कृषि मंत्री बोले- मंडी की जंजीरों से मुक्ति के लिए बनाए कृषि कानून, किसानों को आपत्ति है तो सरकार खुले मन से बातचीत को तैयार

कृषि मंत्री बोले- मंडी की जंजीरों से मुक्ति के लिए बनाए कृषि कानून, किसानों को आपत्ति है तो सरकार खुले मन से बातचीत को तैयार
हाईलाइट
  • किसानों की सभी आशंकाओं को दूर करने के लिए कृषि मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस
  • कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन का आज 15वां दिन
  • तोमर बोले- मंडी की जंजीरों से मुक्ति के लिए बनाए गए तीनों कृषि कानून

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन का आज 15वां दिन है। कानून में संशोधन के प्रस्ताव को खारिज किए जाने के बाद अब सरकार किसानों की सभी आशंकाओं को दूर कर ने की कोशिश कर रही है। ऐसे में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सरकार मंडी की जंजीरों से किसानों को स्वतंत्र करना चाहती थी ताकि वे अपनी उपज कहीं भी, किसी भी कीमत पर बेच सकें। तोमर ने कहा कि किसानों को आपत्ति है उन प्रावधानों पर सरकार खुले मन से बातचीत करने के लिए तैयार है। सरकार की कोई इगो नहीं है और सरकार को उनके साथ बैठकर चर्चा करने में कोई दिक्कत नहीं है।

क्या कहा नरेंद्र सिंह तोमर ने?
नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, संसद के सत्र में सरकार कृषि से जुड़े तीन कानून लेकर आई थी। इन कानूनों पर संसद में सभी दलों के सांसदों ने अपना पक्ष रखा था। लोकसभा और राज्यसभा में बिल पारित हुआ था। चर्चा के दौरान सभी सांसदों ने अपने विचार रखे। ये तीनों कानून आज देशभर में लागू हैं। तीनों कृषि कानून किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए है। तय समय में भुगतान की व्यवस्था की गई है। किसानों की जमीन सुरक्षित रखने का ध्यान रखा गया है। नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं। मंडी से बाहर जाकर भी किसानों को अपनी फसल बेचने की छूट दी गई।  

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कानून के वे प्रावधान जिन पर किसानों को आपत्ति है उन पर सरकार खुले मन से विचार करने पर सहमत है। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह कानून वैद्य नहीं है। इस कानून से एमएसपी कहीं से भी प्रभावित नहीं होती है। हम लोगों ने प्रस्ताव दिया कि राज्य सरकार निजी मंडियों की व्यवस्था भी लागू कर सकती है। हमारे एक्ट में ये था कि पैन कार्ड से ही खरीद हो सकेगी। पैन कार्ड से खरीदी को लेकर किसानों के आशंका के समाधान के लिए भी हम राजी हुए। कृषि मंत्री ने कहा कि दूसरा उनका मुद्दा था कि आपने विवाद निपटाने के लिए एसडीएम को शामिल किया है। छोटा किसान होगा छोटे क्षेत्र का होगा तो जब वो न्यायालय जाएगा तो वहां समय लगेगा। हम लोगों ने इसके समाधान के लिए भी न्यायालय में जाने का विकल्प दिए।

तोमर ने किसान संघों से आग्रह किया गया कि जो प्रस्ताव सरकार ने भेजा है, उस पर विचार कीजिए और जब भी आप कहेंगे हम चर्चा के लिए तैयार हैं। 2006 में स्वामीनाथन रिपोर्ट आई थी, लंबे समय तक इंतजार किया गया पर डेढ़ गुना एमएसपी लागू नहीं हुई। मोदी सरकार आने पर उन्होंने लागत मूल्य पर पचास प्रतिशत का मुनाफा देकर एमएसपी घोषित की, जिसका फायदा पूरे देश को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हम लोगों को लगता था कि कानूनी प्लेटफॉर्म का फायदा लोग अच्छे से उठाएंगे। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होगा। नई तकनीक से जुड़ेगा। बुआई के समय ही उसको मुल्य की गारंटी मिल जाएगी। 

Created On :   10 Dec 2020 11:11 AM GMT

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