बिल्डिंग निर्माण के समय लगे अग्निशामक यंत्र थे बंद, नहीं ली NOC, बच्चों को बचाने के लिए परिजनों ने ऐसे लगाई जान की बाजी

धुआं धुआं कमला नेहरू अस्पताल बिल्डिंग निर्माण के समय लगे अग्निशामक यंत्र थे बंद, नहीं ली NOC, बच्चों को बचाने के लिए परिजनों ने ऐसे लगाई जान की बाजी
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  • देखरेख में प्रबंधन की लापरवाही

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सूबे के सबसे बड़े अस्पताल हमीदिया परिसर के कमला नेहरू अस्पताल में सोमवार की रात अचानक आग लगने से चार बच्चों की मौके पर मौत हो गई है। जिन 4 नवजात बच्चों की मौत हुई है उनकी उम्र तकरीबन एक सप्ताह के आसपास थी। जिनमें सबसे छोटी बेबी रचना मात्र एक दिन की थी।

अस्पताल में बंद था स्वचलित हाईड्रेंट, धुआं निकलने के लिए पर्याप्त स्पेस नहीं
गगनचुंबी छूते राजधानी के हॉस्पीटल में आग से बचाव के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं थे। पर डे हजार मरीजों के इलाज करने वाले अस्पताल में फायरकर्मियों ने स्वचलित हाईड्रेंट को जब देखा तब वो शो पीस बने पडे थे। हर फ्लोर पर फायर एक्सटींग्यूशर थे लेकिन वो भी काम नहीं कर रहे थे।फायर अधिकारी का कहना है कि हमीदिया हॉस्पीटल ने फायर एनओसी ली थी लेकिन कमला नेहरू अस्पताल में एनओसी लेना भी जरूरी नहीं समझा औऱ बिल्डिंग के निर्माण के समय लगे उपकरण चालू भी नहीं किया। 

तड़पते बच्चे और परिजन

आग में तड़पते अपने बच्चों के लिए वहां मौजूद परिजन तड़प रहे थे। अभी भी 36 बच्चे अस्पताल में हैं। बच्चों के परिजन उनका हाल जानने के लिए अस्पताल में भटक रहे हैं, मगर कोई सही जवाब देने के लिए तैयार नहीं है। छाती पीटते हुए रोते बिलखते राजगढ़ के चोटिल रमेश दांगी बताते है कि मेरे दोनों बच्चें अस्पताल में भर्ती थे मैं दूध देकर लौट ही रहा थी कि अचानक वार्ड में धुआं निकलने लगा मुझे स्टाफ ने अंदर नहीं जाना दिया। मैंने करीब 25 शीशे तोड़कर धुआं निकालने की कोशिश की ताकि बच्चों की जान बच सके। अस्पताल स्टाफ ने पब्लिक को अंदर नहीं घुसने दिया। मैं अपने बच्चों को देख नहीं पाया हूं। वहीं मेरी बीवी अभी सुल्तानिया अस्पताल में भर्ती है तीन दिन पहले ही बच्चों का जन्म हुआ था। इसके बाद रमेश दांगी छाती पीटकर रोने लगता है।

40 बच्चे, 4 की मौत, 36 बच्चों को बचाने में करनी पड़ी मशक्कत
वार्ड में धुएं के बीच से बच्चों को निकालना एक बड़ी मुश्किल थी लेकिन मौजूद स्टाफ ने फौरन बिना देरी किए जान जोखिम में डालते हुए बच्चों को सुरक्षित वार्ड में शिफ्ट किया। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों के मुताबिक दम घुटते हुए बच्चों को बचाकर एक बेड पर पांच पांच बच्चों को रखना पड़ा। 
अफरा तफरी के बीच नियानेट बच्चों को संभालना स्टाफ के लिए बड़ी चुनौती थी,  दूसरी तरफ  चिंतित परिजनों को समझाना संभालना भी मुश्किल काम था। पुलिस और अन्य कर्मचारी बेकाबू परिजनों को संभालने में लगे हुए थे। परिजन अपने बच्चों को देखने के लिए दरवाजे तोड़ने पर आमादा थे।
दैनिक भास्कर को फायरकर्मी अदनान ने बताया कि पूरे अस्पताल में अफरा तफरी मची हुई थी। सीढियों से लेकर गलियारे तक में परिजन रोते हुए दौड़ रहे थे। धुआं इतना अधिक था कि घुटने के सहारे चलते हुए वार्ड के अंदर घुसे थे। बच्चों के साथ स्टाफ की नर्स भी बेसुध हालात में थी उन्हें भी बाहर निकाला गया। वार्ड में लपटें कम धुआं ज्यादा था। खिड़कियों के कांच तोड़े गए ताकि धुआं बाहर निकल सके। 
 

Created On :   9 Nov 2021 1:27 PM IST

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