सहारनपुर में शिवालिक के जंगल से मिला 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म (आईएएनएस स्पेशल)

50 million year old elephant fossil found from Shivalik forest in Saharanpur (IANS Special)
सहारनपुर में शिवालिक के जंगल से मिला 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म (आईएएनएस स्पेशल)
सहारनपुर में शिवालिक के जंगल से मिला 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म (आईएएनएस स्पेशल)

सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), 19 जून (आईएएनएस)। अच्छे इरादों के कारण कई बार बेहतर परिणाम सामने आते हैं। देहरादून के पास के आरक्षित वनों में एक नया बाघ अभ्यारण्य विकसित करने के लिए कैमरा-ट्रैप अध्ययन के दौरान हाथी का जीवाश्म मिला है। बताया जा रहा है कि यह करीब 50 लाख साल पुराना है, जो कि दुनिया के सबसे पुराने जीवाश्मों में से एक है।

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की सीमा से लगते उत्तर प्रदेश के सहारनपुर डिवीजन के कमिश्नर संजय कुमार ने कहा, लॉकडाउन के दौरान इस तरह की दुर्लभ खोज एक सुखद आश्चर्य है। हम और अधिक खोज के लिए वन गुर्जरों की मदद भी ले रहे हैं।

हाथियों के दुर्लभ जीवाश्म से पता चलता है कि हिमालय की तलहटी और उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के सुंदर हरे-भरे तराई क्षेत्रों में कभी विशालकाय हाथियों, जिराफों, घोड़ों और दरियाई घोड़ों का बसेरा होता था।

2002 बैच के आईएएस अधिकारी संजय कुमार ने कहा, हो सकता है कि अध्ययन के अगले चरण में हम कुछ और दुर्लभ जानवरों (बड़े हाथियों के विलुप्त परिवार से संबंध रखने वाले स्टेगोडॉन) के जीवाश्मों की खोज में भाग्यशाली हो सकते हैं। हिमालयी भूविज्ञान के प्रतिष्ठित वाडिया इंस्टीट्यूट के शीर्ष वैज्ञानिक इस प्रयास में तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान कर रहे हैं।

हाथियों के सबसे पुराने निवास स्थान का पता तब चला, जब सरकार ने तराई क्षेत्र में बाघों के लिए एक नया रिजर्व बनाने की सोची। राजाजी नेशनल पार्क की सीमा वाले सहारनपुर डिवीजन में शिवालिक रेंज के 33,000 हेक्टेयर के वनों में एक समय बाघों का बसेरा होता था। मगर अवैध शिकार और मानव हस्तक्षेप के कारण क्षेत्र से बाघ गायब हो गए।

नए कमिश्नर संजय कुमार ने इस वन परिक्षेत्र में एक नया बाघ अभ्यारण्य विकसित करने के लिए एक कैमरा ट्रैप अध्ययन की शुरुआत की।

वन्यजीवों में रुचि रखने वाले संजय कुमार ने आईएएनएस से कहा, जिम कॉर्बेट और पूर्वी राजाजी पार्क में बाघों की बढ़ती आबादी धीरे-धीरे पश्चिम की ओर पलायन कर रही है, जिसमें शिवालिक के जंगल भी शामिल हैं। इसलिए हमने यहां वन्यजीवों का अध्ययन करने के बारे में सोचा।

शिवालिक रेंज में कैमरा ट्रैप अध्ययन विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के विशेषज्ञों और वन अधिकारियों की मदद से किया गया, जिसके अंर्तगत विभिन्न स्थानों पर कैमरा ट्रैप लगाकर वन्य जीवों को कैमरे में कैद किया जाता है। साथ ही इस क्षेत्र में विशेष सर्वेक्षण भी किया गया। सर्वेक्षण के दौरान हाथी का जीवाश्म भी मिला।

जानवरों की उपस्थिति की जांच करने के लिए इस शक्तिशाली उपकरण की मदद से पिछले महीने मई में वन अधिकारियों को नदी के पास एक हाथी का दुर्लभ जीवाश्म मिला। मुख्य वन संरक्षक वीके जैन और उनकी टीम ने बाद में इस जीवाश्म का नमूना देहरादून स्थित वाडिया संस्थान में परीक्षण के लिए भेजा।

संजय कुमार ने कहा, वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों ने अब इस हाथी के जीवाश्म की उम्र 50 लाख से 80 लाख वर्ष तक पुरानी होने की बात कही है।

जैन की अगुवाई में वन अधिकारियों और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की एक टीम ने दावा किया कि उनके द्वारा खोजे गए जीवाश्म क्षेत्र में हाथी का पहला नमूना है।

इस परीक्षण में डॉ. आर. के. सहगल और डॉ. ए. सी. नंदा भी शामिल हैं, जिन्होंने हाथी के जीवाश्मों से संबंधित अध्ययनों पर बड़े पैमाने पर काम किया है। उन्होंने कहा कि यह नमूने 50 से 80 लाख वर्ष पुराने हैं, जो कि क्षेत्र में स्टेगोडॉन की उपस्थिति का संकेत देते हैं। इससे संकेत मिलता है कि कभी इस क्षेत्र में विशालकाय जानवरों का बसेरा होता था और हिमालय की तलहटी का यह क्षेत्र घने जंगलों से ढका हुआ था, जहां कई सारी नदियां भी बहती होंगी।

Created On :   19 Jun 2020 5:00 PM GMT

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