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दैनिक भास्कर हिंदी: UBI: हर एक नागरिक को मिलेगा फ्री कैश, जानिए क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम प्रोग्राम?

हाईलाइट
- कोरोनावायरस महामारी ने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया
- इस महामारी की वजह से करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई
- यूनिवर्सल बेसिक इनकम प्रोग्राम (UBI) की चर्चा तेज हो गई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोनावायरस महामारी ने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है। करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई है और आने वाले समय में भी रोजगार का संकट गहराता दिख रहा है। इसकी वजह तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी टेक्नोलॉजी का डेवलपमेंट है। ऐसे में यूनिवर्सल बेसिक इनकम प्रोग्राम (UBI) की चर्चा तेज हो गई है। यूनिवर्सल बेसिक इनकम प्रोग्राम का मतलब है कि सरकार अपने नागरिकों को हर महीने एक मिनिमम राशि देने की गारंटी देगी।
इसका मकसद अपने नागरिकों की फाइनेंशियल सिक्योरिटी सुनिश्चित करना है ताकि वो रोजगार न होने की स्थिति में भी अपनी बुनियादी जरुरतों को आसानी से पूरा कर सकें। कई देशों में इसे इम्प्लीमेंट भी किया जा रहा है। स्पेन ऐसा नया देश है जिसने कोरोनावायरस लॉकडाउन में इस प्रोग्राम को अपनाया है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम किस तरह से काम करता है। इसके फायदे और नुकसान क्या है? क्या इसे भारत जैसे देशों में भी लागू किया जा सकता है। आइए जानते हैं:
यूनिवर्सिल इनकम प्रोग्राम की क्या जरुरत?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से लोगों की नौकरियां जा रही है। आने वाले समय में ये और भी तेजी से होगा। नौकरी न मिलने की वजह से लोग अपनी बुनियादी जरुरते तक पूरी नहीं कर पाएंगे। ऐसे में जरूरी है कि सरकार अपने नागरिकों को एक मिनिमम इनकम की गारंटी दें। लोगों की किस तरह से नौकरियां जा रही है इसे हम कुछ उदाहरणों से समझ सकते हैं। जैसे कई विकसित देशों में शॉपिंग मॉल में सेल्क चेक अप काउंटर आ गए हैं। इस वजह से काउंटर पर बैठने वालों की नौकरी चली गई है। इसके अलावा कई देशों में मैकडोनाल्ड ने सेल्फ ऑर्डरिंग कियोस्क लगा दिए हैं।आज कल रोबोट वैक्यूम मॉप भी आ गए हैं। सेल्फ ड्राइविंग कार का भी चलन तेजी से बढ़ रहा है।
वहीं कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की असर दुनियाभर की इकोनॉमी पर पड़ा है। करोड़ों लोगों की जॉब चली गई है। इस तरह के संकट से अपने नागरिकों को उबारने के लिए कई देशों ने UBI का रास्ता अपनाया है। इनमें से एक देश स्पेन है जो अपने नागरिकों को हर महीने 450 यूरो देगा। हालांकि सरकार के तय किए क्राइटेरिया को पूरा करने वालों को ही यह रकम मिलेगी।
कई एंटरप्रेन्योर यूनिवर्सल बेसिक इनकम के पक्ष में
