देश के हर आर्थिक बदलाव के गवाह, 'संकटमोचक' की छवि

डिजिटल डेस्क,भोपाल। आज पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का जन्मदिन है। डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री लगातार दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने पहली बार 2004 में पीएम के रूप में शपथ ली और फिर दूसरी बार 2009 में देश की अगुवाई की। मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल के कार्यकाल में कई ऐसी नीतियां लागू की, जिन्हें अगली सरकार हिला नहीं पाई।
मनमोहन सिंह कम लेकिन सटीक बात करने वाले व्यक्ति हैं। पीएम रहते हुए भी उन्होंने बेहद शांत रहते हुए कई बड़ी-बड़ी योजनाओं को सफल बनाया। शांत स्वाभाव के धनी मनमोहन को बेहद कम बेलते देखा गया है। वे रिजर्व बैंक ऑफ इंडीया के गवर्नर भी रह चुके हैं। मनमोहन सिंह आज अपना 85वां जन्मदिन मना रहे हैं। आइए उनके बारे में कुछ रोचक बाते जानते हैं।
पाकिस्तान में जन्मे, भारत में पले-बढ़े
मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पंजाब प्रांत के गाह बेगल गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है। देश विभाजन के बाद उनका परिवार भारत के अमृतसर में आकर बस गया। मनमोहन सिंह बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी तेज थे। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में बी.ए (ऑनर्स) की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद साल 1954 में यहीं से एम.ए (इकोनॉमिक्स) किया, जिसमें वो अव्वल आए। पढ़ाई अपने रुझान के मुताबिक उन्होंने पीएचडी करने का फैसला किया औरर वो इसके लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए।
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यहां भी उन्हें पढ़ाई में कोई पछाड़ नहीं पाया और वो अव्वल आते रहे। उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए राइट्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेफिल्ड कॉलेज से मनमोहन सिंह ने डी. फिल की परीक्षा उत्तीर्ण की।
Warm birthday wishes to our former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. May he lead a long life filled with good health.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 26, 2017
पड़ोसी ने कराई थी पं. नेहरू से मुलाकात
जिसके बाद मनमोहन सिंह पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में व्याख्याता के पद पर नियुक्त हुए और जल्द ही प्रोफेसर के पद पर पहुंच गए। मनमोहन सिंह ने दो साल तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी प्रोफेसर के रूप में काम किया। यहां पर उनके लेखक मुल्कराज आनंद पड़ोसी थे, जो एक दिन उनको जवाहर लाल नेहरू से मिलाने ले गए। नेहरू ने उनसे बात करते वक्त ये भांप लिया कि उनका आर्थशास्त्र काफी रुझान है। जिसके बाद नेहरू जी ने मनमोहन को सरकार जॉइन करने के लिए कहा, लेकिन कॉलेज कॉन्ट्रैक्ट में बंधे मनमोहन ने नेहरू जी को इनकार कर दिया।
मनमोहन सिंह की अर्थशास्त्र में गहरी रुचि थी और इसी का नतीजा है कि आज दुनिया एक कुशल अर्थशास्त्री के रूप में जानती है। जब प्रधानमंत्री बनने के बाद 2005 में इंडिया-ASEAN मीटिंग में मलेशिया गए थे। वहां इनका परिचय ‘दुनिया के सबसे ज्यादा शिक्षित प्रधानमंत्री’ के रूप में कराया गया था।
राजनैतिक जीवन
मनमोहन सिंह 1971 में उस समय भारत सरकार में आए जब उन्हें वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद इन्हें 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया। डॉ. सिंह ने अनेक सरकारी पदों पर कार्य किया है। जिनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधान मंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के पद शामिल हैं।
मनमोहन सिंह को 1985 में राजीव गांधी के शासन काल में भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने 5 साल तक काम किया, लेकिन जब 90 के दशक की शुरुआत में दुनिया में खाड़ी युद्ध के चलते पेट्रोलियम किल्लत हो गई थी, तब भारत की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई ती और भारत के पास देश चलाने तक के पैसे नहीं बचे थे। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने इकॉनमी में सुधार के लिए मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया।
जब मनमोहन ने देश के वित्तमंत्री की कुर्सी संभाली, तब देश में अविश्वास का माहौल था।
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मनमोहन को गद्दी संभालते वक्त पूरा अंदाजा था कि अगर उनके द्वारा किया गया सुधार सफल हो गया तो सरकार को जनता सर पर बैठा लेगी, लेकिन अगर वो सुधारन नहीं ला पाए तो सारा ठीकरा उनके सर ही फूटेगा। मनमोहन की दूरदर्शिता और हिम्मत ने देश की अर्थव्यवस्था को वापस से पटरी पर ला दिया। साल 1991 से लेकर 1996 तक वो भारत के वित्त मंत्री रहे।
जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तो देश दंगों से उबर रहा था। एक सिख प्रधानमंत्री को मुस्लिम राष्ट्रपति कलाम से शपथ दिलाया जाना बड़ी घटना थी।
मिले कई सम्मान
मनमोहन सिंह को भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण (1987) में मिल चुका है। उन्हें जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवॉर्ड ऑफ द इंडियन साइंस कांग्रेस (1995),साल के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवॉर्ड (1993 और 1994), साल के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवॉर्ड (1993) मिला।
मनमोहन सिंह की उपलब्धियां
- आधार
- मनरेगा
- आरटीआई
- JNNURM-
- पोलियो मुक्त भारत
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर
- किसान कर्ज माफी
- अर्थव्यवस्था का उदारीकरण
- स्टॉक बाजार सुधार
- विस्सल ब्लोअर
- खाद्य सुरक्षा
- मोबाइल क्रांति
- मंगलयान
- चंद्रयान
- इन्टरनेट क्रांति
- शिक्षा सुधार
- GST
ये सभी नीतियां मनमोहन सिंह अपने कार्यकाल में लेकर आए जिन्हें आज की सरकार ने भी सराहा हैं और इसे अमल में ला रही हैं।
मनमोहन सिंह पर बन रही फिल्म
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन से जुड़ी एक फिल्म में बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर उनका किरदार निभाएंगे। यह फिल्म मनमोहन के मीडिया एडवाइजर रहे संजय बारू की किताब पर आधारित होगी। बारू की किताब "द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मेकिंग ऐंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह" 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बाजार में आई थी। इसमें मनमोहन के प्रधानमंत्री के तौर पर पहले कार्यकाल की तीखी समीक्षा की गई है।








Created On :   26 Sept 2017 12:23 PM IST