नूरावाद की महिलाओं को दीदी कैफे से आत्मनिर्भर बनने की आस

Women of Noorism hope to become self-reliant with Didi Cafe
नूरावाद की महिलाओं को दीदी कैफे से आत्मनिर्भर बनने की आस
नूरावाद की महिलाओं को दीदी कैफे से आत्मनिर्भर बनने की आस

मुरैना, 19 जून (आईएएनएस)। कोरोना महामारी ने आम आदमी की जिंदगी पर बड़ा असर डाला है। ऐसे में मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में महिलाओं ने हालात बदलने के मकसद से दीदी कैफे की शुरुआत की और उन्हें आस इस बात की है कि यह पहल आने वाले समय में उनकी जिंदगी में नई रोशनी लाएगी।

कोरोना महामारी के कारण लोगों की रोजी-रोटी पर संकट बना हुआ है। काम-धंधे बंद हैं और लोगों को दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे समय में मुरैना के नूरावाद गांव की महिलाओं ने अपनी आजीविका के लिए मां शीतला जनहितकारी महिला मंडल बनाया। ये महिलाएं रुई की दीपक-बाती बनाने का काम करती थी। अब उन्होंने जिला पंचायत कार्यालय के परिसर में दीदी कैफे शुरू किया है।

समूह की अध्यक्ष द्रोपदी बाधम ने आईएएनएस को बताया कि कोरोना महामारी के दौर में उनके समूह ने ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जिला पंचायत कार्यालय में दीदी कैफे शुरू किया, मगर वर्तमान में उनकी आमदनी उतनी नहीं हो रही है, जितने की वे अपेक्षा कर रही थीं। दीपक-बाती बनाकर उनके समूह की महिलाएं औसत तौर पर 100 रुपये दिन कमा लिया करती थीं, मगर कैफे से उतनी भी आमदनी नहीं हो रही है, क्योंकि जिला पंचायत कार्यालय में अभी कम कर्मचारी आ रहे हैं।

बाथम बताती हैं कि जिस स्थान पर उन्होंने कैफे खोला है, उसका मासिक किराया पांच हजार रुपये माह है, वर्तमान में तो यह स्थिति है कि अभी जो सामान लाती हैं या यूं कहें कि लागत की रकम ही मुश्किल से निकल पाती है। वर्तमान में औसत तौर पर कुल बिक्री पांच से छह सौ रुपये मात्र की है।

रेखा बाथम बताती हैं कि समूह की 12 महिलाएं इस कैफे से जुड़ी हैं, इनमें से दो या तीन सदस्य ही नियमित रूप से यहां आती हैं। कैफे में आने वाले व्यक्ति को ऑर्डर देने पर ही खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। वैसे, यहां कई व्यंजनों के कच्चे माल को तैयार रखा जाता है, कई बार तो स्थिति हो जाती है कि कच्चा सामान, उदाहरण के तौर पर आलू आदि को उबालकर रखा जाता है, मगर किसी भी ग्राहक के न आने पर उसके खराब होने का खतरा रहता है। इस स्थिति में समूह की सदस्य घर ले जाकर उसका उपयोग कर लेती हैं।

आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, इस समूह की महिलाओं ने कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए एक लाख 50 हजार मास्क बनाए, उन्हें बेचकर समूह की महिलाओं को 90 हजार रुपये की आय प्राप्त हुई।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तरुण भटनागर ने मां शीतला स्व-सहायता समूह के कार्यो को देखकर जिला पंचायत कार्यालय परिसर में दीदी कैफे (कैंटीन) चलाने की अनुमति दी। स्व-सहायता समूह द्वारा 15 हजार रुपये का ऋण लेकर कच्ची सामग्री खरीदकर समूह की अध्यक्ष द्रोपदी बाथम ने दीदी कैफे का संचालन शुरू किया।

स्व-सहायता समूह की महिलाओं को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कोरोना का संक्रमण कम होने के बाद आम जिंदगी सामान्य होने पर उनकी आमदनी बढ़ेगी और पारिवारिक स्थिति में भी सुधार आएगा। इन महिलाओं के परिवार को कई बार साहूकारों से भी कर्ज लेना पड़ा है, लेकिर ये कैफे से आमदनी बढ़ने पर इससे भी निजात की आस लगाए हुई हैं।

Created On :   19 Jun 2020 10:30 AM GMT

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