चीन और पाकिस्तान से हिफाजत के बीच इस बजट से क्यों बढ़ी सेना की उम्मीदें?

Army handed over wishlist to the government even before the general budget
चीन और पाकिस्तान से हिफाजत के बीच इस बजट से क्यों बढ़ी सेना की उम्मीदें?
बजट 2022-2023 चीन और पाकिस्तान से हिफाजत के बीच इस बजट से क्यों बढ़ी सेना की उम्मीदें?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आम बजट से पहले ही भारतीय सेना अपनी "इच्छा सूची" सरकार को सौंप चुकी है। इस "इच्छा-सूची" को ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय सेना की न्यूनतम आवश्यकताओं को देखते हुए रक्षा बजट तैयार करता है। आपको बता दें कि ये विश लिस्ट देश की सुरक्षा से जुड़ी होती है, इसलिए बहुत ही गोपनीय होती है और इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया जाता है। 

भारत का रक्षा बजट दुनिया का पांचवा बड़ा बजट

गौरतलब है कि भारतीय सेना यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना टू फ्रंट वॉर यानि दो-दो मार्चो पर तैनात रहती हैं। भारत का सबसे पुराना विवाद दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन से चल रहा है। ऐसे में भारतीय सेनाओं को दोनों ही सीमाओं पर अपने आप को सैन्य तौर से तैयार रखने की जरूरत पड़ती है। हालांकि भारत का रक्षा बजट विश्व का पांचवा सबसे बड़ा रक्षा बजट होता है। अमेरिका, चीन, सऊदी अरब, रूस के बाद भारत का रक्षा बजट सबसे बड़ा माना आता है।

रक्षा जानकारों के मुताबिक भारत के रक्षा बजट कुल जीडीपी का 1.58 फीसदी है जबकि चीन का रक्षा बजट उसके जीडीपी का करीब 3 फीसदी है। साथ ही कश्मीर और उत्तर-पूर्व के राज्यों में भी आतंकवाद के रूप में भारत को प्रोक्सी-वॉर झेलना पड़ता है, ऐसे में भारतीय सेनाओं को ना केवल अपने आप को सैन्य तौर से मजूबत करना है बल्कि अपनी क्षमताओं को और अधिक बढ़ाए जाने की भी उम्मीद है। 

इन मामलों में हमेशा टेढ़ी-खीर रही है

गौरतलब है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके है कि रक्षा बजट का बेहतर उपयोग होना चाहिए। बजट का एक बड़ा हिस्सा अभी भी सरकार को सैनिकों के वेतन और पेंशन पर खर्च करना पड़ता है। इसलिए सैन्य आधुनिकीकरण और सैलरी पेंशन में तालमेल बैठाना हमेशा से ही टेढ़ी खीर रही है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत व चीन से चल रही तनातनी के बीच पिछले साल 2021-2022 में रक्षा बजट में सैन्य साजो सामान खरीदने के लिए कैपिटल-बजट में करीब 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। बता दें कि पिछले 15 सालों में ये पहली बार हुआ था कि कैपिटल बजट में इतने बड़े पैमाने पर इजाफा हुआ था। इससे पहले तक कैपिटल बजट में मात्र 6-7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी ही देखी जाती थी।

जानें पिछले साल का बजट

गौरतलब है कि पिछले साल रक्षा बजट करीब 4.78 लाख करोड़ था। जबकि 2020-21 में ये 4.71 लाख करोड़ था, रक्षा बजट के 4.78 लाख करोड़ में 1.35 लाख करोड़ कैपटिल-बजट (पूंजीगत-व्यय) के लिए रखा गया था यानि सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के हथियार खऱीदने और दूसरे आधुनिकिकरण के लिए। जबकि वर्ष 2020-21 में कैपिटल बजट 1.13 लाख करोड़ था, कैपिटल बजट में इस साल करीब 53 हजार करोड़ सबसे ज्यादा हिस्सा वायुसेना को मिला था।

जबकि थलसेना को मिला था, 36 हजार करोड़ और नौसेना को 37 हजार करोड़। जानकारी के मुताबिक, पिछले रक्षा बजट का कैपिटल-बजट पूरा खर्च नहीं हो पाया है। जिससे इस साल सेना को बैले‌ंस अमाउंट भी मिल जाएगा। क्योंकि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद बैलेंस-अमाउंट को अगले बजट में जोड़ने का प्रावधान कर दिया था। उससे पहले तक बैलेंस अमाउंट "लैप्स" हो जाती थी। 

Created On :   31 Jan 2022 12:41 PM GMT

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