18 बच्चों को वीरता पुरस्कार: हौसले की दास्तां सुनकर आप भी चौंक जाएंगे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हौसला किसी उम्र का मोहताज नहीं होता है। ये बात हमारे इन नन्हे वीरों पर बिल्कुल सटीक बैठती है। इन्होंने ये साबित कर दिया कि अगर आपके दिल में बहादुरी और साहस हो, तो इस दुनिया की कोई भी मुसीबत आपको हरा नहीं सकती। हमारे देश के कुछ ऐसे ही वीर बच्चे हैं जिनकी वीरता को देश 26 जनवरी के दिन पुरस्कृत करेगा। हर साल 26 जनवरी यानी रिपब्लिक डे पर बच्चों को "राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार" से नवाजा जाता है। इस साल ये पुरस्कार देश के अलग-अलग राज्यों से आए 18 बच्चों को दिया जाएगा। खुद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 24 जनवरी को इन बच्चों को इस पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। इसके बाद ये बच्चे 26 जनवरी को होने वाली परेड में भी हिस्सा लेंगे। बता दें कि इस पुरस्कार की शुरुआत 1957 से इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर ने की थी और तब से लेकर अब तक 963 बच्चों को नवाजा जा चुका है।
किन-किन को मिलेगा ये पुरस्कार?
इस साल 26 जनवरी पर 18 बच्चों को "राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार" से सम्मानित किया जाएगा। ये 18 बच्चे देश के अलग-अलग राज्यों से हैं। इनमें सबसे ज्यादा नॉर्थ-ईस्ट से हैं। इस साल 7 लड़कियों और 11 लड़कों को ये पुरस्कार दिया जाएगा। इसमें उत्तरप्रदेश की नाजिया, पंजाब से करनबीर सिंह, कर्नाटक से नेत्रावती चव्हाण, मेघालय से बेट्श्वाजॉन पेनलांग, ओडिशा से ममता देलाई, केरल से सेबेस्टियन विंसेट, छत्तीसगढ़ से लक्ष्मी यादव, नागालैंड से मनशा एन, एन शेंगपॉन केनयक, योकनई, चिंगई वांग्सा, गुजरात से समृद्धि शर्मा, मिजोरम से जोनुनतुआंगा, उत्तराखंड से पंकज सेमवाल, महाराष्ट्र से नदाफ एजाज अब्दुल रऊफ, मणिपुर से लोकराकपाम राजेश्वरी चानू, मिजोरम से एल ललछंदामा और ओडिशा से पंकज कुमार माहंत का नाम शामिल है।
एक नजर डालते हैं इन जाबाजों की कहानी पर..
1. नेत्रवती चव्हाण (मरणोपरांत) :
कर्नाटक की 14 साल की इस बहादुर लड़की ने अपनी जान गंवाकर दो लड़कों को डूबने से बचाया था। पिछले साल मई में नेत्रवती तालाब के पास कपड़े धो रही थी। तभी उसके सामने दो लड़के तालाब में गए और डूबने लगे। ये सब देखकर नेत्रवती ने बिना कुछ सोचे तलाब में छलांग लगा दी। इस दौरान नेत्रवती अपनी जान तो नहीं बचा पाई, लेकिन उस बहादुर बेटी ने 16 साल के मुथू और 10 साल के गणेश को बचा लिया था।
2. लोकराकपाम राजेश्वरी चानू (मरणोपरांत) :
मणिपुर की 14 साल की ये बेटी भी दूसरे को बचाने के चक्कर में अपनी जान गंवा बैठी थी। दरअसल, राजेश्वरी चानू ने मणिपुर के अरुंग पुल से इंफाल नदी में गिर रही एक महिला और उसके बच्चे को बचाया था। उन दोनों को बच्चों को बचाने की कोशिश में राजेश्वरी खुद नदी की तेज धार में बह गई थी।
3. एल ललछंदामा (मरणोपरांत) :