1967 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था कि एक गारंटीड इनकम गरीबी को खत्म कर देगी। वहीं अमेरिकन इकोनॉमिस्ट मिल्टन फ्रीडमैन ने निगेटव इनकम टैक्स का प्रस्ताव रखा था। यानी जिसकी भी इनकम मिनिमम लेवल से कम होगी उसे टैक्स क्रेडिट दिया जाएगा। यह टैक्स क्रेडिट मिनिमम लेवल से ऊपर कमाने वाले परिवारों के टैक्स पेमेंट के बराबर होगा। वर्जिन ग्रुप के फाउंडर रिचर्ड ब्रेनसन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि इनकम इनइक्वलिटी को दूर करने का समाधान बेसिक इनकम प्रोग्राम है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने भी दुबई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट में कहा था कि आने वाले समय में यूनिवर्सिल बेसिक इनकम जरूरी हो जाएगी।
मस्क ने कहा था कि भविष्य में बेहद कम नौकरियां होंगी जो रोबट नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा था कि मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये ऐसी चीजें है जो मैं नहीं चाहता की हो लेकिन मुझे लगता है कि ये होंगी। अमेरिकी चुनाव के फॉर्मर डेमोक्रेटिक प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट एंड्र्यू येंग ने यूनिवर्सिल बेसिक इनकम को चुनाव का मुद्दा बनाते हुए लोगों को वादा किया था कि अगर वह प्रेसिडेंट बनते हैं तो वह 18 साल से बड़े हर एक नागरिक को बिना किसी सवाल के 1000 डॉलर देंगे। इसे उन्होंने फ्रिडम डिविडेंड कहा। उन्होंने दो लोगों के साथ साउथ कैरोलिना में इस आइडिया का ट्रायल रन कर टेस्ट भी किया।
यूनिवर्सल बेसिक इनकम के क्या है फायदे?
-लोग बेहतर जॉब और सैलरी का इंतजार कर सकेंगे। इससे लोगों की प्रोडक्टिविटी, इनोवेशन और हैप्पीनेस में बढ़ोतरी हो सकती है।
-जिन लोगों ने मजबूरी में अपनी पढ़ाई छोड़ दी है वो वापस स्कूल-कॉलेज लौट सकेंगे।
-किसी रिश्तेदार की देखभाल के लिए घर पर रहने की स्वतंत्रता होगी।
-गरीबी खत्म हो जाएगी क्योंकि हर किसी के पास अपनी बुनियादी जुरुरतों को पूरा करने के लिए कैश होगा।
-यूनिवर्सल प्रोग्राम होने की वजह से ये हर एक नागरिक के लिए होगा, जिससे ब्यूरोक्रेसी कम हो जाएगी। सरकार के कम पैसे खर्च होंगे।
-मंदी के दौर में ये पेमेंट इकोनॉमी को स्थिर करने में मदद कर सकती है।
यूनिवर्सल बेसिक इनकम के क्या है नुकसान?
-यूनिवर्सिल बेसिक इनकम के बाद गुड्स और सर्विसेज की डिमांड बढ़ जाएगी जिससे महंगाई बढ़ सकती है।
-अगर महंगाई बढ़ेगी तो बेसिक इनकम से बुनियादी जरुरते पूरी कर पाना मुश्किल हो जाएगा।
-फ्री इनकम लोगों को आलसी बना देगी जिससे इकोनॉमी को आगे बढ़ाने में मुश्किल होगी।
-फ्री इनकम से लोग ओवरडिपेंडेंट बन जाएंगे।
-सरकार को स्कूल और अस्पतालों पर खर्च होने वाली राशि को फ्री इनकम के तौर पर बांटना होगा।
-फ्री इनकम की वजह से लेबर फोर्स में कमी आ सकती है।
-अपर क्लास के लिए बेसिक इनकम किसी काम की नहीं होगी। ऐसे में सरकार के लिए उन्हें ये राशि बांटना एक तरह का वेस्टेज होगा।
कई देशों में किए गए यूनिवर्सल बेसिक इनकम के ट्रायल
