स्टॉकब्रोकर से बीजेपी के शहं'शाह' बनने तक का सफर..

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2014, देश में लोकसभा चुनाव हुए थे। पूरे देश में मोदी लहर इस कदर चल रही थी, कि बीजेपी की जीत तय थी और बीजेपी जीती भी, लेकिन वो पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाएगी। इस बारे में खुद बीजेपी ने भी शायद ही सोचा हो। चुनाव के पहले हर पार्टी कहती है, वो पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने जा रही है, लेकिन चुनाव बाद पूर्ण बहुमत मिलना अब तक मुश्किल हुआ करता था, लेकिन अमित शाह के केंद्रीय राजनीति में कदम रखते ही बीजेपी ने कई राज्यों में अपनी बहुमत की सरकार बनाई। इतना ही नहीं इस समय 29 में से 13 राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री हैं, जबकि 5 राज्यों में बीजेपी सत्ता में भागीदार है। इसका श्रेय अगर अमित शाह को दिया जाए, तो शायद गलत नहीं होगा। अमित शाह पार्टी के अध्यक्ष हैं और उन्हें बीजेपी का चाणक्य कहा जाता है। लोकसभा चुनाव के बाद से अगर दिल्ली और बिहार को छोड़ दिया जाए, तो पार्टी ने हर जगह अच्छा प्रदर्शन किया और अपनी सरकार बनाई। जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में भी बीजेपी सत्ता में भागीदार है और उसका डिप्टी सीएम है। बीजेपी अगर इस समय अपने "गोल्डन पीरियड" में है, तो उसके पीछे अमित शाह का दिमाग ही है। आज अमित शाह का जन्मदिन है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, शाह की जिंदगी से जुड़ी कई बातें...
1. बिजनेसमैन के घर हुआ था शाह का जन्म
बीजेपी के नेशनल प्रेसिडेंट अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई के एक बिजनेसमैन फैमिली में हुआ था। उनका पूरा नाम अमित अनिलचंद्र शाह है और उनके पिता का पाइप का बिजनेस था। शाह की स्कूली पढ़ाई मेहसाणा से हुई और इसके बाद वो ग्रेजुएशन करने के लिए अहमदाबाद आ गए। यहां उन्होंने बायोकैमिस्ट्री से ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने कुछ समय तक अपना फैमिली बिजनेस भी संभाला। इसके साथ ही उन्होंने को-ऑपरेटिव बैंक में स्टॉकब्रोकर के तौर पर भी काम किया है।
2. बचपन से ही रहे हैं RSS से संबंध
अमित शाह बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए हैं और इसी के चलते उन्हें राजनीति में एंट्री मिली। कॉलेज के दिनों में वो RSS के स्वयंसेवक बन गए। अमित शाह की नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी कॉलेज के दिनों में ही हुई। उस दौरान मोदी RSS के प्रचारक थे और शाह स्वयंसेवक। दोनों की पहली मुलाकात 1982 में हुई थी। उस वक्त शाह 18 साल के और मोदी 30 साल के थे। इसके बाद साल 1983 में अमित शाह RSS की स्टूडेंट विंग अखिल विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए और यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई।
3. राजनीति में हुई एंट्री
1983 में ABVP से जुड़ने के बाद अमित शाह की राजनीति में एंट्री हुई। 3 सालों तक ABVP में काम करने के बाद शाह साल 1986 में बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद अगले ही साल वो यूथ विंग बीजेपी युवा मोर्टा के एक्टिविस्ट बन गए। अपने काम के कारण शाह को बीजेपी में कई बड़े पदों की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें वॉर्ड सेक्रटरी, तालुका सेक्रेटरी, स्टेट सेक्रेटरी, वाइस प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान शाह ने लालकृष्ण आडवाणी के लिए गांधीनगर में कैंपेन भी चलाया।
4. मोदी-शाह ने मिलकर गुजरात में कांग्रेस को किया "खत्म"
साल 1995 से पहले तक कांग्रेस ही गुजरात में बड़ी पार्टी थी, लेकिन मोदी और शाह की जोड़ी ने मिलकर 1995 में पहली बार गुजरात में बीजेपी की सरकार बनाई। उस समय केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री बने। इसके बाद से ही मोदी और शाह ने गुजरात में कांग्रेस को खत्म करने के लिए रणनीति बनाई। इसके लिए दोनों ने हर गांव में सबसे प्रभावशाली नेता ढूंढा और उसे बीजेपी में शामिल किया। इस तरह दोनों ने मिलकर गुजरात में हजारों लोगों का नेटवर्क तैयार कर लिया। इसके बाद से ही कांग्रेस अब तक गुजरात में वापसी नहीं कर पाई है और पिछले 22 सालों से बीजेपी ही सरकार में है। इसके बाद 1997 में अमित शाह ने पहली बार सरखेज से विधानसभा उपचुनाव लड़ा और जीता भी। इसके बाद से ही अमित शाह राजनीति में आगे बढ़ते रहे और आज देश की सबसे बड़ी पार्टी के नेशनल प्रेसिडेंट हैं।
5. गुजरात दंगों के बाद गए जेल
2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में अमित शाह का नाम भी जुड़ा और इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। दंगों में नाम शामिल होने की वजह से कांग्रेस ने भी शाह को जमकर घेरा, लिहाजा उन्हें अपने कुछ दिन जेल में ही बिताने पड़े। इसके बाद सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के वक्त अमित साह गुजरात सरकार में होम मिनिस्टर थे। इस एनकाउंटर को कांग्रेस ने फर्जी बताया। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर में नाम आने के बाद शाह को 90 दिनों तक जेल में रहना पड़ा। इसके बाद वो जमानत पर बाहर आए, लेकिन उनके 2 साल तक गुजरात आने पर रोक लगा दी गई। 2015 में सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने शाह पर लगे सभी आरोपों को हटा दिया और क्लीन चिट दे दी।
6. जेल में खाई थी कांग्रेस को खत्म करने की कसम
साल 2016 में मीडिया में खबरें आई कि सोहराबुद्दीन मामले में शाह जब जेल में थे, तभी उन्होंने कांग्रेस को खत्म करने की कसम खाई थी। रिपोर्ट्स में कहा गया था कि जेल में शाह भगवद गीता के श्लोक सुनाते थे और यहीं उन्हें कांग्रेस के खात्मे की कसम ली। इसके बाद से ही अमित शाह और मोदी ने "कांग्रेस मुक्त भारत" के लिए काम किया और इसी का नतीजा है कि कांग्रेस आज सिर्फ 6 राज्यों में सिमटकर रह गई।
7. पीएम मोदी ने दी अपने "भाई" को बधाई
यूं तो अमित शाह और नरेंद्र मोदी के बीच करीब 14 साल का अंतर है, लेकिन दोनों में "भाईयों की तरह" रिश्ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अमित शाह के जन्मदिन पर उनको "भाई" कहकर संबोधित किया है। पीएम ने ट्वीट कर लिखा, "अमित भाई को जन्मदिन की बधाई, जो अपनी आइडल लीडरशिप बीजेपी को दे रहे हैं। मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।"
Birthday greetings to Amitbhai, who is providing exemplary leadership to the BJP. I pray for his long and healthy life. @AmitShah
— Narendra Modi (@narendramodi) October 22, 2017
करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @AmitShah जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। #HBDayAmitShah pic.twitter.com/NaLMbWLbeo
— BJP (@BJP4India) October 22, 2017
Created On :   22 Oct 2017 9:32 AM IST