Axiom Mission-4: कुछ ही घंटों में शुभांशु शुक्ला का यान पहुंचेगा स्पेस स्टेशन, इससे पहले होती है डॉकिंग, जानें क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया?

कुछ ही घंटों में शुभांशु शुक्ला का यान पहुंचेगा स्पेस स्टेशन, इससे पहले होती है डॉकिंग, जानें क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया?
  • कैप्टन शुभांशु शुक्ला जल्द ही पहुंचने वाले हैं स्पेस स्टेशन
  • एक्सिओम-4 मिशन के तहत स्पेसएक्स ड्रैगन यान से हुए थे रवाना
  • भारतीय समानुसार शाम 4:30 बजे पहुंचेंगे स्पेस स्टेशन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को 25 जून को एक्सिओम-4 मिशन के जरिए अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर भेजा गया है। ये मिशन भारत के लिए बहुत ही गर्व का अवसर है। करीब 41 साल बाद कोई भारतीय स्पेस में गया है। शुभांशु ऐसे पहले भारतीय एस्ट्रोनॉट होंगे, जो अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुंचेंगे। स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान 25 जून की दोपहर 12:01 बजे नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ है। ये स्पेस सेंटर फ्लोरिडा में स्थित है। ये यान आज (26 जून) की शाम 4:30 बजे आईएसएस के साथ डॉक करेगा।

अंतरिक्ष यात्रा की क्या है स्थिति?

अंतरिक्ष यात्रा की स्थिति के बारे में जानें तो, 26 जून 2025 की सुबह 10:40 बजे तक स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान 28 घंटे की यात्रा के बीच में ही है। ये यान 7.8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। ड्रैगन यान करीब 418 किमी ऊंचाई पर लो अर्थ ऑर्बिट में है। कुछ घंटों बाद ये आईएसएस के साथ डॉकिंग के लिए तैयार हो जाएगा।

क्या है डॉकिंग का समय?

यान का आईएसएस के हार्मनी मॉड्यूल से 26 जून को शाम 4:30 बजे आईएसटी डॉक करने का लक्ष्य है। ये प्रक्रिया स्वचालित होगी, लेकिन शुभांशु मिशन पायलट के तौर पर यान की स्पीड, स्टडी और सिस्टम की निगरानी करेंगे। ड्रैगन यान का आईएसएस के साथ डॉकिंग बहुत ही कॉम्प्लेक्स और सटीक प्रक्रिया होती है। जो कि 12 से 24 घंटे बाद होती है। ये पूरी तरह से स्वचालित है, लेकिन फिर भी इस दौरान शुभांशु शुक्ला को निगरानी करनी होगी। जरूरत आने पर मैनुअल कंट्रोल भी करेंगे।

कैसे होती है डॉकिंग की प्रक्रिया?

क्या होता है रेंडेजवू?

ड्रैगन यान आईएसएस की कक्षा के साथ अलाइंड होने के लिए सिर्फ 90 सेकंड के इंजन फायरिंग के साथ अपनी स्पीड और दिशा को रखना होता है। यान आईएसएस से 400 मीटर नीचे और 7 किमी पीछे से ही शुरू हो जाता है। यान कई वेटपॉइंट्स से होकर गुजरता है, जहां पर स्पेसएक्स और नासा के ग्राउंड कंट्रोलर सिस्टम की जांच की जाती है।

पास पहुंचना

400 मीटर की दूरी पर ही ड्रैगन आईएसएस के साथ सीधा कम्यूनिकेट शुरू करता है। 200 मीटर की दूरी पर ये सुरक्षित पथ पर कम से कम 6 घंटे तक रह सकता है। जिससे किसी भी तरह का जोखिम ना हो।

क्या है फाइनल अप्रोच?

20 मीटर की दूरी बचने पर ड्रैगन लेजर सेंस और कैमरों का उपयोग करना शुरू करता है। जिससे हार्मोनी मॉड्यूल के डॉकिंग पोर्ट से सीधा अलाइन करता है। यान कुछ सेंटीमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से आगे बढ़ता है। शुभांशु अपने यान की स्पीड, कक्षा और सिस्टम की अच्छे से निगरानी करेंगे और इमरजेंसी में मैनुअल कंट्रोल भी संभालेंगे।

क्या होता है सॉफ्ट और हार्ड कैप्चर?

सॉफ्ट कैप्चर में मैग्नेट यान को डॉकिंग पोर्ट की तरफ खींचते हैं। वहीं, हार्ड कैप्चर मैकेनिकल लैच और हुक यान को सुरक्षित कर देते हैं। इससे एक सील बन जाती है, जिससे यान पर दबाव कम पड़ता है।

स्पेस स्टेशन में एंट्री से पहले क्या करना होता है?

डॉकिंग करने के बाद और स्पेस स्टेशन में एंट्री लेने से पहले 1 से 2 घंटे की पूरी जांच होती है। उस जांच में हवा के रिसाव से लेकर दबाव की स्थिरता की जांच होती है। इसके बाद आईएसएस और ड्रैगन के हैच खोले जाते हैं, फिर पूरा क्रू आईएसएस में कदम रखता है।

Created On :   26 Jun 2025 1:25 PM IST

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