14वें दलाई लामा का बड़ा ऐलान: 15वें दलाई लामा को लेकर घोषणा होने पर चीन झटपटाया, उत्तराधिकारी चुनने की जिम्मेदारी इस ट्रस्ट को दी

- 15वें दलाई लामा नेता चुनने वाले बयान पर बौखलाया चीन
- कौन 14वें दलाई लामा के नेता
- कितने वर्षों से चल रही दलाई लामा नेता चुनने की प्रक्रिया
डिजिटल, नई दिल्ली। तिब्बती आध्यात्मिक के 14वें नेता दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो ने नए उत्तराधिकारी को लेकर घोषणा कर दी है। इसकी वजह से चीन से बौखलाहट की खबर सामने आई हैं। उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता चीन का नहीं बल्कि तिब्बती बौद्ध धर्म का ही बनाया जाएगा। इसके साथ ही जानकारी मिली है कि यह समूह आगे भी जारी रहेगा। पहले इसकी खबर मिली थी कि यह 14वें दलाई लामा के बाद बंद हो जाएगा।
600 सालों से चल रही परंपरा
वर्तमान के लामा जल्द ही 90 साल के होने वाले है। इसके बाद नए लामा को चुनने की प्रक्रिया होगी। जिसके लिए 14वें लामा ने अपने एक बयान में कहा कि उत्तराधिकारी को चुनने की यह प्रक्रिया 600 सालों से चलती आ रही हैं और इस बार चीन का नहीं, जबकि तिब्बत बौद्ध धर्म का ही चुना जाएगा। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि नए दलाई लामा की चुनने की जिम्मेदारी "गादेन फोडरंग ट्रस्ट'' को दी है।
14वें दलाई लामा मे वादा किया पूरा
14वें दलाई लामा ने 24 सितंबर 2011 में एक बैठक के दौरान मुद्दा उठाया था कि इस संस्थान को आगे जारी रखना चाहिए की नहीं, इस बात को याद दिलाते हुए कहा कि "जब मैं लगभग 90 वर्ष का हो जाऊंगा तो मैं तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले अन्य चिंतित लोगों से परामर्श लूंगा, ताकि इस बात पर विचार किया जा सके कि दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए या नहीं."
चीन की क्यों बढ़ी परेशानी
दलाई लामा के 15वें उत्तराधिकारी के चुनाने की जानकारी मिलने के बाद से चीन की टेंशन बढ़ गई है। 14वें लामा ने अपने बयान में कहा है कि 15वें लामा चुनने में किसी भी तरह की भूमिका चीन की नहीं होगी। चीन की परेशानी इसलिए बढ़ी है कि तिब्बत ऐतिहासिक रूप से एक स्वतंत्र क्षेत्र है। लेकिन 13वीं से 20वीं सदी तक यह कभी कभार चीन के प्रभाव में रहा था। साल 1950 में चीन के क्रान्तिकारी और राजनैतिक विचारक माओ ज़ेडॉन्ग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट ने तिब्बत पर सैन्य कब्जा कर लिया था। जिसके एक साल बाद यानी 1951 में इसे औपचारिक रूप से चीन का हिस्सा घोषित कर दिया। जिसके बाद से चीन खुद तिब्बत को अपना हिस्सा मानता है।
Created On :   2 July 2025 2:17 PM IST