ऐसे कई शहर, राज्य और देश हैं जो यूनिवर्सिल बेसिक इनकम पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। हालांकि यह बताना अभी जल्दबाजी होगा कि ये पायलट प्रोग्राम काम करेंगे या नहीं। सबसे पहले फिनलैंड में इसे नेशनल लेवल पर टेस्ट किया गया था। जनवरी 2017 से दिसंबर 2018 के बीच इसे टेस्ट किया गया। फिनलैंड की सरकार ने 22 साल से 58 साल के बीच के 2000 बेरोजगारों को चुना और हर महीने 560 यूरो फ्री में दिए। इस स्टडी के अभी फाइनल रिजल्ट नहीं आए है। लेकिन शुरुआती नतीजों में इन लोगों के स्वास्थ में सुधार देखा गया। इनका स्ट्रैस लेवल कम हुआ और हैप्पीनेस लेवल बढ़ गया। हालांकि इम्पलॉयमेंट लेवल में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया।
कैनेडा के ओंटारियो में भी 2017 में इसी तरह का एक एक्सपेरिमेंट किया गया था। इसमें 18-64 साल के बीच के गरीबी में रह रहे 4000 लोगों को चुना गया था। हर एक को सालाना 17000 कैनेडियन डॉलर दिए गए। ये एक्सपेरिमेंट 3 साल तक चलना था लेकिन जुलाई 2018 में सरकार के बदलने के बाद इसे रोक दिया गया। इस एक्सपेरिमेंट के शुरुआती नतीजों में सामने आया था कि लोगों की हेल्थ में पॉजिटिव बदलाव आया और सरकार के हेल्थ केयर कोस्ट में भी काफी राशि बची।
क्या भारत जैसे देश इसे इम्प्लीमेंट कर सकते हैं?
साल 2010 में जब देश में यूपीए की सरकार थी तब मध्य प्रदेश में बेसिक इनकम का ट्रायल करने के लिए 20 गांवों को चुना गया था। इनमें से 8 गांवों को बेसिक इनकम दिया गया जबकि 12 गांवों के साथ इसका कंपेरिजन किया गया। ये गांव दो तरह के थे एक ट्राइबल और दूसरे नॉर्मल। नार्मल गांव में 6000 से ज्यादा लोगों को UBI दिया गया। वयस्क को 200 रुपए और बच्चों को 100 रुपए दिए गए। एक साल बाद इस राशि को बढ़ाकर 300 और 150 रुपए कर दिया गया। जबकि ट्राइबल गांव में 12 महीने की अवधि में इसे 300 और 150 रुपए रखा गया। इस एक्सपेरिमेंट के रिजल्ट काफी चौंकाने वाले थे। रिजल्ट में सामने आया कि गांव वालों ने अपने खाने पर हेल्थ पर ज्यादा पैसे खर्च किए।
बच्चों की स्कूल में परफॉर्मेंस 68 परसेंट ज्यादा बढ़ गई। परिवारों की सेविंग तीन गुना बढ़ गई। गांव में नए बिजनेस दोगुना हो गए। गांव की गरीबी कम हो गई। सैनिटेशन और न्यूट्रिशन में बदलाव देखने को मिला। कुकिंग और लाइटिंग के एनर्जी सोर्स में भी बदलाव देखने को मिला। हालांकि एक्सपेरिमेंट के पॉजिटिव रिजल्ट के बावजूद पूरे भारत में इसे लागू कर पाना आसान नहीं है। सवाल उठता है कि इतने सारे पैसे सरकार कहा से लाएगी? कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि अपर क्लास पर वेल्थ टैक्स लगाकर और कुछ योजनाओं को बंद कर सरकार कुछ पैसे जुटा सकती है।
UBI के वादे के साथ चुनाव में उतरी थी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट
