मनमोहन सिंह ने उठाया पीएम मोदी की भाषा पर सवाल, राष्ट्रपति को लिखी चिठ्ठी

Manmohan raised the question on the language of Modi letter written to Kovind
मनमोहन सिंह ने उठाया पीएम मोदी की भाषा पर सवाल, राष्ट्रपति को लिखी चिठ्ठी
मनमोहन सिंह ने उठाया पीएम मोदी की भाषा पर सवाल, राष्ट्रपति को लिखी चिठ्ठी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर पीएम मोदी की भाषा के स्तर के प्रति चिंता जताई है। उन्होंने कहा पीएम मोदी की भाषा "धमकाने वाली" और पीएम पद की गरिमा के विपरीत है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने हाल ही में कर्नाटक में एक रैली में नोटबंदी और जीएसटी को जल्दबाजी में लागू करने को मोदी सरकार की दो सबसे बड़ी भूलें बताया।  

 

भविष्य पर भारी पड़ रही 

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था, "मुझे यह देखकर दुख होता है कि जब कमियों पर ध्यान दिलाया जाता है तो कैसे इन सभी चुनौतियों से निपटने की बजाए सरकार का रवैया मतभेदों को दबाने वाला हो जाता है। मनमोहन सिंह ने कहा था कि मोदी सरकार अपने इरादे नेक होने का दावा करती है, लेकिन उनके इरादों से देश को भारी नुकसान हुआ है। पूर्व पीएम ने कहा था, "विश्लेषण का अभाव भारत और हमारे सामूहिक भविष्य पर भारी पड़ रहा है।" 

 

 

आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरह फेल रही केंद्र सरकार

उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में वृद्धि दर औसतन सात फीसदी थी। एक समय तो वैश्विक हालात में उतार चढ़ाव के बावजूद यह आठ फीसदी थी। उन्होंने कहा कि राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय माहौल अनुकूल है और तेल की कीमतें कम हैं फिर भी सब कुछ उलट है। कच्चे तेल ही अंतराष्ट्रीय की कीमतें कम होने के बावजूद घरेलू स्तर पर डीजल-पेट्रोल की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं। लेकिन इन वरीयता वाले मुद्दों पर ध्यान नहीं देते हुए पीएम मोदी निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं। 

 

भाषणों में अत्यन्त निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल

कर्नाटक की कुल 224 सीटों में से 222 सीटों पर हो रहे चुनाव के लिए किए जाने वाले चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के बीच आरोपों-प्रत्यारोपों का लंबा सिलसिला चला। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने स्वयं बेहद निम्नस्तरीय भाषा का इस्तेमाल किया, जिसे किसी भी तरह पीएम पद की गरिमा के अनुरूप नहीं कहा जा सकता। उन्हें इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। 

 

तथ्यहीन और बेबुनियाद आरोप लगाए

पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर विवादित बयान दिए। एक चुनावी सभा में पीएम मोदी ने कहा था कि जब भगत सिंह जेल में थे, तो उनसे मिलने कोई कांग्रेसी नेता नहीं गया। हालाँकि बाद में देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू जेल में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु से मिले थे। नेहरू ने इस मुलाकात का जिक्र अपनी आत्मकथा में किया है। पीएम मोदी ने एक भाषण में कहा कि जनरल थिमैया को तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू और रक्षा मंत्री कृष्णा मेनन ने अपमान किया था। कांग्रेस ने इसे पूरी तरह से गलत, तथ्यहीन और बेबुनियाद बताया था। 

 

किसी भी पीएम ने नहीं इस्तेमाल की ऐसी भाषा

राष्ट्रपति को लिखी इस चिट्ठी में कहा गया कि देश में इससे पहले जितने भी प्रधानमंत्री हुए, सभी ने सार्वजनिक व निजी कार्यक्रमों पूरी गरिमा और मर्यादा का पालन किया। यह सोचा भी नहीं जा सकता कि लोकतांत्रिक समाज में राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते कोई प्रधानमंत्री मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेताओं और सदस्यों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से ऐसे शब्दों का प्रयोग करेगा। इस चिट्ठी में कहा कि प्रधानमंत्री की तरफ से कांग्रेस नेताओं को दी गई ये धमकी निंदनीय है। सवा अरब लोगों वाले लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री की ऐसी भाषा नहीं होनी चाहिए। निजी या सार्वजनिक जीवन में ऐसी भाषा अस्वीकार्य है।

 

राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की मांग

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया है कि वह पीएम को कांग्रेस नेताओं के खिलाफ ऐसी धमकाने वाली भाषा के इस्तेमाल से रोकें। इस पत्र में उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया होता है और पीएम व उनकी कैबिनेट को परामर्श देना या मागदर्शन करना राष्ट्रपति का कर्तव्य है। पीएम से इस तरह की भाषा की उम्मीद नहीं की जाती है चाहे वह चुनाव के समय ही क्यों नहीं बोल रहे हों।

Created On :   14 May 2018 10:20 AM GMT

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