बहस को विवाद न बनने देने का सबसे अच्छा तरीका संवाद : राष्ट्रपति

Dialogue: The best way to keep the debate from becoming a controversy
बहस को विवाद न बनने देने का सबसे अच्छा तरीका संवाद : राष्ट्रपति
बहस को विवाद न बनने देने का सबसे अच्छा तरीका संवाद : राष्ट्रपति
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नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस) लोकतंत्र में विपक्ष के महत्व पर जोर देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि बहस को विवाद नहीं बनने देने के लिए संवाद सबसे अच्छा तरीका है।

उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में, सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, और इसलिए, दोनों के बीच सामंजस्य, सहयोग और सार्थक विचार-विमर्श आवश्यक है।

कोविंद ने गुजरात के केवडिया में 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कहा, सदन में जन प्रतिनिधियों के लिए स्वस्थ बहस के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करने और विनम्र संवाद और चर्चा को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी पीठासीन अधिकारियों की है।

यह कहते हुए कि निष्पक्षता और न्याय हमारे संसदीय लोकतंत्र की आधारशिला है, राष्ट्रपति ने कहा कि स्पीकर का पद गरिमा और कर्तव्य दोनों का प्रतीक है, और ईमानदारी और न्याय की भावना की मांग करती है।

उन्होंने कहा, यह निष्पक्षता, न्यायपरायणता का भी प्रतीक है और पीठासीन अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि उनका आचरण इन ऊंचे आदशरें से प्रेरित हो।

राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली लोगों के कल्याण का सबसे प्रभावी साधन साबित हुई है।

उन्होंने कहा कि संसद का और विधायिका का सदस्य होना गर्व की बात है।

राष्ट्रपति ने कहा, सदस्यों और पीठासीन अधिकारियों को लोगों की भलाई और देश की प्रगति के लिए एक-दूसरे की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि संसद और विधानसभाएं भारतीय संसदीय प्रणाली की आधारशिला हैं और देशवासियों के बेहतर भविष्य के लिए काम करना उनकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में, आम जनता की अपेक्षाएं, आकांक्षाएं और जागरूकता बढ़ी है और इसलिए संसद और राज्य विधानसभाओं की भूमिका और जिम्मेदारियां पहले से ज्यादा फोकस में हैं।

इस वर्ष के विषय विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण समन्वय, एक जीवंत लोकतंत्र की कुंजी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि देश के सभी तीन अंग सद्भाव में काम कर रहे थे और परंपरा भारत में अपनी जड़ें जमा चुकी हैं।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सम्मेलन के दौरान आयोजित विचार-विमर्श से निकले निष्कर्षो को अपनाकर भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा।

वीएवी/एसजीके

Created On :   25 Nov 2020 5:31 PM IST

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