ईरान के साथ परमाणु समझौते से अलग हुआ अमेरिका, डोनाल्ड ट्रंप ने की घोषणा

ईरान के साथ परमाणु समझौते से अलग हुआ अमेरिका, डोनाल्ड ट्रंप ने की घोषणा
हाईलाइट
  • अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु डील को खत्म कर दिया है।
  • इस समझौते के अनुसार
  • ईरान को अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना था और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलना था।
  • ईरान की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए परमाणु समझौते को खत्म करने का फैसला लिया।
  • जुलाई 2015 में ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका
  • ब्रिटेन
  • रूस
  • चीन
  • फ्रांस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु डील को खत्म कर दिया है। ईरान की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए परमाणु समझौते को खत्म करने का फैसला लिया। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि "ईरान समझौता मूल रूप से दोषपूर्ण है, इसलिए मैं ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने की घोषणा कर रहा हूं।"

 

 

व्हाइट हाउस से हुई घोषणा

 

मंगलवार को व्हाइट हाउस से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु डील से अमेरिका को अलग होने की घोषणा की गई। इस ऐलान के बाद तुरंत बाद ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि उनका देश अमेरिका के बिना भी इस परमाणु समझौते का हिस्सा बना रहेगा।

 

 

 

 

करके दिखाता है अमेरिका

प्रेसीडेंट ट्रंप ने ऐलान के बाद ईरान के खिलाफ ताजा प्रतिबंधों वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही ट्रंप ने आगाह किया कि जो भी ईरान की मदद करेगा उन्हें भी प्रतिबंध झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से दुनिया में यह संदेश जाएगा कि अमेरिका सिर्फ धमकी ही नहीं देता है, बल्कि करके भी दिखाता है।

 

 

परमाणु डील से अलग होना अमेरिका के लिए हितकारी  

 

ट्रंप ने दावा किया कि इस परमाणु समझौते से अलग होना अमेरिका के हित में है। इससे अमेरिका को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वो इस परमाणु समझौते को 12 मई से आगे नहीं बढ़ाएंगे। 

 


 

ईरान ने की निंदा

 
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप के इस फैसले की निंदा की है। उन्होंने कहा कि उनका देश अगले सप्ताह से पहले से कहीं अधिक मात्रा में यूरेनियम का संवर्धन करेगा। रूहानी ने कहा, "यूरोप, रूस, चीन से इस संबंध में बात करूंगा।" उन्होंने कहा कि वे अपने सहयोगियों और परमाणु समझौते में शामिल अन्य देशों के साथ बातचीत के लिए कुछ हफ्ते ही इंतजार करेंगे।


ट्रंप के फैसले पर ऐसी मिली प्रतिक्रिया

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस फैसले को बड़ी गलती बताया है। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका की वैश्विक विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी। ओबामा ट्रंप के कई फैसलों की पहले भी आलोचना कर चुके हैं। ट्रंप ने कहा कि इस समझौते ने ईरान को बड़ी मात्रा में धन दिया और इसे परमाणु हथियार हासिल करने से नहीं रोका।

 

 

वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से अमेरिका को अलग करने का ट्रंप का फैसला बिल्कुल सही और साहसिक है। वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने इस फैसले पर दुख जताते हुए कहा है कि अमेरिका के इस फैसले से रूस, जर्मनी और ब्रिटेन निराश हैं। रूस भी ट्रंप के इस फैसले से बेहद निराश है।

 

 

क्या थी 2015 न्यूक्लियर डील

जुलाई 2015 में ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था। इस समझौते के अनुसार, ईरान को अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना था और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलना था। इसके बदले में उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में आंशिक रियायत दी गई थी। वहीं ट्रंप का आरोप है कि ईरान ने दुनिया से छिपकर अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखा। वह किसी बड़ी साजिश को अंजाम दे रहा था। 

Created On :   9 May 2018 3:06 AM GMT

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