- भारत में पिछले 24 घंटे में #COVID19 के 13,823 नए मामले सामने आए। 162 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1,52,718 हो गई है।
- J-K: अख्नूर सेक्टर पर पाकिस्तान ने तोड़ा सीजफायर, फायरिंग में 4 भारतीय जवान जख्मी
- तांडव विवाद: मुंबई पहुंची UP पुलिस, आज वेब सीरीज के डायरेक्टर-प्रोड्यूसर से होगी पूछताछ
- गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व आज, PM मोदी ने उनके साहस और बलिदान को किया याद
- मुस्लिम संगठनों की ओर से 22 जनवरी को बुलाया गया बेंगलुरु बंद कैंसिल
सुप्रीम कोर्ट: सीबीआई, एनआईए, ईडी के दफ्तरों में भी नाइट विजन वाले सीसीटीवी लगाएं

हाईलाइट
- सीबीआई, एनआईए, ईडी के दफ्तरों में भी नाइट विजन वाले सीसीटीवी लगाएं : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि जब भी पुलिस स्टेशनों पर बल प्रयोग किए जाने की सूचना आती है, जिस कारण गंभीर चोट या हिरासत में मौतें होती हैं, तो यह आवश्यक है कि व्यक्ति समाधान के लिए शिकायत करने को स्वतंत्र हों।
इस पृष्ठभूमि में, शीर्ष अदालत ने केंद्र को राष्ट्रीय जांच एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो आदि जैसी जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिग उपकरण स्थापित करने का निर्देश दिया, जिनके पास गिरफ्तारी की शक्ति है और पूछताछ करने की शक्ति है।
न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ और न्यायमूर्ति के.टी. जोसेफ और अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, चूंकि इनमें से ज्यादातर एजेंसियां अपने कार्यालय (एस) में पूछताछ करती हैं, इसलिए सीसीटीवी अनिवार्य रूप से उन सभी कार्यालयों में लगाए जाएंगे जहां इस तरह की पूछताछ और आरोपियों की पकड़ उसी तरह होती है जैसे किसी पुलिस स्टेशन में होती है।
शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सीसीटीवी सिस्टम जो लगाए जाने हैं, उन्हें नाइट विजन से लैस होना चाहिए और जरूरी है कि ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी शामिल हो। सबसे महत्वपूर्ण, यह कहा गया कि सीसीटीवी कैमरा फुटेज का भंडारण है जो डिजिटल वीडियो रिकार्डर या नेटवर्क वीडियो रिकार्डर में किया जा सकता है ।
अदालत ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों को फिर इस तरह के रिकॉर्डिग सिस्टम के साथ स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि उस पर संग्रहीत डेटा को 18 महीनों तक संरक्षित किया जा सके। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार हनन रोकने के लिए थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था। पीठ ने कहा कि 24 नवंबर तक 14 राज्य सरकारों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने अनुपालन हलफनामे और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल की, लेकिन इनमें से अधिकांश रिपोर्ट प्रत्येक पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरों की सही स्थिति का खुलासा करने में विफल रही।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।