में रिजर्वेशन के आधार पर वरीयता दी जाए।

उल्लेखनीय है कि सोमवार से मंगलवार रात तक बिना अनुमति धरना देने के बाबत इन कर्मचारियों के खिलाफ 24 घंटे में तीन से ज्यादा मामले दर्ज किये जा चुके हैं। सभी मामले देहरादून जिले के डालनवाला थाने में दर्ज बताए जाते हैं।

हड़ताल न तोड़ने पर अमादा अड़ियल कर्मचारियों के खिलाफ डालनवाला थाने में ही एक और मामला भी मंगलवार को डालनवाला थाने में दर्ज कराया गया था। यह मामला देहरादून के उप कोषाधिकारी अरविंद सैनी की शिकायत पर दर्ज किया गया था।

देहरादून की पुलिस अधीक्षक (नगर) श्वेता चौबे ने आईएएनएस से कहा, पीड़ित सहायक उप कोषाधिकारी सैनी ने जो शिकायत डालनवाला थाने को दी, उसमें उन्होंने कहा था कि सोमवार को वे दफ्तर में सरकारी काम निपटा रहे थे, उसी वक्त हड़ताली कर्मचारियों की भीड़ ने दफ्तर में जबरन घुसकर उन पर हमला बोल दिया, हड़ताली कर्मचारियों की भीड़ ने पीड़ित को बंधक बना लिया, भीड़ चाहती थी कि पीड़ित सरकारी काम बंद करके उसके साथ हड़ताल में शामिल हो।

यहां उल्लेखनीय है कि महामारी अधिनियम (एपीडमिक डिसीज एक्ट) के तहत देश में हड़ताल पर बैठे सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भले ही उत्तराखंड पुलिस ने पहला मामला दर्ज किया है, मगर देश में कोरोना महामारी के बाद यह दूसरा मामला बताया जा रहा है। इससे पहले आगरा पुलिस ने एक पिता के खिलाफ भी इसी महामारी एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया था। आरोपी की बेटी कोरोना संक्रमित थी, इस बात को आरोपी पिता आगरा प्रशासन से छिपा रहा था।

क्या है महामारी एक्ट-

दरअसल यह कानून करीब सवा सौ साल पुराना है। इसे सन् 1897 में लागू किया गया था। उस वक्त हिंदुस्तान पर ब्रिटिश हुकूमत का कब्जा था। इस कानून को बनाने के पीछे भी उन दिनों मुंबई में प्लेग (महामारी) फैलना ही प्रमुख वजह थी। उस महामारी का नाम ब्यूबॉनिक था। उस दौरान महामारी एक्ट के तहत सरकारी अफसरों-कर्मचारियों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए थे। हालांकि तब से अब तक चले आ रहे इस एक्ट (कानून या अधिनियम को) हिंदुस्तान के कानूनों में सबसे छोटे कानूनों की श्रेणी में गिना जाता है। इसमें कुल चार सेक्शन हैं।

इस कानून के पहले हिस्से में कानून के बारे में विस्तृत ब्योरा है। दूसरे हिस्से में विशेषाधिकारों को उल्लिखित किया गया है। इस कानून के तहत राज्य और केंद्रीय सरकार को विशेषाधिकार (महामारी के दौरान) खुद-ब-खुद ही मिल जाते हैं। तीसरे भाग में इस कानून की धारा 3 और 188 आईपीसी का व जुमार्ने और अर्थदंड का उल्लेख है। महामारी कानून की धारा-3 के अंतर्गत 6 महीने की कैद या एक हजार का अर्थदंड अथवा दोनों सजायें सुनाई जा सकती हैं।

Created On :   18 March 2020 11:00 AM GMT

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