ISRO 2019 में लॉन्च करेगा भारत का पहला छोटा रॉकेट, जानिए क्या है खासियत
- ISRO ने अगले साल 2019 में अपने पहले छोटे रॉकेट को लॉन्च करने की योजना बनाई है।
- इस रॉकेट (PSLV-C42) की भार ले जाने की क्षमता 500-700 किलोग्राम होगी।
- योजना के तहत इस छोटे रॉकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित वर्तमान रॉकेटपोर्ट से ही लॉन्च किया जाएगा।
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) अपनी कई सफलताओं के बाद अब एक और बड़ी कामयाबी हासिल करने की योजना बना रहा है। ISRO ने अगले साल 2019 में अपने पहले छोटे रॉकेट को लॉन्च करने की योजना बनाई है। योजना के तहत इस छोटे रॉकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित वर्तमान रॉकेटपोर्ट से ही लॉन्च किया जाएगा। बताया गया है कि इस रॉकेट (PSLV-C42) की भार ले जाने की क्षमता 500-700 किलोग्राम होगी। इसके पहले इसरो 16 सितम्बर की शाम को अपने कामर्शियल मिशन के तहत दो विदेशी उपग्रह लांच करेगा।
इसरो के अध्यक्ष के. सिवान ने मीडिया से बात करते हुए ये जानकारी दी है। के. सिवान ने बताया, "ऐसे छोटे रॉकेट जो करीब 500 किलोग्राम वजन के उपग्रहों को ढो सकें, उनका विकास जारी है। पहले छोटे रॉकेट की उड़ान अगले साल हो सकती है।’ एस. राकेश के रॉकेट लॉन्च के लिए अलग स्पेसपोर्ट बनाने की बात पर सिवान ने कहा कि शुरुआत में तो छोटे रॉकेटों को श्रीहरिकोटा से ही प्रक्षेपित किया जाएगा। एन्ट्रिक्स की भविष्य में अपनी योजनाएं हो सकती हैं।
इससे पहले एन्ट्रिक्स कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस. राकेश भी छोटे रॉकेट के बारे में बयान दे चुके हैं। हाल ही में बेंगलुरू में मीडिया के साथ बातचीत में राकेश ने कहा था कि कम लागत के छोटे रॉकेटों के लिए एक लॉन्च पैड की जरूरत है, जिसका सरल वर्टिकल लॉन्च मेकनिजम होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘शुरुआत में एसएसएलवी को हमारे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा। हम बाद में एक अलग स्पेसपोर्ट बनाने पर काम करेंगे।’
नया स्पेसपोर्ट बनाने के लिए हो रही नई भर्ती
गौरतलब है कि एन्ट्रिक्स ने भारतीय नागरिकों से स्पेस सिस्टम के विनिर्माण और विपणन प्रमुख के पद के लिए आवेदन आमंत्रित किया है। इस नौकरी के विवरण में लिखा गया है कि एन्ट्रिक्स नया स्पेसपोर्ट बनाने पर विचार कर रही है, जिसके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी इस पद को संभालने वाले की होगी और उसे ISRO के साथ और तकनीक का हस्तांतरण और प्रणाली के उत्पादन करने वाली कंपनियों के साथ मिलकर काम करना होगा।
Created On :   15 Sept 2018 9:17 PM IST