श्रद्धा हत्याकांड के मुख्य आरोपी आफताब से पहले इन अपराधियों का हो चुका है नार्को टेस्ट, बड़ी घटनाओं में हो चुके हैं बड़े खुलासे

Know what is narco test, test has been done on many vicious criminals even before Aftab
श्रद्धा हत्याकांड के मुख्य आरोपी आफताब से पहले इन अपराधियों का हो चुका है नार्को टेस्ट, बड़ी घटनाओं में हो चुके हैं बड़े खुलासे
नार्को टेस्ट की जरूरत क्यों? श्रद्धा हत्याकांड के मुख्य आरोपी आफताब से पहले इन अपराधियों का हो चुका है नार्को टेस्ट, बड़ी घटनाओं में हो चुके हैं बड़े खुलासे
हाईलाइट
  • नार्को शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा से हुई है

डिजिटल डेस्क,दिल्ली।  दिल्ली के बहुचर्चित केस श्रद्धा हत्याकांड के आरोपी आफताब पूनावाला का नार्को टेस्ट गुरुवार को रोहिणी इलाके में स्थिति अंबेडकर अस्पताल में किया गया है। यह टेस्ट तकरीबन दो घंटे तक चला। अब नार्को टेस्ट के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि श्रद्धा का मामला सुलझ जाएगा और पुलिस को सारे सबूत खंगालने में आसानी होगी। एक आधिकारी ने आरोपी आफताब के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आफताब बहुत चालाक है और पुलिस पूछताछ के दौरान वह सही जवाब नहीं दे रहा है। इसलिए नार्को टेस्ट की जरूरत पड़ी है। हालांकि पहला मौका नहीं जब भारत में नार्को टेस्ट किया जा रहा है, इससे पहले भी इसका इस्तेमाल निठारी कांड, आरुषि मर्डर केस समेंत ऐसे कई संगीन अपराधों में किया गया है। आइये समझते है कि नार्को टेस्ट क्या होता है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

नार्को टेस्ट को ट्रुथ सीरम के नाम से भी जाना जाता है। नार्को शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा से हुई है, जिसका मतलब एनेस्थीसिया होता है। नार्को एनालिसिस का उपयोग पहले मनोचिकित्सा के लिए किया जाता था। यह एक ऐसी तकनीक है, जिसमें साइकोट्रोपिक दवाओं में (खासकर बार्बिटुरेट्स) का उपयोग होता है। इसे तब उपयोग में लाया जाता था जब कोई अपराधी बार-बार अपने बयानों को बदल रहा हो। कोर्ट की अनुमति के बाद ही इस टेस्ट को किया जाता है। बता दें कि इस टेस्‍ट में एक दवा सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामिन और सोडियम एमिटल को मिलाकर इंजेक्शन को मनुष्य के शरीर में नस के जरिए दिया जाता है। जिसके थोड़ी देर बाद मनुष्य के खून में यह दवा फैल जाती है और फिर मनुष्य हिप्नोटिक ट्रान्स की हालत में चला जाता है। जिससे मनुष्य की झिझक और झूठ बोलने की प्रवृति समाप्त हो जाती है। इसके बाद वह बेझिझक होकर उन सभी सवालों का जवाब देता है जो वह होशोहवास में देने की संभावना में नहीं होती है।  

गोधरा हत्याकांड में किया गया था नार्को टेस्ट का इस्तेमाल 

साल 2002 में पहली बार नार्को टेस्ट का इस्तेमाल गोधरा हत्याकांड में किया गया था। जिसमें इस हत्याकांड  के आरोपी कासिम अब्दुल सत्तार, बिलाल हाजी, अब्दुल रज्जाक, अनवर मोहम्मद और इरफान सिराज पर नार्को टेस्ट किया गया था।  

निठारी कांड

साल 2006 में निठारी कांड में सीबीआई ने नार्को टेस्ट का इस्तेमाल किया। निठारी कांड के मुख्य आरोपी  मनिंदर कोली पर नार्को टेस्ट कराये जाने के बाद सीबीआई को जांच में सहायता मिली थी। वहीं इस मामले के दूसरे आरोपी सुरेंद्र कोली को गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट फांसी की सजा सुना चुकी है। 

हैदराबाद बम ब्लास्ट

2007 में हैदराबाद में हुए दो बम ब्लास्ट के आरोपी अब्दुल कलीम और इमरान खान पर भी नार्को टेस्ट किया गया था। यह बम धमाका इतना भयानक था कि इसमें 42 लोगों की जान चली गई थी और इसकी चपेट में आकर  50 से अधिक लोग घायल हो गए थे। नार्को टेस्ट के दौरान  हुई पूछताछ में आरोपियों ने कई अहम जानकारी पुलिस को दी। बाद में कोर्ट ने दोनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 

आरुषि तलवार मर्डर केस

2008 में नोएड़ा में हुए आरुषि तलवार मर्डर केस ने हर सोचने पर मजबूर कर दिया था। जिसके बाद आरुषि के पिता ने राजेश तलवार के सहायक कृष्णा का नार्को टेस्ट कराया गया था। जिसके बाद आरुषि तलवार मर्डर केस का पूरा एंगल ही बदल गया था। पुलिस को जांच के दौरान पत्ता चला कि आरुषि और हेमराज दोनों की हत्या राजेश तलवार और उनकी पत्नी ने की थी।  बाद में कोर्ट ने दंपत्ति को सजा सुनाई थी। 

26/11 मुबई ब्लास्ट

मुबई में 26/11 हमले का मुख्य मास्टर माइंड अजमल कसाब का भी नार्को टेस्ट कराया गया था। तब अजमल कसाब ने खुलासा किया था कि वह पाकिस्तान से भारत समुद्र के जरिए आया है और वहीं पर उसे और उनके साथियों को हमले की ट्रेनिंग दी गई थी। कोर्ट ने बाद में अजमल को फांसी की सजा सुनाई थी। 

ये लोग करते हैं नार्को टेस्ट 

नार्को टेस्ट करने का काम फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक की टीम करती है। जब किसी मुनष्य को नार्को टेस्ट के दौरान ट्रुथ ड्रग दिया जाता है, तब वह व्यक्ति सुस्त अवस्था में चला जाता है। फिर टेस्ट कर रही टीम उस व्यक्ति से सवाल करने लगती है। जिसके बाद वह सही जवाब देने लगता है। ट्रुथ ड्रग देने के बाद इंजेक्शन सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं इसकी जिम्मेदारी एक्सपर्ट की होती है। 

इसके लिए टीम उस व्यक्ति से शुरुआती समय में आसान सवाल पूछते हैं। जैसे,उसका नाम क्या है, वह कहां रहता है, और परिवार आदि से जुड़े सवाल किए जाते है। इसके बाद व्यक्ति के व्यवसाय के बारे में सवाल किए जाते है। जैसे व्यक्ति यदि व्यापारी है तो उससे पूछा जाता है कि क्या आप एक डॉक्टर हो। इससे यह भी पत्ता चल जाता कि वह सही बोल रहा है या झुठ। फिर उससे  घटना से जुड़े हुए सवाल किए जाते है।   

Created On :   1 Dec 2022 10:00 AM GMT

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