थल सेना के बेड़े में शामिल हुईं नई तोपें, वज्र से बढ़ी भारत की ताकत
- सैन्य प्रमुख जनरल बिपिन रावत भी मौजूद रहेंगे
- रक्षामंत्री नासिक पहुंचर सेना के बेड़े में करेंगी शामिल
- सीमा पर दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं चुनौतियां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सेना के लिए सीमा पर दिन ब दिन चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। इससे निपटने के लिए सेना के बेड़े में भी आधुनिक हथियार शामिल किए जा रहे हैं। सेना को शुक्रवार को कुछ ऐसे हथियार दिए गए, जो युद्ध के समय सेना के बहुत काम आ सकते हैं। सेना ने अपने बेड़े में एम 777 होवित्जर (अमेरिकन) तोप और के-9 वज्र शामिल किया है। इससे भारतीय सेना की क्षमता कई गुना बढ़ गई है। रक्षामंत्री निर्माला सीतारमण ने नासिक के देवलाली तोपखाना केंद्र पहुंचकर इन हथियारों को सेना में शामिल किया, उनके साथ सैन्य प्रमुख जनरल बिपिन रावत भी मौजूद थे।
रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक 4,366 करोड़ रुपए की लागत से बने के-9 वज्र को सेना में शामिल किया गया है। नवंबर 2020 तक हथियारों को बनाने का काम पूरा हो जाएगा। नवंबर 2018 में पहली खेप के तहत 10 तोपों की आपूर्ति की जाएगी। इसके बाद नवंबर 2019 में 40 तोप दी जाएंगी। 50 तोंपों की आखरी खेप नवंबर 2020 में भेजी जाएगी। अनुमान के मुताबिक जुलाई 2019 तक के-9 वज्र की पहली रेजीमेंट पूरी हो जाएगी।
के-9 पहली ऐसी तोप है, जिसे भारतीय निजी क्षेत्र ने बनाया है। इस तोप की अधिकतम रेंज 38 किलोमीटर तक हैं। ये तोप 30 सेकंड में 3 गोले दाग सकती है। इसके अलावा थल सेना 145 एम 777 होवित्जर की सात रेजीमेंट भी तैयार करने वाली है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि तोप की आपूर्ति की प्रक्रिया 24 महीने में पूरी होगी। पहली रेजीमेंट अक्टूबर 2019 में पूरी हो जाएगी। इस तोप को हेलीकॉप्टर या विमान के जरिए कहीं भी ले जाया जा सकता है। के-9 वज्र और एम 777 अल्ट्रालाइट होवित्जर तोप का प्रोजेक्ट 5000 करोड़ रुपए का है। भारतीय सेना की आर्टीलरी रेजीमेंट में वर्ष 2021 तक कुल 145 एम-777 अल्ट्रालाइट होवित्जर शामिल होंगी। इसका वजन केवल 4.2 टन है।
Created On :   9 Nov 2018 10:29 AM IST