भीमा कोरेगांव: अमित शाह ने कहा, भारत के टुकड़े गैंग का समर्थन करती है राहुल की कांग्रेस
- कोर्ट के फैसले के बाद अमित शाह का राहुल गांधी पर निशाना
- कहा
- भ्रष्ट और फर्जी लोगों के लिए सिर्फ कांग्रेस पार्टी में जगह
- राहुल ने कहा था
- देश में सिर्फ एक एनजीओ रहेगा और वह आरएसएस है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कोर्ट के हस्तक्षेप से इनकार करने के बाद अमित शाह ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है। बीजेपी चीफ अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस फर्जी एक्टिविस्ट, भ्रष्ट लोगों और नक्सलियों का समर्थन करती है। शाह ने कहा कि मूर्खता के लिए केवल कांग्रेस पार्टी में ही जगह है।
There is only one place for idiocy and it"s called the Congress. Support ‘Bharat Ke Tukde Tukde Gang’, Maoists, fake activists and corrupt elements. Defame all those who are honest and working.
— Amit Shah (@AmitShah) September 28, 2018
Welcome to Rahul Gandhi’s Congress. #BhimaKoregaon https://t.co/eWoeT0qo1L
राहुल गांधी के ट्विट पर पलटवार करते हुए शाह ने कहा कि भ्रष्ट तत्वों, नकली एक्टिविस्ट और माओवादी, भारत तेरे टुकड़े गैंग का समर्धन कीजिए। ईमानदार लोगों को बदनाम करते रहिए। राहुल गांधी की ऐसी कांग्रेस पार्टी में आपका स्वागत है। बता दें कि पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर राहुल गांधी ने लिखा था कि नए भारत में सिर्फ एक ही एनजीओ के लिए जगह है और उसका नाम आरएसएस है। सभी एनजीओ को बंद कर दिया जाना चाहिए। सभी कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया जाना चाहिए। शिकायत करने वाले को गोली मार दी जाए। नए भारत में आपका स्वागत है।
सर्वोच्च न्यायालय ने भीम कोरेगांव हिंसा के संबंध में वकीलों और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को देखने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने से इंकार कर दिया। ये फैसला मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने दिया। जस्टिस खानविलकर ने स्वयं और सीजेआई मिश्रा की ओर से बहुमत की राय दी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ बहुमत से असंतुष्ट थे। इसके अलावा हाउस अरेस्ट की अवधि 4 हफ्ते और बढ़ा दी गई है।
पिछली सुनवाई में सुरक्षित कर लिया था फैसला
पिछली सुनवाई में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नक्सल कनेक्शन के आरोपों को लेकर पहले गिरफ्तार और अब नजरबंद वामपंथी विचारकों पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस और विचारकों, दोनों पक्षों से सोमवार तक लिखित नोट दाखिल करने को कहा था। विचारकों की तरफ से दाखिल अर्जी में इस मामले को मनगढ़ंत बताते हुए एसआईटी जांच की मांग की गई है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई में विचारकों की तरफ से वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर पेश हुए थे। ग्रोवर ने दलील दी कि पुलिस जिस लेटर का जिक्र कर रही है उसका कंटेंट हिंदी में है। ग्रोवर ने बेंच से कहा कि पुलिस कह रही है कि रोना विल्सन और सुधा भारद्वाज ने चिट्ठी लिखी है। उन्होंने आगे कहा कि कंटेंट से साफ जाहिर होता है कि किसी मराठी जानने वाले ने हिंदी में चिट्ठी लिखी है। यह मामला पूरी तरह फर्जी नजर आ रहा है।
FIR में छह लोगों के नाम
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ मामले में पुख्ता सबूत हैं। FIR में छह लोगों के नाम हैं लेकिन किसी की भी तुरंत गिरफ्तारी नहीं की गई थी, शुरुआती जांच में सबूत सामने आने पर 6 जून को एक गिरफ़्तारी हुई जिसे कोर्ट में पेश करके रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई, कोर्ट से सर्च वांरट मांगा गया था।
देश को हिंसा में झोंकने का आरोप
मामले की जांच कर रही पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं- गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, वरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इन पर देश को हिंसा में झोंकने की साज़िश में शामिल होने का आरोप लगाया। इसके खिलाफ इतिहासकार रोमिला थापर समेत पांच लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में आरोप लगाया गया कि गिरफ्तारी का मकसद राजनीतिक है। पुलिस सत्ताधारी पार्टी विरोधी विचारधारा रखने वाले बुद्धिजीवियों को निशाना बना रही है।
Created On :   28 Sept 2018 3:04 PM IST