राम सेतु पर केंद्र का वादा, सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट से नहीं पहुंचेगा नुकसान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को केंद्र सरकार ने साफ किया है कि वो सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट के लिए "राम सेतु" को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच के सामने मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग की तरफ से एफिडेविट फाइल कर इस बात का वादा किया है। दरअसल, कोर्ट में बीजेपी के सीनियर लीडर सुब्रमण्यम स्वामी ने पिटीशन फाइल कर कहा था कि सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट से राम सेतु को नुकसान पहुंच सकता है।
केंद्र सरकार ने क्या कहा?
मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में फाइल किए गए एफिडेविट में कहा गया है कि "भारत सरकार राष्ट्र हित को ध्यान में रखते हुए राम सेतु को कोई नुकसान पहुंचे, इसके लिए सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट के पुराने प्रस्ताव के दूसरे विकल्पों पर विचार करेगी।" सरकार की तरफ से पेश हुईं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने ये भी कहा है कि केंद्र ने अब अपना जवाब दे दिया है, लिहाजा सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट के खिलाफ बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की तरफ से फाइल की गई पिटीशन को खारिज किया जा सकता है।
I am soon moving the SC to direct our Govt to declare Ram Setu as a National Heritage Monument
— Subramanian Swamy (@Swamy39) March 16, 2018
राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करें
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के जवाब के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि वो राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि "मैं जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाऊंगा, ताकि कोर्ट केंद्र सरकार को राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने के लिए आदेश दे।" इससे पहले UPA 2 के दौरान स्वामी ने ये मुद्दा उठाया था. 2014 लोकसभा चुनाव में भी ये मुद्दा उठा था।
क्या है सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट?
भारत और श्रीलंका के बीच से गुजरने वाले इस प्रोजेक्ट का प्रपोजल सबसे पहले 1860 में ब्रिटिश कमांडर एडी टेलर ने रखा था। जबकि भारत सरकार ने सेतुसमुद्रम शिप चैनल प्रोजेक्ट का प्रपोजल 1990 में रखा था। 1997 में सरकार ने इसे शुरू करने का फैसला लिया लेकिन पूरा प्रोजेक्ट 19 मई 2005 तक फाइनल हो पाया। लगभग ढाई हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट के तहत 83 किलोमीटर लंबे और गहरे जलमार्ग का निर्माण किया जा रहा है, जो मन्नार की खाड़ी को पाक स्ट्रेट से जोड़ेगा। ये चैनल प्रोजेक्ट 12 मीटर गहरा और 300 मीटर चौड़ा होगा। इस प्रोजेक्ट का मकसद जहाजों की यात्रा को 10-13 घंटे तक कम करना था। इसके तहत भारत और श्रीलंका में 13 छोटे पोर्ट और कई फिशिंग हार्बर बनाने की प्लानिंग थी।
रामसेतु को लेकर क्या है मान्यता?
दरअसल, वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, जब रावण ने सीता का हरण कर उसे लंका ले गया था, तो सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए भगवान राम ने लंका द्वीप पर चढ़ाई की थी। रामायण में कहा गया है कि राम अपनी पूरी वानर सेना के साथ लंका जा रहे थे, लेकिन बीच में काफी विशाल समुद्र बना था, तो भगवान राम ने सभी देवताओं से विजय के लिए आशीर्वाद मांगा। इनमें समुद्र के देवता वरूण भी थी। वरूण देव से राम ने समुद्र पार जाने के लिए रास्ता मांगा, लेकिन वरूण ने उनकी बात नहीं मानी। इसके बाद भगवान राम ने गुस्से में आकर वरूण देव को समुद्र सुखाने की धमकी दी।
इसके बाद वरूण ने डरकर भगवान राम को बताया की आपकी सेना में मौजूद नल-नील नाम के वानर जिस पत्थर पर आपका नाम लिखकर समुद्र में डालेंगे, वो तैरने लगेगा। इस तरह से भगवान राम और वानर सेना ने समुद्र पर पुल बनाया और उसे पार करके लंका गए। इसके बाद राम की सेना ने लंका पर हमला कर रावध का वध किया और जीत हासिल की। इसी पुल को "रामसेतु" के नाम से जाना जाता है।
Created On :   16 March 2018 2:15 PM IST