दिल्ली सरकार कोरोना पर सही आंकड़े प्रदान कर रही है : सिसोदिया
नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रविवार को कहा कि सरकार लोगों को प्रतिदिन कोरोनावायरस से संबंधित सही आंकड़े मुहैया करा रही है।
सिसोदिया ने यह दावा इसलिए किया, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार से कोविड-19 से संबंधिक मामलों एवं इससे हुई मौत के वास्तविक आंकड़ों को पेश करने संबंधी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
सिसोदिया ने रविवार को ट्वीट किया, मुझे खुशी है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर की जा रही घटिया राजनीति को खत्म कर दिया है। दिल्ली सरकार हर रोज कोरोना (वायरस) से संबंधित सही आंकड़े लोगों को उपलब्ध करा रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त आंकड़ों को उचित विश्लेषण के बाद ही प्रकाशित किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, हम डेथ ऑडिट कमेटी और उत्तरदाताओं से उम्मीद करते हैं कि वे केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों, राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों और दिल्ली में निजी अस्पतालों द्वारा दिए गए डेटा के उचित विश्लेषण के बाद ही डेटा प्रकाशित करेंगे। डेटा को विशेषज्ञों की उपरोक्त समिति और प्रतिवादी/सरकार द्वारा ठीक से बनाए रखा जाए।
अदालत अखिल भारतीय वकील संघ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली सरकार को दैनिक बुलेटिन के माध्यम से कोविड-19 के पुष्टि किए गए मामलों और मौत से संबंधित डेटा प्रकाशित करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।
उक्त याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा कि आरोपों का कोई आधार नहीं है कि समिति ठीक से काम नहीं कर रही है।
इस बीच आम आदमी पार्टी ने कहा कि दिल्ली सरकार के कोरोना से संबंधित मौत के आंकड़ों को सही घोषित करने के हाई कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मृतकों पर राजनीति करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और विधायक राघव चड्ढा ने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी कोविड-19 के कारण दिल्ली में हुई मौतों की संख्या के साथ गंदी राजनीति खेल रही है।
राष्ट्रीय राजधानी में रविवार तक कोरोनावायरस के कारण 261 मौतें हो चुकी हैं और प्रदेश में अभी तक कोरोना के कुल 13,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।
Created On :   24 May 2020 11:00 PM IST