इस तरह कभी नहीं मिल सकती आजादी, सेना से लड़ना संभव नहीं : जनरल रावत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में आजादी के नाम पर आजादी के लिए बंदूक उठाने वाले और राज्य को अस्थिर करने का प्रयास करने वाले लोगों को आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कड़ा संदेश देते हुए कहा कि इस तरह वे कभी आजादी हासिल नहीं कर सकते। उन्होंने कश्मीरी उपद्रवियों से चेतावनी दी कि आप हिंसा के सहारे आजादी हासिल करने का दिवास्वप्न देख रहे हैं। हम एक संगठित सेना हैं। हमसे किसी तरह मुकाबला नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा अगर आप सचमुच आजादी हासिल करना चाहते हैं, तो आपको मुख्यधारा से जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए।
मुख्यधारा से जुड़ें कश्मीरी युवा
उन्होंने कहा कि हमें इसमें कोई आनंद नहीं आता है, लेकिन अगर हमसे लड़ोगे तो हम अपनी पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षाबल इतने क्रूर नहीं हैं, सीरिया और पाकिस्तान को देखिए। वे ऐसी स्थिति से निपटने के लिए टैंक और हवाई ताकत का इस्तेमाल करते हैं। आप मुख्यधारा से जुड़ने की कोशिश कीजिए यह एकमात्र सकारात्मक विकल्प है।
गुमराह करने वालों से रहें सावधान
कश्मीर के युवाओं के प्रति चिंता जताते हुए आर्मी चीफ जनरल रावत ने कहा, ""जो लोग युवाओं को यह बता रहे हैं कि बंदूक उठाने से आजादी मिलेगी वे वास्तव में उन्हें गुमराह कर रहे हैं। इससे कुछ नहीं मिलेगा, आप संगठित सेना से किसी तरह मुकाबला नहीं कर सकते। जिन्हें आजादी चाहिए हम उनसे हमेशा लड़ते रहेंगे, आजादी एक कभी पूरा नहीं होने वाला सपना है।""
केवल बातचीत से हल होगी समस्या
आर्मी चीफ जनरल रावत ने कहा इस समस्या का कोई सैन्य हल नहीं हो सकता। इसीलिए हमें दूसरे विकल्पों पर काम करना चाहिए। हम चाहते हैं कि नेता और राजनीतिक प्रतिनिधि गावों में जाएं खासकर दक्षिण कश्मीर में जहां भारतविरोधी भाव ज्यादा गहरा गया है। घाटी में बड़ा वर्ग है जो अपनी पहचान भारत से जुड़ कर देखता है, लेकिन दिक्कत की बात है कि वे अपनी बात सबके साथ साझा करने से डरते हैं। उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन पर हमला हो सकता है। इन जनभावनाओं का विस्तार तभी हो सकता है, जब वहां शांति हो। जनरल रावत ने उम्मीद जताई कि लोग जल्दी ही समझ जाएंगे कि यह व्यर्थ का संघर्ष है। अब उन्हें दूसरी तरह से सोचना होगा।
कौन गारंटी लेगा नहीं चलेगी गोली
आर्मी चीफ जनरल रावत ने कहा कि वह "मिलिट्री ऑपरेशन" खत्म करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इस बात की गारंटी कौन लेगा कि हमारे जवानों पर गोली नहीं चलेगी। कौन गारंटी लेगा कि पुलिसवाले, राजनीतिक कार्यकर्ता, छुट्टी पर घर जा रहे हमारे जवानों पर हमले नहीं किए जाएंगे। भारतीय सेना किन्हीं अराजक लोगों का संगठन नहीं है। हम घाटी में अमन-चैन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
घाटी के भटके हुए लोगों के प्रति हमारे मन में सहानुभूति है, लेकिन यह सहानुभूति अपने लोगों की कीमत पर जारी नहीं रखी जा सकती। आप मुख्यधारा से जुड़िए और आप पाएंगे कि हम आपको अपने से जुदा नहीं समझते। लेकिन अगर आप अलगाव के रास्ते पर चलेंगे तो हमारा आपसे टकराव तय है।
सेना के पास कोई और रास्ता नहीं
आर्मी चीफ जनरल रावत ने लेफ्टिनेंट उमर फैय्याज को याद करते हुए कहा, ""बिना हथियार घर लौट रहे हमारे जवान मारे गए। हमने उनके हत्यारों को मारा इसमें हमें चार जवानों को खोना पड़ा। पुलिस पर लगातार हमले हो रहे हैं। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है। एक बार हमारे ऊपर पत्थर फेंका गया, एक बार हमारे ऊपर गोली चलाई गई। ऐसी स्थिति में उपद्रवियों का सख्ती से जवाब देने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता।
Created On :   10 May 2018 11:43 AM IST