जस्टिस एके सीकरी ने ठुकराया मोदी सरकार का अहम प्रस्ताव, राहुल ने साधा निशाना
- मोदी सरकार ने उन्हें उनके रिटायरमेंट के बाद कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल का सदस्य मनोनीत करने का प्रस्ताव भेजा था।
- जज एके सीकरी ने लंदन स्थित कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल में सदस्य के तौर पर मनोनित किए जाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है।
- जस्टिस एके सीकरी
- उन तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी में शामिल थे
- जिसने आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ पद से हटाने का फैसला लिया था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज एके सीकरी ने लंदन स्थित कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल में सदस्य के तौर पर मनोनित किए जाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। मोदी सरकार ने उन्हें उनके रिटायरमेंट के बाद कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल का सदस्य मनोनीत करने का प्रस्ताव भेजा था, जिस पर पहले उन्होंने सहमति दी थी लेकिन अब उन्होंने अपने सहमति वापस ले ली है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाने के उनके फैसले के बाद उठे विवादों के चलते उन्होंने मोदी सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकराया है।
बता दें कि जस्टिस एके सीकरी, उन तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी में शामिल थे, जिसने आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ पद से हटाने का फैसला लिया था। सीकरी के अलावा इस कमेटी में पीएम मोदी और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे थे। खड़गे, आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर बने रहने देने के पक्ष में थे, जबकि पीएम मोदी और सीकरी ने वर्मा को हटाना सही समझा था। हाई पावर कमेटी ने 2-1 से आलोक वर्मा को पद से हटा दिया था। इसी फैसले के बाद से सीकरी विवादों में आ गए थे।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीकरी के इस फैसले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना भी साधा है। उन्होंने सीकरी के इस अहम प्रस्ताव को ठुकराने वाली एक खबर को शेयर करते हुए ट्वीट किया है, "जब न्याय के तराजू के साथ छेड़छाड़ की जाती है, तो अराजकता का राज होता है। राफेल सौदे से बचने के लिए प्रधानमंत्री सब कुछ रोक सकते हैं। सब कुछ नष्ट कर सकते हैं। वे डरे हुए हैं। ये उनका डर ही है जो उन्हें भ्रष्टाचारी और संवैधानिक संस्थाओं को खत्म करने वाला बना रहा है।"
When the scales of justice are tampered with, anarchy reigns.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 13, 2019
This PM will stop at nothing, stoop to anything destroy everything, to cover up the #RafaleScam. He’s driven by fear. It’s this fear that is making him corrupt destroy key institutions.https://t.co/IfYHf2EMGd
बता दें कि कॉमनवेल्थ सेक्रटरिएट आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल, कॉमनवेल्थ देशों के मेमोरैंडम का पालन सुनिश्चित करती है। अध्यक्ष समेत इसमें 8 सदस्य होते हैं। हर सदस्य 5 साल के लिए मनोनीत किया जाता है। जस्टिस एके सीकरी को भी मोदी सरकार ने 5 साल के लिए इस ट्राइब्यूनल का सदस्य बनने का प्रस्ताव भेजा था। वे 6 मार्च को रिटायर होने के बाद ट्राइब्यूनल को ज्वॉइन करने वाले थे।
Created On :   13 Jan 2019 10:07 PM IST