2019 के विधानसभा चुनाव में राज्य की सत्ताधारी पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) यूनिवर्सल बेसिक इनकम के वादे के साथ चुनावी मैदान में उतरी थी। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एसडीएफ सांसद प्रेम दास राय ने कहा था कि हमारी पार्टी और मुख्यमंत्री पवन चामलिंग यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा था कि साल 2019 में सत्ता में आने के तीन साल के अंदर हम यह करके दिखाएंगे। उन्होंने कहा था विकासशील देशों में यह बढ़िया काम कर रहा है। भारत में भी इसका टेस्ट हुआ है और वित्तमंत्रालय ने साल 2017 की शुरुआत में इसपर चर्चा की है। इसे गुजरात, मध्यप्रदेश और दूसरे आदिवासी बेल्ट में बड़े पैमाने पर लागू करने की कोशिश की गई है। हालांकि चुनावों में ये पार्टी हार गई और SDF को इस योजना को लागू करने का मौका नहीं मिला।
३२ साल के डॉ. राज पढियार ने देश भर में बनायी विशेष पहचान: गुजरात के गृहमंत्री, तेलंगाना एवं पोंडिचेरी के गवर्नर सहित देश विदेश की नामी हस्तियाँ करती है फ़ॉलो
डिजिटल डेस्क, भोपाल। थाने ज़िला के मीरा भायंदर के युवा उधमी - डॉ. राज पढियार ने अपने आंट्रेप्रेनरशीप और डिजिटल मीडिया से देश भर में अपनी विशेष पहचान बनायी हैं । इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की उन्हें ट्विटर पर गुजरात के गृह मंत्री - हर्ष संघवीजी, तेलंगाना एवं पोंडिचेरी गवर्नर - डॉ. तमिलिसाई सौंदराराजन, तहसीन पूनावाला, कोंग्रेस के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष - बी श्रीनिवास, भाजपा के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष एव सांसद - तेजस्वी सूर्या, उद्धव ठाकरे साहेब के पीए - बी के राजपूत, इनकम टैक्स कमिशनर - सुग्रीव मीना, ABP न्यूज़ के ऐंकर - विकास भदोरिया, राहुल गांधी के पीएस - कौशल विद्यार्थी, बोलीवुड अभिनेता अमित साध, WTO के भारत के डिरेक्टर - आशीष चंडोरकर, दुबई के शेख़ - डॉ. मोहम्मद अल हेमीयरी समित भारत सरकार के कई मंत्रालय, विभिन्न राज्य के प्रदेशध्यक्ष, सांसद, अभिनेता, सामाजिक कार्यकर्ता एवं नामी हस्तियाँ फ़ॉलो करती है । यह सभी लोग डॉ. राज के शिक्षण एवं डिजिटल मीडिया के क्षेत्र के बदोलत इनके सम्पर्क में रहकर निरंतर चर्चा एवं वार्ता विमश करते रहते है ।
डॉ. राज पढियार - एशिया की प्रसिद्ध एजुकेशन कंपनी -
डिजिटल गुरुकुल के संस्थापक है जिसने अभी तक पूरी दुनिया में ४५,०००+ से ज़्यादा छात्रों को डिजिटल क्षेत्र में प्रशिक्षा देकर उन्हें रोज़गार एवं स्टार्टअप के हेतु योग्य बनाया है । कोरोना काल में डॉ. राज की संस्था ने १५००+ से ज़्यादा भारत, दुबई के युवाओं को डिजिटल स्किल की निशुल्क शिक्षा देकर उन्हें रोज़गार प्राप्त करने में सहायता करी ।
डॉ. राज पढियार अब तक ५०००+ से ज़्यादा लेक्चर ले चुके है जिसमें ३१,०००+ छात्रों को ट्रेनिंग देके उन्हें रोज़गार हेतु योग्य बना चुके है । उन्होंने अब तक अपनी २ किताबें पब्लिश करी है १ - सोशल मीडिया एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया - जिसे भारत के अग्रणी राजनेताओ ने पढ़कर उसकी सराहना की है, २ - फ़ंडामेंटलस ओफ़ डिजिटल मार्केट जो डिजिटल मीडिया विषय पर लिखी हुई भारत की पहली एकाडेमिक बुक है - यह बुक भारत के २५० से ज़्यादा कॉलेज के लाइब्रेरी में उपलब्ध है।
