दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को भारत में काम करने की होगी अनुमति

Top 100 universities of the world will be allowed to work in India
दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को भारत में काम करने की होगी अनुमति
दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों को भारत में काम करने की होगी अनुमति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शामिल संस्थानों को भारत में काम करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस तरह से शिक्षा को एक आधारभूत ढांचे के तहत लाया जाएगा। भारतीय और वैश्विक संस्थानों के बीच अनुसंधान सहयोग और छात्रों के आदान-प्रदान के विशेष प्रयासों को बढ़ावा दिया जाएगा। सोमवार को दिल्ली में माइंडमाइन इंस्टिट्यूट ने माइंडमाइन मंडे कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, नई शिक्षा नीति भारत को सस्ती और बेहतर शिक्षा प्रदान करने वाले वैश्विक अध्ययन केंद्र के रुप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण साबित होगी और इससे भारत विश्वगुरु के रूप में स्वयं को स्थापित करने में सफल होगा।

निशंक ने कहा, विदेशी छात्रों की मेजबानी करने वाले प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थानों में विदेशों से आने वाले छात्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय स्थापित किये जाएंगे। इन कार्यालयों में उच्च गुणवत्ता वाले विदेशी संस्थानों के साथ अनुसंधान और शिक्षण सहयोग की सुविधा होगी। शिक्षा के लिए विदेशों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। बेहतर प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को विदेशों में कैम्पस स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत तीन-भाषा फॉमूर्ला में अधिक लचीलापन होगा, और किसी भी राज्य में कोई अन्य भाषा नहीं लादी जाएगी। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक तीन भाषाएं अलग-अलग राज्यों में निश्चित रूप से छात्रों की पसंद होंगी, इसलिए तीन भाषाओं में से कम से कम दो भारतीय मूल की होगीं। नई शिक्षा नीति कही भी अंग्रेजी भाषा को हटाने की बात नहीं करती है, बल्कि बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है।

Created On :   10 Aug 2020 5:01 PM GMT

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