अगले 3 दिनों में और दूषित होगी दिल्ली की हवा

Delhis air will be contaminated in the next 3 days
अगले 3 दिनों में और दूषित होगी दिल्ली की हवा
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नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी की हवा की गुणवत्ता गुरुवार को खराब श्रेणी में रही। वहीं सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने पूवार्नुमान में कहा कि एक्यूआई अगले तीन दिनों में रविवार तक और बिगड़ेगा। यह राजधानी में कोविड रोगियों के लिए गंभीर रूप से खतरनाक साबित हो सकता है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तत्वावधान में आने वाली सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने प्रदूषण बढ़ने के लिए आस-पास के राज्यों में पराली जलाए जाने को बससे बड़ी वजह बताया है। एक दिन पहले, यानी 7 अक्टूबर को सिनराइज्ड फायर काउंट 399 था।

एयर क्वालिटी फॉरकास्टिंग सिस्टम ने आगे कहा, वर्तमान में दिल्ली की ओर प्रदूषक तत्वों के परिवहन के लिए सीमा परतीय हवा की दिशा और गति दोनों अनुकूल है, लेकिन हवा की दिशा में बदलाव का अनुमान लगाया गया है, जिससे कुछ दिनों के लिए वायु गुणवत्ता के मध्यम श्रेणी में रहने की संभावना है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, कुल 35 प्रदूषण निगरानी स्टेशनों में से 17 स्टेशनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी में है, जबकि 15 स्टेशनों ने सूचकांक को मध्यम श्रेणी में दर्ज किया, वहीं चार काम नहीं कर रहे थे।

दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के पास के क्षेत्र में एक्यूआई सर्वाधिक 290 दर्ज किया गया।

उत्तरी राज्यों में पराली जलने के कारण हर सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है और प्रदूषक तत्व वायुमंडल के निचले स्तर में पानी की बूंदों के साथ मिलकर घने कोहरे की एक मोटी परत बनाते हैं, जिससे निवासियों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा होता है।

दिल्ली के आसपास के कृषि प्रधान राज्यों में पराली के जलने से अत्यधिक प्रदूषण फैलता है। किसान अक्टूबर में धान की फसल काट लेते हैं, जो गेहूं की बुवाई के अगले दौर से लगभग तीन सप्ताह पहले पराली जलाना शुरू कर देते हैं।

सस्ते श्रमिकों की कमी के कारण और मशीन से फसल की कटाई के बाद पराली बच जाती है, जिसे नष्ट करने के लिए किसान सबसे आसान विकल्प का सहारा लेते हैं, यानी पराली को खेतों में जला देते हैं।

कोलंबिया एशिया अस्पताल के पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ पीयूष गोयल के अनुसार, शहर में खराब वायु गुणवत्ता के कारण अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं।

उन्होंने कहा, पिछले साल पराली का धुआं आने के बाद सांस लेने में तकलीफ बताने वाले मरीजों की संख्या में बाकी सालों की तुलना में 30-35 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

एमएनएस/एसजीके

Created On :   8 Oct 2020 6:31 PM IST

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