विपक्ष से तकरार, फैसलों पर रार, 8 नवंबर को पेश होगी 'सरकार'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 8 नवंबर यानी बुधवार को नोटबंदी का एक साल पूरा होने जा रहा है। इस मौके को बीजेपी सरकार "Anti Black money day" के तौर पर मनाने जा रही है। मोदी सरकार के सभी दिग्गज मंत्री और केंद्रीय मंत्री इस दिन जगह-जगह जाकर प्रेस कॉन्फेंस के जरिए नोटबंदी के फायदे और 2014 के बाद से देश में बीजेपी सरकार ने भ्रष्टाचार और काले धन को लेकर जो ठोस कदम उठाए हैं उनकी जानकारी देंगे। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि गुजरात की जनता के सामने एक बार फिर बीजेपी सरकार अपनी पीठ थपथपाने की पूरी तैयारी में हैं। जिस वजह से पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और रेल मंत्री पीयूष गोयल 8 नवंबर को गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद रह सकते हैं।
पीएम के अलावा ये मंत्री संभालेंगे मोर्चा
आपको बता दें कि पीएम मोदी नोटबंदी की सालगिरह के मौके पर बयान जारी करेंगे। रेल मंत्री पीयूष गोयल अहमदाबाद में मीडिया को संबोधित करेंगे। वहीं अरुण जेटली मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं जिसमे वो सरकार की तरफ से ब्लैक मनी को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताएंगे। साथ ही सूत्रों के अनुसार 8 नवंबर को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण चेन्नई में पत्रकारों को संबोधित करेंगी। इसी तरह परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मुंबई में, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बेंगलुरु में मीडिया से बात करेंगे।
कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद मंगलवार को भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे और जानकारी देंगे कि किस तरह से सरकार ने पहली बैठक में काले धन के खिलाफ एसआईटी बनाने का फैसला किया और किस तरह से नोटबंदी से नक्सल फंडिंग, फर्जी करेंसी आदि पर लगाम लगी है।
भ्रष्टाचार और कालेधन की लड़ाई जारी रहेगी
नोटबंदी को लेकर विपक्ष ने सरकार की भरसक आलोचना की हो लेकिन पीएम मोदी ने सभी बातों को अनसुना करते हुए 8 नवंबर के दिन को "ऐंटी ब्लैक मनी डे" के रूप में मनाने का फैसला लिया है और वही विपक्ष ने इस दिन देश में "विरोध दिवस" बनाने का फैसला किया है। सूत्रों की अगर मानें तो सरकार की जंग अभी खत्म नहीं हुई है बल्कि यह तो शुरुआत है। दरअसल नोटबंदी के 1 साल बाद सरकार करप्शन के खिलाफ जंग को जारी रखने का मजबूत संकेत देना चाहती है इसलिए अगर संपत्ति पर कानूनी अधिकार साबित नहीं हुआ तो संपत्ति पर फिर सरकार का हक होगा। सरकार को उम्मीद है कि बेनामी संपत्ति के खिलाफ प्रस्तावित अभियान में कई बड़े नेताओं पर गाज भी गिर सकती है।
बीजेपी सरकार नोटबंदी के फैसले के एजेंडे को 2019 के लोकसभा चुनाव तक गर्म रखना चाहती है और करप्शन के मुद्दे पर उसने चुनाव लड़ने की रणनीति भी तय कर ली है। सरकार का मानना है कि नोटबंदी के 1 साल बाद जब हालात ठीक हो चुके हैं तो करप्शन जैसा दूसरा अभियान शुरू होने से गरीबों के बीच एक सकारात्मक संदेश जाएगा कि काला धन रखने वाले अमीरों के खिलाफ सरकार के तेवर सख्त हैं। इसके अलावा करप्शन को रोकने के लिए बने लोकपाल बिल को लेकर भी पीएम मोदी ठोस कदम उठा सकते हैं
Created On :   7 Nov 2017 9:03 AM IST