व्यायाम करने वाली महिलाओं में पार्किंसंस रोग का खतरा 25 फीसदी कम
अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन हालांकि यह साबित नहीं करता है कि व्यायाम करने से पार्किं संस रोग का खतरा काफी कम हो जाता है, लेकिन इसका संबंध जरूर दिखाता है।
अध्ययन के लेखक एलेक्सिस एल्बाज ने कहा, व्यायाम स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कम लागत वाला तरीका है, इसलिए हमारे अध्ययन ने यह निर्धारित करने की कोशिश की कि क्या यह पार्किं संस रोग के विकास के कम जोखिम से जुड़ा हो सकता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है।
एल्बाज ने कहा, हमारे परिणाम पार्किं संस रोग को रोकने के लिए हस्तक्षेप की योजना बनाने के सबूत प्रदान करते हैं।
अध्ययन में 95,354 महिला प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनकी औसत आयु 49 वर्ष थी, जिन्हें अध्ययन की शुरूआत में पार्किंसंस नहीं था। शोधकर्ताओं ने तीन दशकों तक महिलाओं को फॉलो किया, जिसके दौरान 1,074 प्रतिभागियों ने पार्किं संस विकसित किया।
अध्ययन के दौरान, प्रतिभागियों ने शारीरिक गतिविधि के प्रकार और मात्रा के बारे में छह प्रश्नावली पूरी कीं।
उनसे पूछा गया कि वे कितनी दूर चली और प्रतिदिन कितनी सीढ़ियां चढ़ती हैं, कितने घंटे वे घरेलू गतिविधियों में लगाती हैं और साथ ही उन्होंने बागवानी जैसी गतिविधियां और खेल जैसी अधिक जोरदार गतिविधियां करने में कितना समय लगाया।
अधिक व्यायाम करने वालों में पार्किं संस रोग के 246 मामले या प्रति 1,000 व्यक्ति-वर्ष में 0.55 मामले थे, जबकि सबसे कम व्यायाम करने वालों के बीच 286 मामले या 0.73 प्रति 1,000 व्यक्ति-वर्ष थे। व्यक्ति-वर्ष अध्ययन में लोगों की संख्या और प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अध्ययन में खर्च किए जाने वाले समय दोनों का प्रतिनिधित्व करता है।
निवास स्थान, पहली बार पीरियड और मेंस्ट्रूएशन और धूम्रपान जैसे कारकों को देखने के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादा व्यायाम करने वाले समूह में पार्किं संस रोग के विकास की दर 25 प्रतिशत कम थी।
आहार या चिकित्सा स्थितियों जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग के समायोजन के बाद परिणाम समान थे।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि डायगोनेसिस से 10 साल पहले, पार्किं संस रोग के शुरूआती लक्षणों के कारण इस रोग वाले लोगों की तुलना में शारीरिक गतिविधि में तेजी से गिरावट आई।
अध्ययन की एक सीमा यह थी कि प्रतिभागी ज्यादातर स्वास्थ्य-जागरूक शिक्षक थी जिन्होंने लंबी अवधि के अध्ययन में भाग लेने की इच्छा जताई थी, इसलिए सामान्य जनसंख्या के लिए परिणाम भिन्न हो सकते हैं।
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Created On :   31 May 2023 3:09 PM IST