पीएम मोदी और राष्ट्रपति कोविंद से मिले ईरानी प्रेसिडेंट, चाबहार पोर्ट पर हो सकती है चर्चा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तीन दिन के भारत दौरे पर आई ईरानी प्रेसिडेंट हसन रूहानी आज राष्ट्रपति भवन पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके बाद रूहानी सीधे राजघाट पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की। तीन दिन के दौरे पर भारत पहुंचे हसन रूहानी ने अपने दौरे के शुरुआत हैदराबाद से की थी, जहां उन्होंने मक्का मस्जिद में जुमे की नमाज भी अदा की। शनिवार को ही रूहानी अपने देश वापस लौट जाएंगे। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2016 में ईरान गए थे।
हैदराबाद से शुरू हुई रूहानी की यात्रा
गुरुवार को ईरानी प्रेसिडेंट हसन रूहानी हैदराबाद के बेगमपेट एयरपोर्ट पहुंचें और बाद में मुस्लिम इंटलेक्चुअल्स और धर्मगुरुओं को संबोधित किया। गुरुवार और शुक्रवार को रूहानी हैदराबाद में ही रहे और ये उनका निजी दौरा रहा, जबकि आधिकारिक मुलाकातों का दौर शनिवार से शुरू हुआ। रूहानी ने हैदराबाद की भव्य मक्का मस्जिद में जुमे की नमाज भी अदा की। भारत की किसी मस्जिद में नमाज अदा करने वाले रूहानी पहले विदेशी राष्ट्राध्यक्ष हैं। शनिवार सुबह ही रूहानी ने पीएम मोदी और राष्ट्रपति कोविंद से भी मुलाकात की।
#PresidentKovind accorded a ceremonial welcome to President Dr Hassan Rouhani of Iran at Rashtrapati Bhavan this morning pic.twitter.com/PtaktXUNCo
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 17, 2018
चाबहार पोर्ट पर हो सकता है फैसला
इसके साथ ही ईरानी प्रेसिडेंट हसन रूहानी का शनिवार को भारत में आखिरी दिन है और चाबहार पोर्ट पर भी कुछ बड़ा फैसला हो सकता है। चाबहार पोर्ट दोनों ही देशों का प्रोजेक्ट है, जिसका काम भी शुरू हो चुका है। चाबहार पोर्ट के जरिए ही भारत बिना पाकिस्तान जाए अफगानिस्तान तक अपनी पहुंच बना सकता है। इस प्रोजेक्ट से जहां ईरान में रोजगार बढ़ेगा, वहीं भारत इसके जरिए चीन-पाकिस्तान पर दबाव बना सकता है।
क्या है चाबहार प्रोजेक्ट?
चाबहार पोर्ट भारत की मदद से ईरान में बनाया जा रहा है। हाल ही में इसके पहले फेज का उद्घाटन किया गया है। भारत इस प्रॉजेक्ट में 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है। वहीं, चीन ग्वादर बंदरगाह को चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर के हिस्से के रूप में विकसित कर रहा है, जिसे CPEC के नाम से भी जाना जाता है। भारत के लिए यह चाबहार पोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे भारत के लिए वेस्ट एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। चाबहार के खुलने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बड़ा सहारा मिलेगा। पिछले साल भारत ने अफगानिस्तान को गेहूं से भरा पहला जहाज इसी बंदरगाह के रास्ते भेजा था।
Created On :   17 Feb 2018 3:01 PM IST