डॉ. राज पढियार को शिक्षा एवं डिजिटल क्षेत्र में योगदान के चलते उन्हें “दुनिया के सर्वश्रेस्ठ १०० डिजिटल लीडर” में स्थान मिला जो भारत के लिए बहोत गर्व की बात थी । इसके अलावा उन्हें बॉलीवुड अभिनेत्री सोहा अली खान, कलाकार मुकेश खन्ना एवं कई बड़े कलाकारों ने विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया है ।
अपने स्टार्टप के शुरुआती दौर में काफ़ी स्ट्रगल करने के बाद डॉ. राज पढियार ने अपने अथाग परिश्रम एवं मेहनत से आज जो मुक़ाम तक पहोचे है जिससे उनकी देश विदेश में लोग सराहना कर रहे है और भारत का नाम और रोशन किया है।
क्लोजिंग बेल: सपाट स्तर पर बंद हुआ बाजार, सेंसेक्स में 16 अंक की मामूली बढ़त, निफ्टी 15,850 पर बंद हुआ
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के दूसरे दिन (28 जून, मंगलवार) सपाट स्तर पर बंद हुआ। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही मामूली बढ़त पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 16.17 अंक यानी कि 0.03% की मामूली बढ़त के साथ 53,177.45 के स्तर पर बंद हुआ।
वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 18.15 अंक यानी कि 0.11% की मामूली बढ़त के साथ 15,850.20 के स्तर पर बंद हुआ।
हालांकि बैंक निफ्टी ने 168.80 अंकों की हानि के साथ सत्र की समाप्ति दी। निफ्टी के 50 शेयरों में से 32 तेज रहे जो व्यापक खरीद दर्शाते हैं। क्षेत्र विशेष में निफ्ट मेटल तथा एनर्जी सूचकांक क्रमशः 1.67 प्रतिशत तथा 0.99 प्रतिशत बढ़े जबकि बैंकिंग एवं फाइनेंसियल सर्विस लाल रंग में बंद हुए। निफ्टी के शेयरों में ओएनजीसी, हिंडाल्को, एमएंडएम, कोल इंडिया में सर्वोच्च तेजी रही जबकि टाइटन, एशियन पेंट, बजाज फिनसर्व एवं डिवीज लैब में सबसे अधिक गिरावट आयी।
इंडिया विक्स 2.09 प्रतिशत की बढ़त के साथ 21.45 पर रहा। तकनीकी रूप से निफ्टी ने अपनी सपोर्ट ट्रेंड लाइन पर एक सपोर्ट लिया है जो कि 15700 है तथा आवरली चार्ट के 38.2 प्रतिशत के रेट्रेंचमेंट स्तर के ऊपर बंदी दी है जो आने वाले सत्र के लिए तेजी का संकेत है। निफ्टी ने 9*12 एचएमए के ऊपर भी समाप्ति दी है, वो भी तेजी की चाल की ही
पुष्टि करता है। निफ्टी के ओपन इंटरेस्ट डेटा में, कॉल में सर्वाधिक ओपन इंटरेस्ट 16000 निफ्टी पर है जबकि पुट में सबसे अधिक ओपन इंटरेस्ट 15500, फिर 15800 पर है।
मोमेन्टम संकेतक स्टॉकिस्टिक तथा एमएसीडी दैनिक चार्ट पर सकारात्मक क्रॉसओवर के साथ ट्रेड कर रहे हैं जो तेजी का संकेत है। निफ्टी का सपोर्ट 15600 पर तथा अवरोध 16000 पर है। 16000 निफ्टी पार करने पर तेजी की नई चाल दिख सकती है। बैंक निफ्टी का सपोर्ट 32600 तथा अवरोध 34300 है। कुलमिला कर शेयर विशेष में चाल दिख सकती है।
पलक कोठारी
रीसर्च एसोसिएट
चॉइस ब्रोकिंग
Source: Choice India
संभागीय युवा संवाद: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कृषि विभाग द्वारा संभागीय युवा संवाद का आयोजन
