क्या आप हैंड सैनिटाइजर का करते हैं इस्तेमाल, तो हो जाइए सावधान
डिजिटल डेस्क । एक वक्त था जब साबुन से लोग हाथ धोया करते थे, लेकिन अब जमाना हैंड सैनिटाइजर का है। आप कुछ भी करें चाहे जमीन पर पड़ा कचरा उठाकर डस्टबीन में फेंके या साफ चीज को ही हाथ क्यों ना लगाएं आदत कुछ ऐसी हो गई है की तुरंत जेब में रखा हैंड सैनिटाइजर निकालते है और हाथ साफ करने लगते है। वहीं पब्लिक टॉइलट या किसी परीचित के घर जाके उनका टॉइलट इस्तेमाल करें, लेकिन वॉश बेसिन पर रखे साबुन को हाथ नहीं लगाते, उल्टा खुद के पास रखा सैनिटाइजर निकालते है और हाथ साफ करने लगते हैं। सैनिटाइजर का इस्तमाल इस कदर बढ़ गया है कि खाना खाने से पहले और बाद में हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल जरूरी तौर पर करते हैं? लेकिन कभी सोचा है कि ऐसा करना सही है भी या नहीं? दरसअल एक रिसर्च में सामने आया है कि सैनिटाइजर्स जितना हमें फायदा नहीं पहुंचाते हैं, उससे कहीं ज्यादा नुकसानदायक साबित होते हैं।
ऐसा देखने में आया है कि सैनिटाइजर्स बैड बैक्टीरिया के साथ-साथ गुड बैक्टीरिया को भी मार देता है, और ये आपकी इम्यूनिटी के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है।
BPA यानी बिसफेनॉल A एक प्रकार का रसायन है, जिससे हमें दूर ही रहना चाहिए। ये आपके एंडोक्राइन सिस्टम को अफेक्ट कर कैंसर जैसी भयंकर बीमारी तक दे सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक हैंड सैनिटाइजर इस्तेमाल के तुरंत बाद बिसफेनॉल युक्त किसी चीज को छूने से इस रसायन के शरीर में दाखिल होने की संभावना सौ गुना तक बढ़ जाती है।
ज्यादातर सैनिटाइजर्स में फालेट्स की मात्रा पाई जाती है, जो कि खतरनाक रूप से जहरीला होता है। सूंघने से या किसी भी दूसरे तरीके आपके शरीर में पहुंचकर ये काफी नुकसान पहुंचा सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर फर्टिलिटी पर पड़ता है।
हैंड सैनिटाइजर्स का लगातार इस्तेमाल आपकी त्वचा को खुरदुरा बना सकता है। इतना ही नहीं इसके चलते त्वचा संबन्धी कई बीमारियां भी हो सकती हैं। इसीलिए सैनिटाइजर के इस्तेमाल के तुरंत बाद हैंड लोशन लगाने की सलाह दी जाती है।
अगर आपके सैनिटाइजर में ऐल्कॉहल की कम मात्रा है, तो इसमें ट्राइक्लोसैन की मात्रा निश्चित रूप से ज्यादा होगी। ट्राइक्लोसैन एक पावरफुल ऐंटीबैक्टीरियल एजेंट है। इसका लगातार इस्तेमाल पारंपरिक ऐंटीबायॉटिक्स को आपके प्रति निष्प्रभावी बना देगा। इसका साफ मतलब है कि ट्राइक्लोसैन आपको खांसी या जुकाम जैसी सामान्य बीमारियों के प्रति ज्यादा असुरक्षित बना देता है। ऐल्कॉहॉल बेस्ड सैनिटाइजर्स सिंपल बैक्टीरिया को सुपरबग में तब्दील कर रहे हैं।
अगर आप ऐसा सोचते हैं कि सैनिटाइजर की एक बूंद आपकी हथेली के सभी किटाणुओं को मार देगी, तो आप गलत हैं। ज्यादातर सैनिटाइजर्स में 60% ऐल्कॉहल मिलाया जाता है, जो कि कीटाणुओं को पूरी तरह से मारने के लिए पर्याप्त नहीं होता है। इसका मतलब ये है कि साबुन से हाथ धोना कहीं ज्यादा कारगर उपाय है।
Created On :   12 Aug 2018 8:55 AM IST