शरद अरविंद बोबडे बने भारत के 47 वें मुख्य न्यायाधीश, शपथ के बाद छुए मां के पैर

शरद अरविंद बोबडे बने भारत के 47 वें मुख्य न्यायाधीश, शपथ के बाद छुए मां के पैर

डिजिटल डेस्क, दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद पर ऐतिहासिक फैसला देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस शरद अरविंद बोबडे भारत के 47 वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं। राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस बोबडे को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस बोबडे ने शपथ ग्रहण के बाद अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के रिटायरमेंट के बाद आज जस्टिस एस ए बोबडे ने देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश का पद संभाल लिया है। 


इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई वीवीआईपी मेहमान मौजूद रहे। शपथ ग्रहण के बाद हॉल में मौजूद सभी लोगों ने ताली बजाकर जस्टिस बोबडे को बधाई दी। उन्होंने अपनी तरफ से हाथ जोड़कर सभी का धन्यवाद दिया।

 

63 वर्षीय जस्टिस बोबडे मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का स्थान लेंगे। सीजेआई के तौर पर जस्टिस बोबडे का कार्यकाल करीब 17 महीने का होगा और वह 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे। जानिए उनके अधिवक्ता से मुख्य न्यायाधीश बनने तक का सफर...

जस्टिस बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ। उनके पिता मशहूर वकील थे। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कला व कानून में स्नातक उपाधि हासिल की। 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। वह 29 मार्च 2000 को बंबई हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त हुए। वह 16 अक्टूबर 2012 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। सुप्रीम कोर्ट में वह 12 अप्रैल 2013 में जज बनाए गए। जस्टिस रंजन गोगोई 3 अक्टूबर 2018 को प्रधान न्यायाधीश बनाए गए और रविवार को वह सेवानिवृत्त हुए।

अयोध्या के अलावा जस्टिस बोबडे और भी कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। अगस्त, 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस बोबडे ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था। वह 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता। 

 

 

 

Created On :   18 Nov 2019 2:20 AM GMT

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