डॉक्टर वेदांती बोले 'अयोध्या मामले से दूर ही रहें श्री श्री रविशंकर'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में लंबे समय से चले आ रहे अयोध्या विवाद को लेकर श्री श्री रविशंकर के मध्यस्थता वाले बयान पर मुद्दा भड़क गया है। दोनों पक्ष उनके बयान पर भड़क गए। इस मामले को लेकर राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर रामविलास वेदांती का कहना है कि श्री श्री रविशंकर का इससे कुछ भी लेना देना नहीं है, वो इस मामले से दूर रहे, उनकी मध्यस्थता स्वीकार नहीं है। वहीं गरीब नवाज फाउंडेशन के चैयरमेन अंसार रजा ने भी कहा कि "श्री श्री को बीच में बोलने का कोई अधिकार नहीं है, दोनों पक्षों को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
श्री श्री रविशंकर ने कहा था, इस मामले पर एक ऐसे मंच की आवश्यकता है जहां दोनों समुदाय के लोग अपने बीच का भाईचारा दिखा सकें। हालांकि ऐसी ही कोशिश 2003-04 में भी की गई थी। यह पूरी तरह अराजनीतिक प्रयास होगा।
जो लड़े, जेल गए, उन्हें मिले बातचीत का मौका
डॉक्टर वेदांती ने कहा कि श्री राम जन्मभूमि की लड़ाई लड़ते हुए न्यास और विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने जेल की सजा भी काटी है, इसलिए कोई भी बातचीत करने का मौका भी इन्हीं दोनों को मिलना चाहिए। देश के धर्म आचार्य और उलेमाओं को इस मसले का हल निकालने के लिए प्रयास करना चाहिए, श्री श्री रवि शंकर का अयोध्या से क्या मतलब, वो तो कभी यहां आए भी नहीं।
कल्कि महोत्सव में शामिल होने आए डॉक्टर वेदांती ने बताया कि वह खुद 27 बार जेल गए और 35 बार नजरबंद की सजा काट चुके हैं। वहीं आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कहा, "कुछ लोग इस मामले को लेकर मेरे पास आए, मुझसे मिले हैं। मुझे मध्यस्थ बनने में कोई आपत्ति नहीं हैं"। बता दें कि श्रीश्री रविशंकर से निर्मोही अखाड़ा और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) के कुछ सदस्य मिले हैं।
श्रीश्री रविशंकर ने कहा, "मैं अभी कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता, केवल यह इच्छा जाहिर कर सकता हूं कि दोनों समुदायों को इस मसले के हल के लिए आगे आना चाहिए और देश के लिए कुछ महान कार्य करना चाहिए"। कुछ समय पहले इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपस में इस मसले को सुलझाने का प्रयास करें। अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं। यह धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है। किसी भी समुदाय की आस्था आहत नहीं होनी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार इस मामले में संघ की तरफ से भी प्रयास शुरू किए जा रहे हैं। इसका मकसद है कि 2019 के चुनाव से पहले राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू कराना। बता दें कि हाल ही में कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी राम मंदिर बनाने पर अपनी सहमति जताई है।
Created On :   30 Oct 2017 9:24 AM IST