राजस्थान में मनु की प्रतिमा हटाने दलित कार्यकर्ताओं ने सोनिया को पत्र लिखा
नई दिल्ली, 26 जून (आईएएनएस)। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे एक पत्र में लगभग 600 दलित कार्यकर्ताओं, अध्येताओं और शुभचिंतकों ने राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में स्थित मनु की प्रतिमा को हटाने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि यह प्रतिमा भारतीय संविधान और दलितों का अपमान है।
गुजरात में स्थित एक दलित संगठन, नवसर्जन ट्रस्ट के संस्थापक मार्टिन मकवान द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, हम यह पत्र इसलिए लिख रहे हैं, क्योंकि हमारा मानना है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष, जिनकी राजस्थान में सरकार है, उनके पास ऐसा कदम उठाने के लिए आवश्यक शक्ति है, जिससे समानता के लिए दलित आंदोलन को मजबूती देने में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।
उन्होंने कहा है कि मनु की प्रतिमा भारतीय संविधान के साथ-साथ दलितों, महिलाओं और समानता और न्याय में विश्वास करने वाले सभी लोगों का अपमान है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनु मानव जाति के पूर्वज और विवादास्पद मनुस्मृति के लेखक हैं, जिन्होंने विभिन्न सामाजिक समूहों के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित किया था।
मनुस्मृति को जाति आधारित वर्ण व्यवस्था के लिए जाना जाता है।
पत्र में कहा गया है, बड़ी बात यह कि मनु के नियम भारतीय संविधान के पूरी तरह विपरीत हैं। भारतीय संविधान जहां बराबरी और भाईचारगी, सामाजिक न्या और स्वतंत्रता की बात करता है, वहीं मनुस्मृति गैरबराबरी और सामाजिक अलगाव, महंतशाही और विभाजन, अन्याय और शोषण की बात करता है।
पत्र में आगे लिखा है, इस देश ने इस विरोधाभास को आजादी के बाद 73 सालों तक सहा है, जो इस बात का गवाह है कि हम डॉ. आंबेडकर और संविधान निर्माताओं द्वारा द्वारा दिए गए संविधान की अमूल्य विरासत की रक्षा कर पाने में विफल रहे हैं।
मकवान ने लिखा है कि यह प्रतिमा एक दमनकारी अतीत का प्रतीक है।
इस प्रतिमा का निर्माण साल 1989 में राजस्थान ज्यूडिशियल ऑफिसर्स एसोसिएशन द्वारा किया गया था।
नवसर्जन ट्रस्ट के सदस्यों ने राजस्थान में कांग्रेस सरकार को एक चेतावनी दी है, जिसमें कहा गया है कि अगर 15 अगस्त तक प्रतिमा नहीं हटाई गई तो वे आंदोलन का आह्वान करेंगे।
Created On :   26 Jun 2020 5:31 PM IST