AI का नया कारनामा: अब मरे हुए परिजनों से बात करवा रहा AI, चीन में मृतकों की आवाज सुनवाने का कारोबार, बुजुर्ग पेरेंट्स ले रहे मदद

अब मरे हुए परिजनों से बात करवा रहा AI, चीन में मृतकों की आवाज सुनवाने का कारोबार, बुजुर्ग पेरेंट्स ले रहे मदद
  • AI का नया कारनामा
  • मृत परिजनों से मिलवा रहा है AI
  • चीन में मृतकों से बात करवाने का कारोबार बढ़ा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। किसी की मृत्यु के बाद परिवार में मातम छा जाता है। अपने अजीज को खोने वालों की ख्वाहिश होती है कि वो किसी तरह उससे बात कर सकें और उसकी आवाज सुन सकें। ये नामुमकिन बात अब मुमकिन हो सकती है। आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की तकनीक से चीन की एक कंपनी मरे हुए लोगों को जिंदा कर रही है। चीन में लोग इन दिनों पैसे देकर अपने मृत परिजनों से बात कर रहे हैं। इसके लिए वह मृतकों का अवतार बनवाते हैं। जिसके लिए उन्हें सुपर ब्रेन कंपनी को 5,000 (यूएस $ 700) और 10,000 युआन देने होते हैं। इस कंपनी की स्थापना मई 2023 में पूर्वी चीन के जियांग्यू प्रांत में हुई थी। इस कंपनी के संस्थापक झांग ज़ेवेई है। कंपनी ने अब तक 30 सेकंड की ऑडियो विजुअल कंटेंट से हजारों परिवारों के मृतकों को जीवित किया है।

सोच और बोलने की नकल

मृतकों के इन अवतारों को ‘घोस्ट बॉट’ कहा जाता है। यह तकनीक मृतकों की सोच और बोलने के पैर्टन की नकल करता है। इस नकल के आधार पर मृतकों का अवतार तैयार किया जाता है। इस तकनीक से अपने बच्चों की आवाज सुनने और डिजिटल रुप से उन्हें जीवित कराने वालों में सबसे ज्यादा संख्या बुजुर्ग माता पिता की है, जो अपने बच्चों को खो चुके हैं।

मृत लोगों को ऐसे किया जाता है जीवित

कंपनी क्लाइंट्स को कस्टमाइज काउंसिलिंग सर्विस देती है। जिसमें एआई हींलिंग चैटबॉक्स बनाने के लिए आवाजों को क्लोन करता है। जिससे एक 3डी डिजिटल मानव मॉडल की प्रोफाइल इमेज तैयार होती है। एआई हींलिंग की मदद से कंपनी ने अब तक 600 से अधिक परिवारों को सेवा दी है। इसके लिए क्लाइंट्स को मृतकों की तस्वीरें, वीडियो और ऑडियो साझा करना होता है। एआई हींलिंग की फीस कंपनी ने 10,000 युआन (60 हजार रुपये से 1.16 लाख रुपये) तक रखी है।

क्या है एआई ?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का अर्थ है बनावटी (कृत्रिम) तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। एआई वर्तमान समय में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली तकनीक है। इस तकनीक से विज्ञान के क्षेत्र में बहुत तेजी से प्रगति हो रही है। इस तकनीक से हम घंटो का काम कुछ पल में कर सकते हैं।

Created On :   10 Feb 2024 2:28 PM GMT

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