बीजिंग ओपेरा के जनक बने चीन-भारत संबंध के दूत

Became the father of Beijing Opera
बीजिंग ओपेरा के जनक बने चीन-भारत संबंध के दूत
बीजिंग ओपेरा के जनक बने चीन-भारत संबंध के दूत

बीजिंग, 9 मई (आईएएनएस)। वैसे तो चीन में बहुत सारे ओपेरा हैं, लेकिन बीजिंग ओपेरा उन सबमें सबसे बड़ा और ज्यादा प्रसिद्ध है। बीजिंग ओपेरा का जन्म छिंग राजवंश में हुआ था, जिसका लगभग 200 वर्ष का सुनहरा इतिहास है। अपने विकास का इतिहास लम्बा नहीं होने के बावजूद बीजिंग ओपेरा चीन के 5 हजार वर्ष की सभ्यता के आधार पर कायम हुआ है। साल 2010 में इसे संयुक्त राष्ट्र के मानव जाति के गैर-भौतिक सांस्कृतिक अवशेष की सूची में शामिल किया गया।

बीजिंग ओपेरा को पूर्व का ओपेरा के नाम से भी जाना जाता है। इसका जन्म कुछ प्राचीन स्थानीय ओपेरा से माना जाता है। साल 1790 में सबसे पहले पान नाम का एक स्थानीय ओपेरा बीजिंग में प्रचलित होने लगा क्योंकि बीजिंग में अलग-अलग तरह के स्थानीय ओपेरा काफी लोकप्रिय थे, जिससे इसे कला में तीव्र प्रगति हासिल करने का सुनहरा मौका मिला। 19वीं शताब्दी के अन्त में और 20वीं शताब्दी की शुरूआत में बीजिंग ओपेरा चीन के सबसे बड़े ओपेरा के रूप में जाना जाने लगा।

दरअसल, 18वीं शताब्दी बीजिंग ओपेरा के विकास का सुनहरा काल रहा है। पिछली शताब्दी के 20 और 40 के दशक में बीजिंग ओपेरा का दूसरा शानदार विकास काल रहा। बीजिंग ओपेरा के इतिहास में कई सुप्रसिद्ध कलाकार हुए हैं, जैसे मेइ लान फांग, सान श्याओ युन, छन सुओ छिओ आदि, जिन्होंने न केवल पूरे चीन में, बल्कि विदेश में भी बीजिंग ओपेरा का नाम रोशन किया। पर बीजिंग ओपेरा को सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाने के श्रेय जाता है कि बीजिंग ओपेरा के मास्टर मेइ लान फांग को। वो पहले कलाकार थे जिसने जापान, अमेरिका आदि देशों में बीजिंग ओपेरा का परचम लहराया।

बीजिंग ओपेरा के जनक माने जाने वाले मेइ लान फांग का जन्म साल 1894 को बीजिंग में हुआ, और बहुत ही कम उम्र में उन्होंने बीजिंग ओपेरा में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। वे अधिकतर युवा महिला का ही किरदार निभाते थे, और अपने बेहतरीन अभिनय, नृत्य, गायन, और संवाद से सब पर गहरी छाप छोड़ देते थे। उन्होंने अपने अभिनय से बीजिंग ओपेरा को बहुत ऊंचे स्तर पर ले गये। आगे चलकर, वे चाइना बीजिंग ओपेरा थियेटर के अध्यक्ष, चीनी ओपेरा अनुसंधान संस्थान के निदेशक और चाइना फेडरेशन ऑफ लिटरेरी एंड आर्ट सर्कल्स के उपाध्यक्ष बने।

मेइ लान फांग चीन और भारत के बीच संबंध में एक दूत की भी भूमिका निभाई। जब साल 1954 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहार लाल नेहरू चीन दौरे पर आए थे, तब चीनी कलाकर मेइ लान फांग ने उनसे मुलाकात की, और दोनों देशों के बीच कला के क्षेत्र में आदान-प्रदान बढ़ाने की बात कही।

इसके अलावा, साल 1953 में भारत के जाने-माने नृत्य कलाकार उदय शंकर जब चीन में प्रदर्शन करने के लिए चीन आए, तो मेइ लांग फांग ने उनका प्रदर्शन देखा, और उनके प्रदर्शन से बेहद प्रभावित हुए, और उनके नाम एक पत्र भी लिखा। उस पत्र में लिखा, मैं आपका प्रदर्शन से बहुत अभिभूत हुआ, उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय दोनों देशों के बीच कला का आदान-प्रदान और सहयोग बहुत गहरा होगा।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ मेइ लान फांग ही भारतीय कलाकारों के प्रशंसक थे, बल्कि भारतीय कलाकार भी मेइ लान फांग के प्रशंसक थे। साल 1924 में जब भारत के महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर चीन आए थे, तो उनके साथ एक भारतीय चित्रकार भी आया था। जब भारतीय चित्रकार ने मेइ लान फांग का प्रदर्शन देखा, तो वह बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ, और उनके सम्मान में उनकी 10 फीट ऊंची पेंटिंग बनाकर भेंट कर दी। उस भारतीय चित्रकार ने उनसे कहा, आप जैसा शानदार कलाकर कभी नहीं देखा।

बीजिंग ओपेरा अभिनय, नृत्य, गायन, बोल से सुसज्जित एक समग्र कला है जिसमें कलाकार विभिन्न रंगों के मुखड़े लगा कर ओपेरा मंचन करते हैं। चीन में आर्थिक सुधार और खुलेपन की नीति अपनाने के बाद से बीजिंग ओपेरा का नया विकास हुआ है। विशेषकर चीन सरकार के भारी समर्थन से बीजिंग ओपेरा के लिए एक विशेष थियेटर का निर्माण किया गया। हर साल आयोजित बीजिंग ओपेरा स्पर्धा ने दुनिया की विभिन्न जगहों से बीजिंग ओपेरा प्रेमियों को आकर्षित किया है। बीजिंग ओपेरा चीन के विदेशों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्राथमिक कार्यक्रम भी माना जाता है।

(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

Created On :   9 May 2020 1:30 AM IST

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