मिजोरम के रहने वाले ललछंदामा 12वीं क्लास में पढ़ते थे। ललछंदामा ने भी नदी में डूब रहे अपने दोस्त को बचाने की खातिर अपनी जान गंवा दी थी। अपने बेटे को खोने पर ललछंदामा के पिता का कहना है कि उनके बेटे ने वही जो उसे सिखाया गया था।
4. नाजिया :
आगरा की इस 16 साल की लड़की ने अकेले दम पर वो कर दिखाया, जो हमारी सरकारें भी शायद न कर पाएं। इस लड़की ने अकेले दम पर जुआ और ड्रग माफिया को उखाड़ फेंका था। नाजिया ने बताया था कि इस दौरान बदमाशों ने उसका पीछा किया, गाली-गलौच की और यहां तक कि उसे किडनैप करन की धमकी भी दी गई। बदमाशों ने कई बार उसके घर में घुसकर नाजिया के परिवार को और उसे धमकी भी दी, लेकिन उसके बावजूद नाजिया ने हार नहीं मानी। बदमाशों की धमकियों को नजरअंदाज कर नाजिया ड्रग माफियाओं के खिलाफ सबूत इकठ्ठे करती रहीं और एक दिन नाजिया ने यूपी के सीएम को ट्वीट कर दिया। इसके बाद सालों से चला रहा जुआ और ड्रग माफिया को खत्म हो गया। नाजिया को इस बहादुरी के लिए भारत अवॉर्ड से नवाजा जाएगा।
5. ममता दलाई :
ओडिशा की रहने वाली ममता दलाई इस बार के बहादुर बच्चों में सबसे छोटी हैं। 6 साल की ममता ने इतनी कम उम्र में जो किया, उसके लिए उनके हौंसले और साहस को पूरा देश सलाम कर रहा है। दरअसल, अपनी बड़ी बहन को बचाने के लिए ये 6 साल की मासूम अकेले मगरमच्छ से भिड़ गई थी। इसके लिए ममता को बापू गयाधनी अवॉर्ड दिया जाएगा।
6. बेट्श्वाजॉन पेनलांग :
ये 14 साल का लड़का मेघालय से आता है और उसने आग में घिरे अपने छोटे भाई की जान बचाई थी।
7. सेबेस्टियन विंसेट :
केरल के रहने वाले सेबेस्टियन विंसेट की उम्र सिर्फ 13 साल है। इस बहादुर बच्चे ने अपने दोस्त को ट्रेन की चपेट में आने से बचाया था।
8. करनबीर सिंह :
अमृतसर के इस 16 साल के लड़के ने एक-दो नहीं बल्कि 15 बच्चों की जान बचाई थी। दरअसल, सितंबर 2016 को करनबीर स्कूल से घर लौट रहा था। अटारी के पास पहुंचते ही स्कूल बस नियंत्रण से बाहर हो गई और नाले में गिर गई। इस दुर्घटना में करनबीर को भी सिर पर चोट लग गई थी। नाले में गिरने की वजह से बस में तेजी से पानी भरता जा रहा था। इसके बाद करनबीर ने बहादुरी दिखाते हुए एक-एक कर 15 बच्चों को बाहर निकाला था। हालांकि इस हादसे में 7 बच्चों की मौत भी हो गई थी। करनबीर को उनकी इस बहादुरी के लिए संजय चोपड़ा अवॉर्ड से नवाजा जाएगा।
9. समृद्धि शर्मा :
गुजरात की रहने वाली 16 साल की समृद्धि के घर कुछ बदमाश घुस आए थे। इस दौरान बदमाशों ने समृद्धि को छुरा भी मारा, लेकिन उसके बावजूद इस लड़की ने इन बदमाशों का बहादुरी से सामना किया और अपने घर से भगा दिया।
10. लक्ष्मी यादव :
छत्तीसगढ़ के रायपुर की रहने वाली 16 साल की लक्ष्मी ने खुद का यौन शोषण होने से बचाया था।
11. पंकज सेमवाल :
उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल इलाके के 16 साल के इस लड़के ने तेंदुए से अपनी मां की जान बचाई थी।
Created On :   19 Jan 2018 11:30 AM IST