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कृषि संकाय एवं समर्थ आत्मनिर्भर भारत केन्द्र तथा पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग, म.प्र. शासन के संयुक्त तत्वावधान में संभागीय युवा संवाद का आयोजन किया गया। इस मौके पर पशु चिकित्सा विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. एस. के. परनाम विशेष रूप से उपस्थित थे। उन्होंने संभागीय युवा संवाद कार्यक्रम आयोजन के महत्वों पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे पशु चिकित्सा एवं डेयरी विकास विभाग की समस्त योजनाओं में से स्वरोजगार हेतु योजना चुने और विभाग के एक्सपर्ट अधिकारियों का मार्गदर्शन लेकर अपनी इकाई स्थापित करें। वहीं दुग्ध संघ भोपाल से डॉ. अंजली खरे द्वारा छात्रों एवं फैकल्टी सदस्यों को दुग्ध संकलन एवं दुग्ध वितरण गतिविधियों में उपलब्ध स्वरोजगार की संभावनाओं की विस्तृत जानकारी दी तथा उन्हे आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर डाॅ. परनाम ने विश्वविद्यालय परिसर में विद्यार्थियों हेतु कड़कनाथ मुर्गी की डिमान्स्ट्रेशन इकाई स्थापित करने की इच्छा जताई। अंत में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने मुख्य वक्ताओं से अनेक प्रश्न किए और संकाओं का समाधान किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के डीन डॉ. अनिल कुरचानिया द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया। वहीं अंत में डॉ. अशोक वर्मा, विभागाध्यक्ष ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का समन्वय और मंच संचालन श्री एम.ई. खान द्वारा किया गया।
मूवर्स और पैकर्स: कैसे एश्योरशिफ्ट ने भारत में स्थानांतरण के अनुभव को बेहतर बनाया है
डिजिटल डेस्क, भोपाल। देश में बढ़ती जनसंख्या, शैक्षिक प्रगति और मूल तोर से नौकरी के अवसर के कारण, देश के अंदर और विदेश के कई शहरों में, प्रवास करने वाले अन्य शहरों के लोगों की संख्या उल्लेखनीय मत्रा से वृद्धि पाई है।
इस कारण से स्थानांतरण सेवा के मांग में तेजी से वृद्धि हुई। कई पैकर्स एंड मूवर्स कंपनियों की स्थापना भी हुई है जो घर, कार्यालयों के सामना, कार, बाइक, आदि को स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करती हैं। हालांकि, किसी भी नए उत्पाद के साथ, कई नकली और गैर-पेशेवर चलती कंपनि स्थापित होते हैं। धीरे-धीरे भारतीय स्थानांतरण बाजार में इस तरह के कंपनि आकर बेहद कम लागत वाली कोटेशन की पेशकश करके निर्दोष ग्राहकों का शिकार करना शुरू कर दिया। वे गुणवत्ता सेवाओं, अतिरिक्त सहायता आदि जैसे कई वादे करते हैं, लेकिन अंत में अक्सर ग्राहकों के पैसे और सामान लूट लेते हैं।
स्व-चलन के साथ आने वाली कठिनाइयों और जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, पेशेवर स्थानांतरण सेवा प्रदाताओं को नियुक्त करने की सलाह दी जाती है लेकिन कंपनी के इतिहास और पृष्ठभूमि की जांच कर लेने के बाद। आपको एक पैकर्स मूवर्स कंपनी के पंजीकरण दस्तावेजों और पहले के ग्राहकों की कई समीक्षाएं पढ़ कर, उनका व्यापक शोध करना चाहिेए। लेकिन सामान्य ज्ञान के अनुसार, दस्तावेज़ीकरण, कंपनी विवरण, कार्यालय स्थान आदि की पुष्टि करना आसान काम नहीं है और पहली बार जांच करने वाले के लिए अत्यधिक समय लग सकता है।
