लगातार तीसरा उपचुनाव हारी बीजेपी, क्या है मायने?

Bad news continues for BJP lost third bypoll in a row
लगातार तीसरा उपचुनाव हारी बीजेपी, क्या है मायने?
लगातार तीसरा उपचुनाव हारी बीजेपी, क्या है मायने?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजनीति के वचन समय की जरुरत देखकर दिए जाते है.. और उसी तरह समय की जरुरत देखकर तोड़ दिये जाते है। उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। एक दूसरे के विरोधी मायावती और अखिलेश यादव एक हो गए, ताकी बीजेपी को शिकस्त दी जा सके। और हुआ भी कुछ ऐसा ही। गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में योगी मैजिक को पस्त करते हुए योगी  के गढ़ गोरखपुर में समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहरा दिया। ये नतीजे बीजेपी के लिए इसलिए चिंता करने वाले है क्योंकि यह लगातार तीसरा उपचुनाव है जब बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। इससे पहले राजस्थान और मध्यप्रदेश के उपचुनावों में भी बीजेपी का करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये नतीजे बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है? क्या 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर इन समीकरणों का असर पड़ेगा?

पड़ेगा दूरगामी असर
सियासी समर में भावनात्मक मुद्दे सिर्फ अंकगणित को मजबूत करते हैं। लोकतंत्र में जीत या हार, सिर्फ संख्या के आधार पर तय होता है। राजस्थान, बीजेपी और अब यूपी में मिली हार बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। ये इसलिए भी अहम है क्योंकि इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है। उत्तर प्रदेश में तो बीजेपी ने प्रचण्ड बहुमत हासिल किया था। वहीं मध्यप्रदश को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। यूपी की फूलपुर और गोरखपुर सीट बीजेपी की प्रतिष्ठा से जुड़ी थी। गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ 5 बार सांसद रहे है। योगी के सीएम बनने के बाद ये सीट खाली हुई थी। ऐसे में इस हार ने योगी आदित्यनाथ की इमेज को जनता के सामने थोड़ा निगेटिव कर दिया है। वहीं फूलपुर सीट केशव प्रसाद मोर्या के डिप्टी सीएम बनेने के बाद खाली हुई थी। इस सीट पर भी बीजेपी बड़े अंतर से हार गई। ऐसे में कहा जा सकता है कि उपचुनाव के नतीजों का प्रदेश के साथ-साथ देश की राजनीति पर निश्चित तौर पर दूरगामी असर पड़ेगा। गोरखपुर-लोकसभा उपचुनाव में एसपी प्रत्याशी प्रवीण कुमार निषाद ने 4,56,513 मत पाकर जीत हासिल की। बीजेपी के उपेंद्र शुक्ल को 434625 मत मिले। वहीं फूलपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नागेन्द्र पटेल ने 59,613 मतों से जीत हासिल की। उन्हें कुल 3,42,796 वोट मिले, जबकि बीजेपी प्रत्याशी कौशलेन्द्र पटेल को 2,83,183 वोट मिले। 

मध्य प्रदेश में भी मिली थी हार
इससे पहले मध्यप्रदेश में दो सीट मुंगावली और कोलारस पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। जहां मुंगावली सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार बृजेन्द्र सिंह यादव ने 2,124 वोट से जीत दर्ज की थी। वहीं कोलारस सीट पर पार्टी के कैंडिडेट महेन्द्र सिंह यादव ने 8000 से अधिक मतों के अंतर से विजय हासिल की थी। इस चुनाव में कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दोनों की ही प्रतिष्ठा दाव पर लगी थी। क्योंकि मुंगावली कोलारस को सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना के अंदर आती हैं। इन सीटों का कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। वहीं मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार है। इन चुनावों में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी के उम्मीदवारों के लिए जमकर प्रचार-प्रसार किया था, इसलिए यह चुनाव उनकी साख पर सवाल खड़ा कर गया।

राजस्थान उपचुनाव में हार
राजस्थान में हुए उप-चुनावों में भी भाजपा को तगड़ा झटका लगा था। भाजपा का पूरी तरह से सूपड़ा साफ हो गया था। यहां लोकसभा की 2 और विधानसभा की एक सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। पहले ये तीनों सीटें भाजपा के पास थीं।अलवर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के डा. करण सिंह यादव ने कैबिनेट मंत्री और भाजपा प्रत्याशी जसवंत सिंह यादव को हराया था। जबकि अजमेर से कांग्रेस उम्मीदवार रघु शर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के राम स्वरूप लांबा पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस के नजरिए से देखें तो देशभर में लगातार हार झेल रही कांग्रेस पार्टी के लिए उप-चुनाव के परिणाम संजीवनी साबित हुए थे।

Created On :   14 March 2018 8:49 PM IST

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