EVM के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों की मीटिंग आज, 2019 पर भी नजर

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। पिछले साल उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों के चुनाव के बाद से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर उठे सवाल अब और तेजी से उठने लगे हैं। शनिवार को EVM की बजाय बैलेट पेपर से वोटिंग कराने की मांग को लेकर विपक्षी दलों की मीटिंग होने वाली है। इस मीटिंग की पहल समाजवादी पार्टी ने की है और सभी विपक्षी दलों को इनवाइट किया गया है। बताया जा रहा है कि ये मीटिंग लखनऊ के जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में सुबह 11 बजे होने वाली है।
विपक्ष माना, BSP की सहमति बाकी
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लखनऊ के जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट में होने वाली इस मीटिंग को सपा की तरफ से रखा गया है। इसमें सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद मौजूद रहेंगे। इस मीटिंग के लिए कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को इनवाइट किया गया है। हालांकि बताया जा रहा है कि मायावती की बीएसपी ने अभी तक अपनी सहमति नहीं दी है। मायावती ने ही सबसे पहले EVM में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया था।
अगले दिन होगी प्रेस कॉन्फ्रेंस
इस मीटिंग में सभी विपक्षी पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष को बुलाया गया है। ये मीटिंग इसलिए भी खास है क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और अभी उत्तरप्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर भी बायपोल होने हैं। बताया जा रहा है कि इस मीटिंग में EVM के मुद्दे को एक जन आंदोलन बनाने की रणनीति बनाई जाएगी। बताया जा रहा है कि शनिवार को मीटिंग के बाद 7 जनवरी को अखिलेश यादव एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे, जिसमें मीटिंग में क्या चर्चा हुई, इसकी जानकारी देंगे।
गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव पर भी चर्चा
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट पर बायपोल होने हैं। इसके साथ ही फूलपुर लोकसभा सीट पर भी बायपोल होने हैं। फूलपुर से केशव प्रसाद मौर्या सांसद थे, जो अब यूपी सरकार में डिप्टी सीएम हैं। इन दोनों ही सीटों पर जल्द ही बायपोल होने हैं। ऐसे में इस मीटिंग में इन बायपोल पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। गोरखपुर सीट 1991 से बीजेपी के पास है, तो वहीं फूलपुर यूपी की वीआईपी सीट में गिनी जाती है। फूलपुर सीट से ही भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू सांसद थे। विपक्ष इस मीटिंग में इन बायपोल में EVM की बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव पर भी नजर
2018 की शुरुआत हो चुकी है और साल के आखिरी तक लोकसभा चुनाव की हलचलें तेज हो जाएंगी। इस समय नरेंद्र मोदी और बीजेपी के सामने अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत किसी पार्टी की नहीं है। इस मीटिंग में अगर सभी विपक्षी पार्टियां शामिल होती हैं, तो एक बार फिर से विपक्ष की एकजुटता देखने को मिलेगी। विपक्ष के पास भी एकसाथ आने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं है। यूपी में कांग्रेस और सपा एकसाथ आई थी, लेकिन फिर भी बीजेपी ने 300 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाई। हालांकि बिहार में लालू और नीतीश के साथ आने से बीजेपी हार गई थी। भले ही बाद में नीतीश के लालू से अलग होने के बाद बीजेपी बिहार में सरकार बनाने में कामयाब रही थी। ऐसे में सभी विपक्षी पार्टियां एकसाथ आने की कोशिश करेगी, ताकि 2019 में बीजेपी को टक्कर दे सके।
कब उठा था EVM में गड़बड़ी का मुद्दा?
EVM में गड़बड़ी का मुद्दा सबसे पहले बीजेपी ने 2009 में उठाया था, लेकिन उस वक्त मामला इतना तूल नहीं पकड़ सका। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद बीएसपी चीफ मायावती ने EVM में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया, लेकिन उस वक्त उन्हें विपक्ष का साथ नहीं मिला। 2017 के यूपी समेत 5 राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद EVM में गड़बड़ी का मामला तूल पकड़ा और इस बार बीएसपी, सपा, कांग्रेस, आरजेडी, टीएमसी, आप समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को उठाया। आम आदमी पार्टी ने तो बकायदा विधानसभा में नकली EVM लाकर डेमो भी दिखाया था। इसके बाद इलेक्शन कमीशन ने भी EVM हैक करने का चैलेंज दिया, लेकिन इक्का-दुक्का को छोड़कर कोई भी सामने नहीं आया। बाद में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में भी ये मुद्दा उठा। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने गुजरात में नतीजों से पहले ही EVM पर हार का ठींकरा फोड़ दिया था। हालांकि इस बार गुजरात और हिमाचल में EVM के साथ-साथ VVPAT का इस्तेमाल भी किया गया था। अब एक बार फिर से EVM मुद्दे को लेकर विपक्ष एकजुट हुआ है।
Created On :   6 Jan 2018 8:18 AM IST