प्रत्येक ग्राहक पहली कोशिश में अपने निकट के ईमानदार पैकर्स एंड मूवर्स कंपनी से संपर्क कर रहा है और बाजार में धोखाधड़ी सेवा प्रदाताओं का खात्मा हो रहा है, यह सुनिश्चित करने के लिए एश्योरशिफ्ट की स्थापना की गई थी।
AssureShift Packers and Movers एक मानक बन गया है यह भारत का सबसे अच्छी ऑनलाइन पैकर्स और मूवर्स निर्देशिका है, जिसमें 25 से अधिक शहरों के शीर्ष पैकर्स और मूवर्स की सूची है। 2017 की शुरुआत में लॉन्च होने के बाद से, एश्योरशिफ्ट ने देश भर में 50,000 से अधिक परिवारों और व्यक्तियों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है। हमारे पार्टनर पैकर्स और मूवर्स के पास पर्याप्त अनुभव है और वे घरेलू सामान पैकिंग और मूविंग, कार ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज, बाइक शिफ्टिंग सर्विसेज, ऑफिस शिफ्टिंग आदि जैसे सभी प्रकार के सामानों को स्थानांतरित करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। हम सुनिश्चित करते हैं इस दौरान हमारी पार्टनर कंपनियां उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं, किफायती शुल्क, समय पर घर से पिकअप और डिलीवरी, पेशेवर व्यवहार जैसे पूर्ण ग्राहक सहायता का आश्वासन दे रही हैं।
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एश्योरशिफ्ट का 4-चरणीय तरीका एक सुनिश्चित स्थानांतरण के लिए
#1 पूर्ण तरह से बैकग्राउंड की जांच
एक पैकर्स और मूवर्स कंपनी की विश्वसनीयता साबित करने वाले मुख्य कागज-पत्र में से एक यह है कि उनके पास सरकार द्वारा दिए गए आवश्यक पंजीकरण दस्तावेज होना चाहिए। एश्योरशिफ्ट निम्न प्रकार से जाँच करके स्थानांतरण सेवा प्रदाताओं की पूरी गहराई से पृष्ठभूमि का सत्यापन करता है:
- कंपनी जीएसटी पंजीकरण,
- कार्यालय सेटअप, स्थान और प्रमाण,
- ओनर आईडी प्रूफ,
- संपर्क विवरण,
- ग्राहक प्रतिक्रिया के साथ पूर्व कार्य अनुभव,
- Google रेटिंग और समीक्षाएं।
एश्योरशिफ्ट ग्राहकों को परेशानी मुक्त और विश्वसनीय पैकिंग मूविंग सेवाएं प्रदान करने और उनके स्थानांतरण के अंत में 100% संतुष्टि की सुनिश्चित करता है।
#2 बजट के अनुकूल दरों पर सर्वोत्तम मिलान वाली सेवाएं
हमारे पार्टनर पैकर्स एंड मूवर्स के पास रिलोकेशन सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शन करने का अच्छा अनुभव है और ग्राहकों की आवश्यकता के अनुसार किसी भी आइटम को स्थानांतरित करने के लिए अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। वे शुरू से अंत तक पूरी प्रक्रिया को संभालने में सक्षम हैं, यानी, एक अच्छी तरह से नियोजित रणनीति तैयार करना, पैकिंग, लोडिंग, पूरी सुरक्षा के साथ वस्तुओं का परिवहन, और गंतव्य पर अनलोडिंग और अनपैकिंग करना।
युक्ति: भारत में सबसे सटीक पैकर्स और मूवर्स शुल्क प्राप्त करने के लिए (किसी भी आइटम को देश में किसी भी स्थान पर ले जाने के लिए), हमेशा एक भौतिक प्री-मूव सर्वेक्षण अनुरोध करें। जब मूवर्स व्यक्तिगत रूप से वस्तुओं का सर्वेक्षण करते हैं, तो उन्हें सटीक आवश्यकताओं का बेहतर विचार मिलता है और वे स्थानांतरण लागत की अधिक सटीक गणना करने में सक्षम होते हैं।
