'मुसलमानों की असुरक्षा की भावना' पर घिरे हामिद अंसारी, सोशल मीडिया पर भी हुए ट्रोल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुरुवार को हामिद अंसारी ने अपना 10 साल का उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा कर लिया, जिसके बाद उन्हें राज्यसभा में विदाई दी गई। अंसारी की जगह वेंकैया नायडू ले रहे हैं। लेकिन जाते-जाते हामिद अंसारी लड़ाई का बीज बो गए हैं। अंसारी ने अपने अंतिम कार्यदिवस के ठीक एक दिन पहले राज्यसभा टीवी को दिए एक इंटरव्यू में "मुसलमनों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना की बात कही थी।"
अंसारी के बयान के बाद से अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी उन्हें ट्रोल किया जा रहा है।
बीजोपी ने की कड़ी आलोचना
बीजेपी ने भी देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बयान की कड़ी आलोचना की। बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि मुसलमानों के लिए पूरी दुनिया में भारत जैसा कोई देश नहीं है। बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि हामिद अंसारी का ये बयान उनके पद के अनुकूल नहीं है। साथ ही अन्य हिंदू संगठनों ने अंसारी के बयान की आलोचना की है।
शिवसेना ने भी लिया आड़े हाथों
मामले पर शिवसेना ने कहा है कि अगर उन्हें मुस्लिमों में असुरक्षा की भावना दिखती रही थी, तो बहुत पहले ही इस्तीफा देकर जनता के बीच आ जाना चाहिए था। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा "देश के मुसलमानों में अगर अंसारी साहब को बेचैनी और असुरक्षा की भावना दिखती है तो उन्होंने पहले इस्तीफा क्यों नहीं दे दिया। जब वो जा रहे हैं तब इस तरीके का बयान देकर राजनीति कर रहे हैं।"
अंसारी की टिप्पणी को नजमा हेपतुल्ला ने बताया "अपमानजनक"
मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को देश के मुसलमानों के बारे में "अपमानजनक" टिप्पणी पर निंदा की है। हेपतुल्ला ने कहा "उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो माहौल खराब कर सके। हमारी जिम्मेदारी है कि हम लोगों के बीच शांति बनाए रखने में मदद करें। ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने से जितना संभव हो उतना बचना चाहिए।"
राजनीति से प्रेरित बयान : वेंकैया नायडू
देश के नए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने अंसारी का नाम लिए बगैर कहा कि अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना होने की बात राजनीति से प्रेरित है। नायडू ने कहा, "भारत दुनिया का सर्वाधिक सहिष्णुता वाला देश है और देश के मुसलमानों में असुरक्षा जैसी कोई भावना नहीं है। कुछ लोग कह रहे हैं कि अल्पसंख्यक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ये राजनीतिक दुष्प्रचार है।
पहले भी दे चुके हैं बयान
ये पहला मौका नहीं है जब अंसारी ने इस तरह के बयान दिए हैं। इससे पहले अलग-अलग मौकों पर वो अल्पसंख्यकों और दलितों के हितों की चिंता जाहिर करते हुए बयान देते रहे हैं।
बीफ मामले पर बोले अंसारी-ग्रेटर नोएडा के दादरी में बीफ के शक में अखलाक नाम के शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। मामले की पूर देश में आलोचना हुई और बतौर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी इस घटना पर अफसोस जताया था। उन्होंने कहा था कि "देश के हर नागरिक को जीने का हक है और सभी की जिम्मेदारी है कि अपने पड़ोसियों की रक्षा करें। सरकार भी अधिकारों की सुरक्षा करे।"
केंद्र पर साधा था निशाना-2015 में भी तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने सीधे तौर पर मोदी सरकार को टारगेट किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को मुसलमानों के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करना चाहिए। उस दौरान उन्होंने कहा था कि सरकार का "सबका साथ सबका विकास" नारा काबिल-ए तारीफ है। लेकिन इस देश के मुसलमानों को हमेशा सवालिया निशानों से देखने से बाज आना चाहिए।
विश्वविद्यालयों की आजादी है चुनौती-इसके अलावा उन्होंने इसी साल मार्च में पंजाब यूनिवर्सिटी में कहा था कि विश्वविद्यालयों की आजादी के सामने आज चुनौती खड़ी हो गई है। उन्होंने कहा कि हाल के समय में सिकुड़ी मानसिकता का दायरा फैल रहा है। उन्होंने कहा था कि संविधान में असहमति और विरोध का जताने का अधिकार इसीलिए दिया गया है कि समाज में विचारों की आजादी बनी रहे।
Created On :   11 Aug 2017 8:38 AM IST