Elections: दूर-दूर तक नहीं कांग्रेस का नामोनिशान, सिर्फ BJP और AAP के बीच है मुकाबला !

Delhi Assembly Elections 2020 Delhi Elections 2020 Aam Aadmi Party BJP Congress AAP CM Arvind Kejriwal PM Modi
Elections: दूर-दूर तक नहीं कांग्रेस का नामोनिशान, सिर्फ BJP और AAP के बीच है मुकाबला !
Elections: दूर-दूर तक नहीं कांग्रेस का नामोनिशान, सिर्फ BJP और AAP के बीच है मुकाबला !
हाईलाइट
  • 70 सीटों पर 8 फरवरी को मतदान होंगे
  • दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार थमे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए चुनावी प्रचार थम चुके हैं। 8 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए सभी राजनीतिक दलों ने ताबड़तोड़ रैलियां कर चुनावी रण में दंभ भरा और जारी किए गए मेनिफेस्टो में दिल्ली की जनता को लुभाने की पुरजोर कोशिश की है। बता दें कि चुनाव के परिणाम 11 फरवरी को घोषित कर दिए जाएंगे।

प्रदूषण का मुद्दा होगा असरदार ?
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने पिछले 5 वर्षों के अपने काम - काज को लेकर चुनावी मैदान में कदम रखा है। AAP दिल्ली के सरकारी स्कूलों की बेहतरी, अस्पताल में बढ़ी हुई सुविधाएं, बिजली-पानी देकर जनता को लुभा रही है। इन सबके बावजूद दिल्ली में फैले प्रदूषण के लिए भी दिल्लीवासी सरकार को दोषी करार दे रहे है, जो विपक्ष की पार्टियों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया।

प्रदेश मुख्यमंत्री भी चुनावी रण में
BJP की बात करें तो देश की सत्ता पर काबिज इस पार्टी के सभी स्टार प्रचारकों के साथ - साथ प्रदेशों के भाजपा मुख्यमंत्रियों ने भी दिल्ली में जाकर प्रचार प्रसार किया। इसमें बड़ा नाम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का रहा। दिल्ली में एक बड़ी जनसंख्या यूपी और उत्तराखंड के लोगों की है। यहां 7 फीसद आबादी उत्तराखंड के लोगों की है। इसके अलावा पूर्वांचल के ज्यादातर लोग भी दिल्ली में रहते हैं।

भाजपा द्वारा योगी आदित्यनाथ को दिल्ली के प्रचार में लगाने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि वे पूर्वांचल और उत्तराखंड के वोटर्स को साध सकें। योगी की पहचान एक कट्टर हिंदूवादी नेता की रही है। दिल्ली में CAA और NRC को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है, उन्हें इसलिए भी बुलाया गया, ताकि ध्रुवीकरण से वे कुछ वोट अपनी ओर खींच सकें। इसके अलावा यूपी और उत्तराखंड में BJP की भी सरकार हैं। ऐसे में इन राज्यों के मुख्यमंत्री का वहां जाना भी अपना वोट बैंक तैयार करना है।

AAP को खली दिग्गज नेताओं की कमीं
दिल्ली में भाजपा का कोर वोट 32 से 35 फीसद है। शुरुआती दौर में ये वोट असमंजस में थे और पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा थी। हालांकि, अमित शाह के आक्रामक चुनावी प्रचार और शाहीन बाग के मुद्दे के तूल पकड़ने के बाद माना जा रहा है कि भाजपा अपने कोर वोटर्स को साधने में सफल हो सकती है। वहीं चुनावी प्रचार के अंतिम दौर में केजरीवाल को पार्टी में बौद्धिक ब्रिगेड की कमी का सामना करना पड़ा। पार्टी में विवाद और मतभेद के कारण कभी पार्टी को बौद्धिक चेहरा रहे योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, कुमार विश्वास, जस्टिस हेगड़े केजरीवाल का साथ छोड़ चुके हैं।

ये सभी पिछले विधानसभा चुनाव में AAP के साथ खड़े हुए थे। खासतौर से AAP के पास शाहीन बाग पर हो रहे हमले का बौद्धिक स्तर पर बचाव करने वाला कोई नेता नहीं है। पार्टी के पास केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के अलावा कोई दूसरा बेहतक विकल्प नहीं है। ऐसे में यदि मुस्लिम मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बनने के अलावा झुग्गी और दलित वोट बंट गए तो AAP को इसका सीधा खामियाजा भुगतना होगा।

मजबूत संदेश देने में कांग्रेस विफल?
वहीं कांग्रेस की बात की जाए, तो 15 साल तक दिल्ली में राज करने वाली दिवंगत शीला दीक्षित के बाद कांग्रेस में कोई असरदार चेहरा नजर नहीं आ रहा। दिल्ली चुनाव से गांधी परिवार की दूरी के चलते चुनावी प्रचार के अंतिम समय तक कांग्रेस मजबूत संदेश देने में असफल रही। अधिकतम समय में बताया गया कि इस चुनाव में दूर - दूर तक कांग्रेस का नामोनिशान ही नहीं है, बल्कि असली चुनावी जंग AAP और भाजपा के बीच है। बहरहाल दिल्ली की जनता पर कौन राज करेगा, यह चुनाव के नतीजे आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

70 सीटों पर चुनाव
दिल्ली विधानसभा की सभी 70 सीटों पर 8 फरवरी को मतदान होना है, जिसके नतीजे 11 फरवरी को घोषित कर दिए जाएंगे। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी को समाप्त हो जाएगा। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता के आधार पर AAP ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और विरोधियों का सूपड़ा साफ कर दिया था। AAP ने इस चुनाव में 70 में से 67 सीटें प्राप्त की थी, जबकि भाजपा सिर्फ 3 सीटें जीतने में कामयाब हो सकी थी।

Created On :   6 Feb 2020 12:26 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story