पाकिस्तान बॉर्डर BSF के लिए बनी टेंशन, होम मिनिस्ट्री तक पहुंची बात
- BSF की स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि इस क्षेत्र में अब नमाज़ पढ़ने जाने वाले बच्चों की संख्या अन्य धर्मों के लोगों या बच्चों के मुकाबले ज़्यादा हो गई है।
- BSF ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट में दी मुस्लिम आबादी बढ़ने की जानकारी
- स्टडी के मुताबिक अन्य धर्म समुदाय की तुलना में मुस्लिम समुदाय की आबादी में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत-पाक बॉर्डर से सटे राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले में मुस्लिम आबादी को लेकर बॉर्डर सिक्यॉरिटी फोर्स ने गहरी चिंता व्यक्त की है। BSF ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भी इसकी जानकारी दी है। BSF ने जैसलमेर बॉर्डर पर बढ़ती मुस्लिम आबादी को लेकर हर साल की तरह इस बार भी एक स्टडी की है। जिसमें कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। स्टडी के मुताबिक अन्य धर्म समुदाय की तुलना में मुस्लिम समुदाय की आबादी में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही उनके रहने के ढंग में भी बड़ा बदलाव देखा गया है। बॉर्डर से सटे इलाके में रहने वाले मुस्लिम लोगों में राजस्थानी कल्चर दिखाई नहीं दे रहा है। जबकि अन्य समुदाय पूरी तरह से राजस्थानी कल्चर में नजर आते हैं।
BSF की स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि इस क्षेत्र में अब नमाज़ पढ़ने जाने वाले बच्चों की संख्या अन्य धर्मों के लोगों या बच्चों के मुकाबले ज़्यादा हो गई है। BSF ने अपनी इस स्टडी के जरिए जैसलमेर बॉर्डर पर बढ़ती मुस्लिम आबादी के बारे में आगाह किया है, लेकिन वहां किसी भी तरह की संदिग्ध या फिर कोई भी ऐसी गतिविधि सामने नहीं आई है जो राष्ट्रहित के खिलाफ हो। BSF के मुताबिक, उस क्षेत्र में रहने वाले हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच आज तक किसी भी तरह का विवाद नहीं हुआ है और दोनों समुदायों के लोगों के बीच दोस्ताना संबंध हैं और वे अपना काम-धंधा भी मिलकर करते हैं।
बीएसएफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि जैसलमेर से सटे सरहदी इलाकों में हाल के वर्षों में ऐसी गतिविधियां बढ़ी हैं जो सुरक्षा बलों के लिए खतरे का सबब बन सकती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 से पहले जैसलमेर बॉर्डर के उस पार कट्टर इस्लामिक गतिविधियां न के बराबर थीं, जबकि अब उसमें भारी इजाफा देखा जा रहा है। जैसलमेर के दक्षिणी हिस्से में साल 2000 से पहले मस्जिद नहीं थी जबकि अब सरकारी जमीन पर कई मस्जिदों का निर्माण शुरू हो चुका है।
रिपोर्ट की मानें तो जैसलमेर की भारत पाक सीमा के 4 से 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित मांधला मजिस्द के निर्माण को लेकर बडी हलचल हुई थी और जी मीडिया द्वारा इस पूरे मामले को उठाने के बाद उस मजिस्द के निर्माण कार्य को रोका भी गया था। लेकिन कुछ ही दिनों में यहां काम वापस शुरू हो गया और आज सीमा पर यह मस्जिद एक भव्य इमारत के रूप में दिखाई दे रही है।
बता दें कि BSF ने अपनी इस स्टडी में हिंदुओं धर्म के उन संगठनों के बारे में भी बताया गया है, जिनके खिलाफ मुस्लिम समुदाय हमेशा से रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू राइट विंग संगठनों की गतिविधियों की वजह से मोहनगढ़, नचना और पोखरण में रहने वाले हिंदू अब अपने धर्म को लेकर और ज़्यादा चिंतित हो गए हैं। ऐसे संगठनों में लोगों की हिस्सेदारी दिनोंदिन बढ़ रही है। ये संगठन भी ट्रेनिंग से लेकर शिक्षा तक में सहयोग कर रहे हैं।
हालांकि इस रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर BSF के चीफ रजनीकांत मिश्रा ने कहा कि BSF बॉर्डर के इलाकों का निरीक्षण कर इस तरह की रिपोर्ट अक्सर तैयार करती रहती है और फिर उन्हें अन्य एजेंसियों के साथ शेयर करती है। जैसलमेर में बीएसफ ने मोहनगढ़, नचना,बहला, पोखरण, साम, तनोट जैसे इलाकों का सर्वे किया और स्टडी बनाई।
Created On :   1 Dec 2018 8:05 AM IST