#3 लाइटनिंग-फास्ट रिस्पांस और एंड-टू-एंड सपोर्ट
एश्योरशिफ्ट ग्राहकों के किसी भी प्रश्न का तुरंत जवाब देकर आपके हर कदम को परेशान मुक्त बनाने के लिए निरंतर काम करता है।
- फॉर्म जमा करते ही ग्राहकों को तुरंत रेफर किए गए मूवर्स की पूरी जानकारी मिल जाएगी।
- हमारे मूवर्स भी जल्दी से स्थानांतरण लागत का अनुमान लगाते हैं या भौतिक पूर्व-चाल सर्वेक्षण के लिए घर भी आ सकते हैं।
- एश्योरशिफ्ट के उपयोग सेआसान इंटरफेस के साथ, कई मूवर्स के विवरणों की तुलना कम समय में आसानी से की जा सकती है (जैसे, चेकिंग शुल्क, सेवाओं की पेशकश, रेटिंग, समीक्षा, आदि)।
साथ ही, एश्योरशिफ्ट सुनिश्चित करता है कि ग्राहकों को पूरी स्थानांतरण प्रक्रिया के दौरान आवश्यक समर्थन मिले, यानी अनुरोध जमा करने के समय से लेकर सामान की अंतिम डोरस्टेप डिलीवरी तक।
# 4 नियमित प्रतिक्रिया और गुणवत्ता संरक्षण
एश्योरशिफ्ट ग्राहकों की पूर्ण संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। ग्राहकों से नियमित फीडबैक लेने से संभावित ग्राहकों को अच्छी तरह से सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है और साथ ही साथ हर दिन काम करने की प्रक्रिया में सुधार होता है। एश्योरशिफ्ट को ग्राहकों द्वारा सामना की स्थानांतरण के समय आने वाली विभिन्न समस्याओं जैसे कि अचानक मूल्य वृद्धि, सामान का नुकसान, स्थानांतरण के दौरान मूवर्स के अनैतिक व्यवहार पता चलता रहता है।
प्राप्त शिकायतों की गंभीरता के आधार पर, एश्योरशिफ्ट सेवा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई करता है, :जैसे
- गैर-पेशेवर मूवर्स और पैकर्स को अस्थायी रूप से निलंबित या वेबसाइट से उनके व्यावसायिक प्रोफाइल को स्थायी रूप से हटाकर दंडित करना, साथ ही साथ
- लिस्टिंग में उच्च रैंक मैं रख के शीर्ष प्रदर्शन करने वाली कंपनियों को पुरस्कृत करना ।
निष्कर्ष के तौर पर
एश्योरशिफ्ट समझती है कि कई सारे सामान ले जाना जोखिम भरा हो सकता है और वित्तीय, मानसिक और शारीरिक दबाव पैदा कर सकता है, खासकर बिना किसी पूर्व अनुभव से किया गया हो तो। इसके अलावा, बहुत से ग्राहक वास्तव में भरोसेमंद स्थानांतरण सेवा प्रदाताओं को किराए पर लेने का सही तरीका भी नहीं जानते हैं। और तो और क्योंकि वर्तमान समय में कई धोखाधड़ी करने वाली कंपनियां भी बाजार में स्थापित हैं।
धोखेबाज पैकर्स और मूवर्स को खत्म करने के मिशन के साथ, एश्योरशिफ्ट ने स्थानांतरण कंपनियों के काम काज़ की प्रक्रिया में सुधार लाई हे, और इसके परिणामस्वरूप, भारत में पैकिंग और स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आया है। एश्योरशिफ्ट के माध्यम से जाने का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि भरोसेमंद पैकर्स और मूवर्स ढूंढना आसान हो जाता है, और बजट के अनुसार सही कंपनी मिनटों के अंदर मिल जाता है।
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