Dalai Lama And China Conflict: चीन और दलाई लामा के बीच उत्तराधिकारी को लेकर टकराव, ड्रैगन ने कहा- 'बिना हमारी मंजूरी के..'

चीन और दलाई लामा के बीच उत्तराधिकारी को लेकर टकराव, ड्रैगन ने कहा- बिना हमारी मंजूरी के..
  • दलाई लामा और चीन के बीच टकराव
  • उत्तराधिकारी को लेकर दोनों के बीच हो रहा है टकराव
  • चीन की सरकार ने कहा कि बिना मंजूरी से नहीं चुना जा सकता उत्तराधिकारी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तिब्बत के धर्मगुरू दलाई लामा और चीन के बीच उत्तराधिकारी चुनने को लेकर भारी बहस छिड़ी हुई है। बुधवार को चीन की तरफ से फिर से कहा गया है कि 15वें दलाई लामा का चुनाव सिर्फ और सिर्फ चीन सरकार की मंजूरी से ही होगा। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा है कि, दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य महान बौद्ध नेताओं के पुनर्जन्म की प्रक्रिया 'गोल्डन अर्न' से लॉटरी की मदद और केंद्रीय सरकार की स्वीकृति से ही चुनी जाएगी। कुछ समय पहले ही दलाई लामा ने चीन के किसी भी तरह के दखल को खारिज करते हुए कहा था कि उनके उत्तराधिकारी का चुनाव पारंपरिक तिब्बती बौद्ध पद्धति से ही किया जाएगा।

दलाई लामा ने रिकॉर्ड मैसेज में क्या कहा?

दलाई लामा ने प्रार्थना समारोह के समय रिकॉर्ड किए गए संदेश में दलाई लामा ने कहा है कि, उत्तराधिकारी की खोज में तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख और धर्म रक्षक देवताओं से सलाह लेनी जरूरी है। हमेशा की तरह ही परंपरा के अनुसार ही प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। उन्होंने अपने उत्तराधिकारी को ढूंढने की जिम्मेदारी गदेन फोडरंग ट्रस्ट को दी है। ये संस्था पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेगी।

बौद्ध धार्मिक सम्मेलन के उद्घाटन के समय लामा ने क्या कहा?

धर्मशाला के पास मैकलियोडगंज में तीन दिवसीय बौद्ध धार्मिक सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान दलाई लामा ने यह महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, "24 सितंबर 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की बैठक में मैंने तिब्बत के अंदर और बाहर रहने वाले तिब्बतियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और तिब्बत से जुड़े लोगों के सामने यह स्पष्ट किया था कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखने का फैसला लिया गया है।" दलाई लामा ने आगे कहा कि, 'पुनर्जन्म की प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं और शपथबद्ध धर्म रक्षकों के परामर्श से होगी। यह प्रक्रिया दर्शन, संकेत और आध्यात्मिक अनुष्ठानों पर आधारित होगी, जैसा कि तिब्बती परंपरा में होता है।'

Created On :   2 July 2025 6:09 PM IST

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