ईरान के साथ परमाणु समझौते से अलग हुआ अमेरिका, डोनाल्ड ट्रंप ने की घोषणा
- अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु डील को खत्म कर दिया है।
- इस समझौते के अनुसार
- ईरान को अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना था और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलना था।
- ईरान की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए परमाणु समझौते को खत्म करने का फैसला लिया।
- जुलाई 2015 में ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका
- ब्रिटेन
- रूस
- चीन
- फ्रांस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान
डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु डील को खत्म कर दिया है। ईरान की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए परमाणु समझौते को खत्म करने का फैसला लिया। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि "ईरान समझौता मूल रूप से दोषपूर्ण है, इसलिए मैं ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने की घोषणा कर रहा हूं।"
The Iran Deal is defective at its core. If we do nothing, we know what will happen. In just a short time, the world’s leading state sponsor of terror will be on the cusp of acquiring the world’s most dangerous weapons.... pic.twitter.com/58qwBLzxIH
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 8, 2018
व्हाइट हाउस से हुई घोषणा
मंगलवार को व्हाइट हाउस से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु डील से अमेरिका को अलग होने की घोषणा की गई। इस ऐलान के बाद तुरंत बाद ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि उनका देश अमेरिका के बिना भी इस परमाणु समझौते का हिस्सा बना रहेगा।
"Finally, I want to deliver a message to the long-suffering people of Iran. The people of America stand with you." pic.twitter.com/TsrheA7rUz
— The White House (@WhiteHouse) May 8, 2018
करके दिखाता है अमेरिका
प्रेसीडेंट ट्रंप ने ऐलान के बाद ईरान के खिलाफ ताजा प्रतिबंधों वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही ट्रंप ने आगाह किया कि जो भी ईरान की मदद करेगा उन्हें भी प्रतिबंध झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से दुनिया में यह संदेश जाएगा कि अमेरिका सिर्फ धमकी ही नहीं देता है, बल्कि करके भी दिखाता है।
Statement on the Iran Nuclear Deal: https://t.co/O3SpryCKkc
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 8, 2018
परमाणु डील से अलग होना अमेरिका के लिए हितकारी
ट्रंप ने दावा किया कि इस परमाणु समझौते से अलग होना अमेरिका के हित में है। इससे अमेरिका को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वो इस परमाणु समझौते को 12 मई से आगे नहीं बढ़ाएंगे।
ईरान ने की निंदा
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप के इस फैसले की निंदा की है। उन्होंने कहा कि उनका देश अगले सप्ताह से पहले से कहीं अधिक मात्रा में यूरेनियम का संवर्धन करेगा। रूहानी ने कहा, "यूरोप, रूस, चीन से इस संबंध में बात करूंगा।" उन्होंने कहा कि वे अपने सहयोगियों और परमाणु समझौते में शामिल अन्य देशों के साथ बातचीत के लिए कुछ हफ्ते ही इंतजार करेंगे।
ट्रंप के फैसले पर ऐसी मिली प्रतिक्रिया
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस फैसले को बड़ी गलती बताया है। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका की वैश्विक विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी। ओबामा ट्रंप के कई फैसलों की पहले भी आलोचना कर चुके हैं। ट्रंप ने कहा कि इस समझौते ने ईरान को बड़ी मात्रा में धन दिया और इसे परमाणु हथियार हासिल करने से नहीं रोका।
There are few issues more important to the security of the US than the potential spread of nuclear weapons or the potential for even more destructive war in the Middle East. Today’s decision to put the JCPOA at risk is a serious mistake. My full statement: https://t.co/4oTdXESbxe
— Barack Obama (@BarackObama) May 8, 2018
वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से अमेरिका को अलग करने का ट्रंप का फैसला बिल्कुल सही और साहसिक है। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने इस फैसले पर दुख जताते हुए कहा है कि अमेरिका के इस फैसले से रूस, जर्मनी और ब्रिटेन निराश हैं। रूस भी ट्रंप के इस फैसले से बेहद निराश है।
Israel fully supports @realDonaldTrump’s bold decision today to reject the disastrous nuclear deal with the terrorist regime in Tehran. The deal didn’t push war further away; it actually brought it closer. The deal didn’t reduce Iran’s aggression; it dramatically increased it. pic.twitter.com/sxJHocLqu7
— Benjamin Netanyahu (@netanyahu) May 8, 2018
क्या थी 2015 न्यूक्लियर डील
जुलाई 2015 में ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था। इस समझौते के अनुसार, ईरान को अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना था और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलना था। इसके बदले में उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में आंशिक रियायत दी गई थी। वहीं ट्रंप का आरोप है कि ईरान ने दुनिया से छिपकर अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखा। वह किसी बड़ी साजिश को अंजाम दे रहा था।
Created On :   9 May 2018 8:36 AM IST