नाटक का मंचन करने वाले स्कूली छात्रों पर लगा था देशद्रोह का आरोप, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शुरु हुई जांच
- कर्नाटक स्कूल प्ले देशद्रोह मामला: पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक उच्च न्यायालय को सूचित किया गया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ एक नाटक का मंचन करने के लिए बीदर जिले में छात्रों से पूछताछ करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ पुलिस विभाग विभागीय जांच के माध्यम से अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।
मामले की जांच महानिदेशक और पुलिस महानिरीक्षक (डीजी और आईजीपी) द्वारा की जाएगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को शुक्रवार को सूचित किया गया। सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि जांच अधिकारी ने छात्रों से पूछताछ के समय वर्दी नहीं पहनी हुई थी और एक हलफनामा प्रस्तुत किया।
पीठ ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सरकार द्वारा शुरू की गई विभागीय जांच की प्रगति पर सरकार को नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। मामले की सुनवाई 21 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई। पीठ ने सरकार को 16 अगस्त को बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन न करने के बारे में पुलिस कर्मियों के बीच जागरूकता पैदा करने के उपाय शुरू करने के अपने निर्देश की भी याद दिलाई। कोर्ट ने सरकार से इस संबंध में निर्देश जारी करने को भी कहा था।
उच्च न्यायालय ने तब बीदर के शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के खिलाफ राजद्रोह मामले की जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा किशोर न्याय अधिनियम के दिशानिर्देशों के उल्लंघन पर भी गंभीर आपत्ति जताई थी। 16 अगस्त को पूर्व मुख्य न्यायाधीश ए.एस. ओका और न्यायमूर्ति संजय गौड़, जिन्होंने इस संबंध में दायर याचिका पर विचार किया, ने सरकार और राज्य पुलिस विभाग की खिंचाई की।
हमने 16 मार्च को इस संबंध में डीएसपी बसवेश्वर द्वारा प्रस्तुत हलफनामे का सत्यापन किया है। हलफनामे में संलग्न तस्वीर में पांच पुलिस अधिकारी दो स्कूली लड़कों और एक स्कूली छात्रा से पूछताछ कर रहे हैं। चार पुलिस अधिकारी वर्दी में दिखाई दे रहे हैं और उनमें से दो के पास हथियार हैं। यह किशोर न्याय अधिनियम, धारा 86 (5) का गंभीर प्रथम दृष्टया उल्लंघन है।
पीठ ने कहा, अगर हम इस मामले से आंखें मूंद लेते हैं, तो यह दोहराया जाएगा। हम पुलिस की इस कार्रवाई को माफ नहीं करेंगे। बच्चों को यह सब क्यों झेलना चाहिए, यह जारी नहीं रह सकता।
याचिका में मांग की गई है कि किसी आपराधिक मामले की जांच करते समय संयुक्त राष्ट्र के 2005 के दिशा-निर्देशों पर विचार किया जाए। याचिकाकर्ताओं ने पुलिस से छात्रों और अभिभावकों को मुआवजा देने की भी मांग की है।
(आईएएनएस)
Created On :   4 Sept 2021 12:00 PM IST