100 ग्राम सौंफ को तवे पर भूनकर पीस लें। इसमें इतनी ही मात्रा में पिसी हुई मिश्री मिला लें। भोजन के बाद इसका 2 चम्मच सुबह शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से पाचन शक्ति ठीक रहती है। आप चाहें तो एक कप पानी में आधा चम्मच सौंफ के चूर्ण और 5 बड़ी इलाइची डालकर उबालें, आधा रहने पर छान लें और इसमें दूध मिलाकर उबालें। इस दूध का सेवन बच्चे/बड़े सभी कर सकते हैं। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और पेट को लाभ होता है।
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सौंफ में छुपा है सेहत का खजाना
डिजिटल डेस्क। शायद ही कोई व्यक्ति हो जो 'सौंफ' से परिचित न हो। सौंफ को मसालों की रानी भी कहा जाता है। आमतौर पर सौंफ छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती है और दोनों ही खूशबूदार होती है। सौंफ का उपयोग अचार और सब्जियों को टेस्टी और खूशबूदार बनाने के अलावा औषधि के रूप में भी बहुत अधिक होता है। आयुर्वेद के अनुसार सौंफ त्रिदोष नाशक होने के साथ ही बुद्धिवर्धक और रुचिवर्धक भी है। इस नन्ही सी सौंफ में ऐसे कई गुण हैं जो अनेक बीमारियों का नाश कर सकते हैं।


पेट में भारीपन महसूस हो रहा हो तो नींबू के रस में मिलाकर भींगी हुई सौंफ को भोजन के बाद खाने से तकलीफ दूर हो जाती है। इसके अलावा सौंफ को घी में भूनकर पीस लें, उसमें थोड़ी चीनी मिला दें। इस चूर्ण को सुबह शाम खाने से लूज मोशन ठीक हो जाते हैं। तवे पर भूनी सौंफ 2-2 चम्मच दिन में 1 से 4 बार लें। इससे भी पेट से जुड़ी तकलीफ दूर हो जाती है।

बच्चों को पानी में सौंफ उबालकर पिलाने से पतले दस्त आना बंद हो जाता है। छोटे बच्चों को किसी भी रूप में सौंफ, सौंफ का अर्क, सौंफ को उबालकर पानी देने से कोई हानि नहीं होती अपितु बच्चा स्वस्थ रहता है और उसकी कमजोरी दूर होती है।

जिन महिलाओं को कंसीव करने में समस्या हो रही हो तो उन्हें 5 से 6 ग्राम सौंफ के चूर्ण का हींग के साथ सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से 3 से 4 महीने में गर्भधारण करने योग्य हो जाएंगी। ऐसे ही सौंफ के चूर्ण को घी के साथ भी लिया जा सकता है। इसके अलावा सौंफ के चूर्ण को गुलकन्द के साथ लेने से गर्भपात की शिकायत दूर हो जाती है। जिन स्त्रियों में स्तनपान के दौरान कम दूध बनने की शिकायत हो उन्हें सौंफ, सफेद जीरा, मिश्री समभाग चूर्ण बना कर एक-एक चम्मच पानी के साथ या दूध के साथ लेने से लाभ होता है।

कुछ लोगों को कई कारणों से नींद नहीं आती। ऐसी स्थिति में सौंफ का काढ़ा बनाकर दूध या शहद मिलाकर पीने से नींद आने लगती है। रात्रि को खाने के बाद और सोने से पहले सौंफ की चाय पीने से खाना भी हजम होता है और नींद अच्छी आती है।

मुंह के छालों से परेशान हैं तो पानी में सौंफ उबालें, जब पानी आधा रह जाए तब उसमें भूनी हुई फिटकरी की छोटी सी डली डालें। इस पानी से दिन में दो तीन बार गरारे करने से मुख के छाले ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा अगर सांस की बदबू से परेशान हैं तो भोजन करने के बाद थोड़ी सी सौंफ खाएं।

अगर आपको भी आंखों की कमजोर रोशनी की वजह से चश्मा लग गया है तो 20 ग्राम सौंफ को बारीक पीसकर उसके बराबर मिश्री या खांड मिलाकर रात को गाय के दूध के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है। सौंफ को हल्का-हल्का कूटकर ऊपर के छिलके उतारकर छान लें, उसके भीतर की भींगी निकालकर एक चम्मच सुबह सेवन करें और शाम को दो बार ठंडे पानी या गर्म दूध के साथ फांकी लें। इसके सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है और मस्तिष्क के रोग नहीं होते।

खांसी-जुकाम, गले की खराश के लिए एक चम्मच सौंफ को मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसते रहने से गले की खराश में आराम मिलता है। सौंफ के अर्क में गुलबनक्शे का शर्बत मिलाकर पीने से ऐसिडिटी का शमन होता है और समाप्त हुई भूख जागृत होती है।
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।