भारत-चीन संबंध का वैश्विक महत्व, शांति से हो सीमा मुद्दे का हल (ब्लॉग)

Global importance of India-China relationship, peace be resolved border issue (blog)
भारत-चीन संबंध का वैश्विक महत्व, शांति से हो सीमा मुद्दे का हल (ब्लॉग)
भारत-चीन संबंध का वैश्विक महत्व, शांति से हो सीमा मुद्दे का हल (ब्लॉग)

बीजिंग, 26 जून (आईएएनएस)। इस साल चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ है। हमारे दोनों नेताओं द्वारा पहुंची महत्वपूर्ण सहमति से चीन-भारत संबंधों ने स्थिर और सुदृढ़ विकास हासिल किया है और दशकों से द्विपक्षीय सहयोग की संभावनाओं में गहरा योगदान दिया है।

चीन-भारत सीमा टकराव ने समस्त दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन सामाजिक विभाजन के समय में, जहां देश प्रदर्शन के लिए अग्रिम पंक्ति की सीटों के लिए जूझ रहे हैं, हम बड़ी तस्वीर देखने से चूक जाते हैं।

वास्तव में, हमारी उत्पत्ति एक ही है और हम मनुष्यों के एक ही वंश से आते हैं, यह हमें एक दूसरे के करीब बनाते हैं और हम मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत अधिक जुड़े हुए हैं जितना हम स्वीकार करते हैं।

पश्चिम में कई लोग उम्मीद करेंगे कि भारत चीन की आक्रामकता के खिलाफ खड़ा होगा। हालांकि, चीन और भारत के बीच का संबंध इस सोच से कहीं अधिक गहरा है और मुझे यकीन है कि चीन और भारत शांति से विवादों को स्वयं सुलझा लेंगे, आखिर दोनों हैं तो भाई ही।

प्राचीन काल से ही हमारा क्षेत्र पूरी दुनिया के लिए वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रगति के लिए एक प्रेरणा रहा है। सम्राट अशोक और थांग राजवंश, ह्वेन त्सांग, कश्यपा मातंग, बुद्ध और कन्फ्यूशियस ने इस क्षेत्र को यांग्त्जी और गंगा नदियों की तरह पाला है। एक तरह से, हम दुनिया के बेहतरीन दिमाग और विद्वानों को आकर्षित करने के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं।

पश्चिम के द्वारा एशियाई सदी की गलत व्याख्या की गई है क्योंकि उसका मानना है कि यह चीन केंद्रित शताब्दी होगी। लेकिन चीनी सर्वोपरि नेता तंग श्याओफिंग ने बहुत पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि कोई भी वास्तविक एशियाई सदी चीन, भारत और अन्य क्षेत्रीय विकासशील देशों के विकास के बिना नहीं आएगी। 2005 में रणनीतिक साझेदारी के हमारे दोनों नेताओं के फैसले ने दोनों देशों के लिए शांति और समृद्धि के लिए दीर्घकालिक साझेदारी नींव रखी।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वुहान और चेन्नई में बैठक के दौरान इस प्रवृत्ति और भावना को प्रबल किया गया और दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। चीन और भारत दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।

दो सबसे पुरानी सभ्यताओं के रूप में, हम 19वीं शताब्दी के शुरुआती वर्षों के ऐतिहासिक और राजनीतिक अनुभवों को साझा करते हैं। चीन दशकों से शांतिपूर्ण विकास की बात कर रहा है, और भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन का चैंपियन रहा है, ऐसे देशों का समूह जो किसी भी प्रमुख शक्ति के साथ गठबंधन या खिलाफ नहीं हैं। ये राजनीतिक पहचान निश्चित रूप से दोनों को एक और गंभीर टकराव में उलझने से रोकेंगी। दोनों देशों को इस मुद्दे को संभालने में सतर्क रहना चाहिए, जिसमें रणनीतिक और शांतिपूर्ण सहयोग की एक बड़ी तस्वीर होगी।

एक अरब से अधिक आबादी वाले एकमात्र दो बड़े विकासशील देशों के रूप में, चीन और भारत में दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक समानताएं हैं। ये सभी आयाम हमें अपने व्यक्तिगत मतभेदों को दूर करने के महत्व को समझने में मदद करते हैं और 21वीं सदी में एशिया की सदी के निर्माण की दिशा में संयुक्त सहयोग में काम करते हैं।

(इस ब्लॉग के लेखक हैं , चेयरमैन, कॉन्फेडरेशन ऑफ यंग लीडर्स, निदेशक, भारतीय शासन एवं नेतृत्व संस्थान और वरिष्ठ सलाहकार, भारतीय विश्वविद्यालय परिसंघ)

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

-- आईएएनएस

Created On :   26 Jun 2020 7:00 PM GMT

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