भारतीय अध्ययन में पाया गया : लंबे समय तक जीवित रहने को पोषक तत्वों की जरूरत

भारतीय अध्ययन में पाया गया : लंबे समय तक जीवित रहने को पोषक तत्वों की जरूरत
Indian study finds nutrient key to delay ageing, boost long & healthy life
लगभग सात या आठ मानव वर्ष के बराबर है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक शोध के अनुसार, शरीर में उत्पन्न होने वाला पोषक तत्व टॉरिन कई खाद्य पदार्थो में पाया जाता है। स्तनधारियों की लंबी उम्र के लिए इसे अमृत माना गया है। साइंस जर्नल में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि टॉरिन की खुराक कीड़े, चूहों और बंदरों में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। चूहों के साथ बड़े प्रयोग से पता चला है कि टॉरिन ने मादा चूहों में औसत जीवनकाल में 12 प्रतिशत और नर चूहों में 10 प्रतिशत की वृद्धि की है। इसका मतलब चूहों का जीवनकाल तीन से चार महीने बढ़ा, जो लगभग सात या आठ मानव वर्ष के बराबर है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी, नई दिल्ली में मेटाबोलिक रिसर्च लेबोरेटरीज के प्रमुख शोधकर्ता विजय यादव ने कहा, पिछले 25 वर्षो से वैज्ञानिक ऐसे कारकों को खोजने की कोशिश कर रहे हैं, जो न केवल हमें लंबे समय तक जीवित रहने दें, बल्कि स्वास्थ्य अवधि भी बढ़ाएं। यादव ने कहा, इस अध्ययन से पता चलता है कि टॉरिन हमारे भीतर जीवन का अमृत हो सकता है, जो हमें लंबे और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करता है। शोधकर्ताओं ने कहा, मनुष्यों में टॉरिन के लाभों की पुष्टि करने के लिए नैदानिक परीक्षणों की जरूरत होती है। दो प्रयोगों से पता चलता है कि टॉरिन में जीवनकाल बढ़ाने की क्षमता है।

यादव और उनकी टीम ने पहले अध्ययन में 60 और उससे अधिक आयु के 12,000 यूरोपीय वयस्कों में टॉरिन के स्तर और लगभग 50 स्वास्थ्य मापदंडों के बीच संबंधों को परखा। कुल मिलाकर, उच्च टॉरिन स्तर वाले लोग स्वस्थ थे, उनमें टाइप-2 मधुमेह के कम मामले, कम मोटापे के स्तर, कम उच्च रक्तचाप और सूजन के स्तर में कमी पाई गई। उन्होंने दूसरे अध्ययन में पाया कि एथलीटों (स्प्रिंटर्स, धीरज धावकों और प्राकृतिक बॉडीबिल्डर्स) में व्यायाम के साथ टॉरिन का स्तर बढ़ता है।

यादव ने कहा, व्यायाम का कुछ स्वास्थ्य लाभ टॉरिन में वृद्धि के रूप में मिल सकता है। उन्होंने कहा, टॉरिन स्वाभाविक रूप से हमारे शरीर में उत्पन्न होता है, इसे स्वाभाविक रूप से आहार में प्राप्त किया जा सकता है, इसका कोई विषाक्त प्रभाव नहीं है (हालांकि यह शायद ही कभी सांद्रता में उपयोग किया जाता है), और इसे व्यायाम द्वारा बढ़ाया जा सकता है। यादव ने कहा, शरीर में टॉरिन का स्तर उम्र बढ़ने के साथ घट जाता है, इसलिए वृद्धावस्था में टॉरिन को युवा स्तर पर बहाल करना एक आशाजनक एंटी-एजिंग रणनीति हो सकती है।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   12 Jun 2023 4:31 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story