राफेल: राहुल के आरोपों पर डसॉल्ट के CEO की सफाई, कहा- हमने ही रिलायंस को चुना

Dassault CEO Eric trappier responds to rahul gandhi, I dont lie
राफेल: राहुल के आरोपों पर डसॉल्ट के CEO की सफाई, कहा- हमने ही रिलायंस को चुना
राफेल: राहुल के आरोपों पर डसॉल्ट के CEO की सफाई, कहा- हमने ही रिलायंस को चुना
हाईलाइट
  • ट्रैपियर ने कहा
  • बढ़ाई नहीं
  • 9 प्रतिशत कम की है कीमत
  • भारतीय वायु सेना को राफेल विमानों की जरूरत: ट्रैपियर
  • सीईओ के पद पर बैठकर आप झूठ नहीं बोल सकते: ट्रैपियर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राफेल सौदे के तहत विमान बनाने वाली फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने अपनी कंपनी और भारत सरकार का बचाव किया है। ट्रैपियर ने कहा कि उनकी कंपनी ने  ही अनिल अंबानी को साझेदारी के लिए चुना है। उन्होंने कहा कि रिलायंस के अलावा डसॉल्ट ने 30 और भी कंपनियों का चयन किया है। सीईओ ट्रैपियर ने कहा कि भारतीय एयरफोर्स को इन विमानों की जरूरत है, इस वजह से ही वह भी सौदे का समर्थन कर रही है।

 

एक इंटरव्यू को दौरान डसॉल्ट के सीईओ ने कहा कि हमारे पास भारत में रिलायंस के अलावा 30 और पार्टनर हैं। अंबानी को हमने खुद ही चुना था। अपनी रक्षा प्रणाली मजबूत बनाए रखने के लिए भारतीय वायुसेना को इन लड़ाकू विमानों की जरूरत है। ट्रैपियर ने कहा कि 36 विमानों की कीमत भी उतनी ही रखी गई है, जितनी 18 विमान खरीदते वक्त रखी गई थी। चूंकि 18 का दोगुना 36 होता है, इसलिए विमानों की कीमत भी 18 के मुकाबले दोगुनी हो जानी थी, लेकिन सरकारों के बीच बात होने के कारण इस कीमत में भी नौ फीसदी की कमी की गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्रैपियर ने कहा कि मैं कभी भी झूठ नहीं बोलता हूं। मैंने पहले जो सच कहा था और बयान दिए थे, वो ही सच है। मेरी छवि झूठ बोलने वाले व्यक्ति के तौर पर नहीं है। सीईओ के पद पर बैठकर आप किसी से झूठ नहीं बोल सकते हैं। 

 

 

 

इससे पहले सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि राफेल सौदा किस तरह हुआ। सरकार ने राफेल जेट की कीमतों के बारे में मांगा गया जवाब भी सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया था। केंद्र सरकार ने विमान खरीद की प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ताओं को सौंप दिए हैं। दस्तावेज जिसका शीर्षक "36 राफेल विमानों की खरीद में फैसले लेने की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी" है।


सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट में लिखा है कि कि राफेल की खरीद में सभी प्रकियाओं का पालन किया गया है। दस्तावेजों में दावा किया गया है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल और कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्यॉरिटी (CCS) की मंजूरी ली गई थी। सरकार ने बताया कि इस प्रक्रिया के लिए फ्रांस सरकार से करीब एक साल तक बात चली। केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार का कोई रोल नहीं है। नियमों के मुताबिक विदेशी निर्माता किसी भी भारतीय कंपनी को बतौर ऑफसेट पार्टनर चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। सरकार ने कहा कि भारत में सालों से रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 का ही पालन किया गया है।

 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर को सरकार को निर्देशित किया था कि वह याचिकाकर्ताओं को राफेल विमान खरीद प्रक्रिया से जुड़े दस्तावेज सौंपे। याचिकाकर्ताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी के अलावा एक्टिविस्ट लॉयर प्रशांत भूषण शामिल हैं। सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा था कि वह डिफेंस फोर्सेज के लिए राफेल जेट की उपयोगिता पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि वह सरकार को कोई नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं, वह केवल फैसला लेने की प्रक्रिया की वैधता से संतुष्ट होना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई अब 14 नवंबर को करेगा। 

Created On :   13 Nov 2018 7:17 AM GMT

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