पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी ने AMU छात्रों के आंदोलन को दिया समर्थन
डिजिटल डेस्क, अलीगढ़। पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने यूनिवर्सिटी परिसर को बिना वजह विवाद का केंद्र बनाए जाने की आलोचना की है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रसंघ में जिन्ना की तस्वीर लगाए जाने के विवाद पर उन्होंने कहा कि इस विवाद की वजह से यूनिवर्सिटी में पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने एएमयू कैंपस के बाहर प्रदर्शन करने वालों पर लोगों पर कार्रवाई की मांग करने वाले एएमयू छात्रों की मांग का समर्थन किया है। पूर्व राष्ट्रपति ने अपने कार्यक्रम के ठीक पहले एक अनावश्यक विवाद को तूल देने वालों की मंशा पर भी सवाल उठाए।
अंसारी की मौजूदगी में शुरू हुआ हंगामा
उल्लेखनीय है कि AMU कैंपस परिसर में हंगामा उस समय शुरू हुआ था, जब अंसारी एक कार्यक्रम के लिए वहां मौजूद थे। उन्होंने कहा कि कैंपस में घुसे लोगों के खिलाफ AMU छात्रों का शांतिपूर्ण आंदोलन तारीफ के काबिल है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी परिसर में ऐसी गतिविधियों को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता।
विवाद के बाद बिगड़ा माहौल
अलीगढ़ स्थित यह यूनिवर्सिटी पठन-पाठन का केंद्र रहा है। अब राजनीतिक वजहों से यहां का माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा पहले से तय कार्यक्रम में बाधा डालना और उसे सही ठहराने के लिए बहाने गढ़ना, अनेक सवाल पैदा करता है। ज्ञात हो कि यूनिवर्सिटी में जिस समय विवाद की शुरूआत हुई, उसके कुछ देर बाद ही पूर्व उप-राष्ट्रपति अंसारी को AMU की आजीवन सदस्यता दी जानी थी।
आंदोलन ठीक, पर पढ़ाई पर न हो असर
उन्होंने एएमयू छात्र संघ को लिखे पत्र में यूनिवर्सिटी छात्रों के आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि AMU छात्रों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन तारीफ के काबिल है। मैं छात्रों से अपील करता हूं कि वह यह सुनिश्चित करें कि यह शांतिपूर्ण आंदोलन किसी भी तरह से उनके शैक्षणिक गतिविधियों को प्रभावित नहीं करें। उन्होंने छात्रों को ऐसी विघटनकारी राजनीति के हाथ का खिलौना नहीं बनने का आह्वान करते हुए कहा कि वे केवल पढ़ाई पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें।
पूर्व उप-राष्ट्रपति ने सुरक्षा पर उठाए सवाल
पूर्व राष्ट्रपति अंसारी ने कहा कि 2 मई को AMU में आयोजित होने वाले मेरे कार्यक्रम की सबको जानकारी थी। यह कोई गुपचुप कार्यक्रम नहीं था। उस दिन यूनिवर्सिटी के कैनेडी ऑडिटोरियम में उनका एक संबोधन होना था। कार्यक्रम से जुड़े आयोजनकर्ताओं ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। इसके बाद भी प्रदर्शनकारी यूनिवर्सिटी परिसर में घुस आए और भारी उपद्रव करने में सफल रहे। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह पंगु साबित हुई। यह घटना अपने आप में कई तरह से सवाल खड़े करती है। इससे पता चलता है कि हम जिस दौर में जी रहे हैं, उसमें राजनीतिक नेतृत्व कितना लक्ष्यपरक और संवेदनहीन हो गया है।
Created On :   13 May 2018 1:17 PM IST