गुजरात चुनाव में BJP की जीत और कांग्रेस की हार, क्या है मायने?

डिजिटल डेस्क, भोपाल। गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे सोमवार को आ गए। देश भर की नजरें इन परिणामों पर टिकी हुईं थी। 22 साल से सत्तासीन बीजेपी एक बार गुजरात में बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचने में कामयाब रही। तो वहीं हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ते हुए बीजेपी की सरकार बनी है। गुजरात चुनाव में दोनों पार्टियों की इज्जत दांव पर लगी थी। जानकारों के मुताबिक यह चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के लिए 2019 के लोकसभा चुनाव की दिशा और दशा दोनों तय करने वाले है। चुनाव में बीजेपी की जीत ने पार्टी के लिए साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की राह को आसान कर दिया है। वहीं कांग्रेस की हार ने राहुल गांधी के माथे पर शिकंद बढ़ा दी है। हालांकि 22 साल के गुजरात विधानसभा चुनाव के इतिहास में कांग्रेस पार्टी कभी भी 70 सीट के आंकेड़े को नहीं छू पाई थी। लेकिन यह पहला मौका है जब कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 70 से अधिक सीटें हासिल की हों। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी 2019 की परीक्षा में खरे उतर पाते हैं या नहीं।
जीत के कांग्रेस के लिए क्या थे मायने?
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस के प्रदर्शन में लगातार कमी आई। कांग्रेस एक के बाद एक कई चुनाव हारी। मोदी लहर में न केवल कांग्रेस ने केंद्र में सत्ता खोई बल्कि उसके बाद कई राज्यों में भी सरकार से हाथ धो बैठी। महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, राजस्थान, उत्तराखण्ड में कांग्रेस ने अपनी सत्ता गवा दी। ऐसे में यदि कांग्रेस पीएम मोदी के ग्रह राज्य में बीजेपी को हरा देती तो, यह न केवल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बल्कि पूरी कांग्रेस के लिए नई ऊर्जा का संचार करती। वहीं बीजेपी के लिए ये एक बड़ा झटका होता। राहुल गांधी ने पिछले कई चुनाव की बागडोर अपने हाथ में संभाली है, उनके नेतृत्व में केवल पंजाब को छोड़कर कांग्रेस ने कहीं भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। पिछले चुनावों की तरह गुजरात चुनाव में राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा। इसी दौरान राहुल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभाला। ऐसे में अगर कांग्रेस यहां चुनाव जीत जाती तो जीत का सेहरा राहुल गांधी के सिर पर बंधता वहीं हार का ठीकरा भी उनके सिर पर फूट रहा है। गुजरात चुनाव में कांग्रेस की जीत होती तो ये 2018 के विधानसभा चुनाव (मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक) और 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और पार्टी के लिए अपनी नई चुनावी जमीन तलाशने और बीजेपी के साथ मुकाबला करने के लिए मददगार साबित होता। हालांकि जिस तरह ने राहुल गांधी ने गुजरात में चुनाव प्रचार किया और पीएम मोदी को सीधी चुनौती दी उसने ये साफ कर दिया कि पहले के राहुल गांधी और अब के राहुल गांधी में बड़ा अंतर आ गया है।
बीजेपी के लिए क्या मायने हैं जीत के
बीजेपी ने देश में मोदी लहर को जमकर भुनाया। इसी मोदी लहर के चलते बीजेपी ने जम्मू और कश्मीर जैसे राज्य में सरकार बना ली जहां पर बीजेपी कभी सत्ता में नहीं आई। इसी साल हुए 5 राज्यों में चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया और यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। गुजरात चुनाव में बीजेपी की इज्जत दांव पर थी। गुजरात पीएम मोदी और बीजेपी के प्रेसीडेंट अमित शाह का गढ़ माना जाता है। मोदी तीन बार राज्य के सीएम रहे। गांधीनगर से ही मोदी ने दिल्ली का सफर तय किया और देश के पीएम बने। पीएम मोदी और राहुल गांधी दोनों ही नेताओं ने चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। ताबड़तोड़ रैलियां, कर दोनों ने जमकर प्रचार किया। गुजरात चुनाव का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि मोदी और अमित शाह ने चुनाव में कोई भी कसर नहीं छोड़ी। बीजेपी का एक बार फिर गुजरात में सत्ता में काबिज होना साबित करता है कि लोगों को अभी भी मोदी पर विश्वास है और मोदी की लोकप्रियता कम नहीं हुई है।
70 साल बनाम 3 साल
गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी और मोदी ने एक दूसरे पर जमकर हमला बोला। जहां मोदी ने चुनाव में कांग्रेस के 70 सालों के राज को मुद्दा बनाया तो वहीं राहुल गांधी ने मोदी सरकार के तीन सालों के शासन और गुजरात में 22 साल की सत्ता में हुए विकास को लेकर एक दूसरे पर खूब बरसे। जहां कांग्रेस ने विकास को पागल तक कह दिया। कांग्रेस ने GST गब्बर सिंह टैक्स कहा साथ ही नोटबंदी को फेल बताया। जैसे जैसे चुनाव अपने चरम पर पहुंचा, पार्टियों के नेताओं ने अपना आपा तक खो दिया। कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी के लिए "नीच" शब्द का प्रयोग किया तो मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं में इसका खूब प्रचार प्रसार किया।
Created On :   18 Dec 2017 2:17 PM IST