ग्वालियर में 'गन वाले' गीता के सहारे युवाओं तक पहुंचाएंगे गांधी का संदेश

Gunwale will distribute Gandhis message with the help of Geeta
ग्वालियर में 'गन वाले' गीता के सहारे युवाओं तक पहुंचाएंगे गांधी का संदेश
ग्वालियर में 'गन वाले' गीता के सहारे युवाओं तक पहुंचाएंगे गांधी का संदेश
हाईलाइट
  • गीता पुस्तक बांटकर गांधी का संदेश युवाओं तक पहुंचाने का अभियान

डिजिटल डेस्क, ग्वालियर। गन, गांधी और गीता में सामंजस्य स्थापित करना यूं तो बहुत कठिन काम है, मगर मध्यप्रदेश के ग्वालियर अंचल में यह प्रयास चल रहा है। यहां के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) राजा बाबू सिंह जो स्वयं गन (बंदूक) वाले हैं, गांधी जयंती से एक दिन पहले गीता पुस्तक बांटकर गांधी का संदेश युवाओं तक पहुंचाने का अभियान चलाने वाले हैं।

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की पहचान डकैतों के इलाके के रूप में रही है, यहां अपराध अब भी बदस्तूर जारी है, भले ही उसका स्वरूप बदल गया हो। युवा पीढ़ी भी इससे बची नहीं है। गलत रास्ते पर चल रही यहां की नई पीढ़ी को सही दिशा देने के लिए खाकी वर्दी में रहने वाले राजा बाबू सिंह अपनी तरह से इन्हें सुधारने का अभियान चलाए हुए हैं। वह कभी रामायण तो कभी श्रीमद्भगवत गीता पर प्रवचन करते नजर आ जाते हैं। पुलिस की बैठकों में भी उनकी हिदायतें रामायण और गीता के दृष्टांतों के जरिए सीख देने वाली होती है।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती की पूर्व संध्या पर राजा बाबू सिंह एक नया अभियान शुरू करने जा रहे हैं। वह एक अक्टूबर से ग्वालियर परिक्षेत्र में श्रीमद् भगवत गीता की प्रतियां बांटने वाले हैं। यह एक अजब संयोग है कि गनवाला पुलिस अफसर गीता के सहारे गांधी का संदेश जन-जन तक पहुंचाने जा रहा है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजा बाबू ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, बीते 25 साल से पुलिस सेवा में हूं और इस दौरान विभिन्न पदों पर रहा हूं। इस दौरान मैंने पाया कि युवाओं के आईक्यू (इंटेलीजेंस क्यूटेंट) और ईक्यू (इमोशनल क्यूटेंट) संतुलन नहीं होता, जिसके चलते वह अपनी भावना (इमोशन) मैनेज नहीं कर पाता। उदाहरण के तौर पर, किसी युवा के मन में ईष्या, घृणा, प्रेम, प्रतिस्पर्धा, द्वेष चल रही होती है, इसी कारण उसके व्यक्तित्व में एकरूपता नहीं होती, वे ऊपर से जैसा दिखते हैं, अंदर से वैसा नहीं होते। उनके भीतर कुछ और ही चल रहा होता है।

सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, जिन बच्चों के व्यक्तित्व (पर्सनैलिटी) में एकरूपता (इंटीग्रिटी) नहीं होती, वे गलत आदतों का शिकार हो जाते हैं, वे नशीले पदार्थो के आदी बन जाते हैं, अपराध करने लगते हैं और समाज के लिए अशांति का कारण बनने लगते हैं। उसके बाद आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। इतना ही नहीं, समाज में असहिष्णुता भी बढ़ रही है, वर्तमान में कोई भी दूसरे को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। आतंकवाद, मॉब लिंचिंग, असहिष्णुता इसी का दुष्परिणाम है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजा बाबू सिंह श्रीमद्भगवत गीता को युवा पीढ़ी को गलत रास्ते पर जाने से रोकने के लिए रामबाण मानते हैं। उनका कहना है, गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। यह इतना बड़ा रामबाण है कि बच्चे को इसका अध्ययन कराया जाए तो मुझे नहीं लगता कि बच्चा कभी भी गलत रास्ते पर जाएगा। इसके चलते अपराधों में कमी आएगी। यह एक प्रयोग है, जिसे गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर ग्वालियर से शुरू किया जा रहा है।

गांधी जयंती और अक्टूबर माह में ही आप गीता क्यों बांट रहे हैं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है और अक्टूबर का महीना हिंदी मास के अनुसार कार्तिक का है, जो बहुत पवित्र माना जाता है। गांधीजी कहते थे कि वे जब भी कभी निराश होते थे तो गीता पढ़ते रहते थे, गीता ने उन्हें बहुत दिशा दी है। इसीलिए गांधी जयंती की पूर्व संध्या से इस अभियान की शुरुआत कर रहा हूं। वहीं कार्तिक माह को कृष्ण जो प्रेम-स्नेह के प्रतीक हैं, उनके लिहाज से पवित्र माना जाता है।

पुलिस अधिकारी का गीता वितरण अभियान गांधी जयंती की पूर्व संध्या के मौके पर ग्वालियर स्थित आईआईआईएमटी (अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान) से शुरू होने जा रहा है। इस मौके पर गीता की 1008 प्रतियां बांटी जाएंगी। उसके बाद ग्वालियर परिक्षेत्र के शिवपुरी, गुना और अशोकनगर में विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित कर छात्रों को गीता की प्रति दी जाएगी।

 

Created On :   30 Sep 2019 1:30 PM GMT

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