तीन तलाक के खिलाफ अध्यादेश को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी, सरकार को 6 महीने में पास कराना होगा बिल
- अब 6 महीने में पास कराना होगा बिल।
- मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक पर अध्यादेश को मंजूरी दी।
- लोकसभा से पारित होने के बाद दो सत्र से राज्यसभा में अटका था बिल।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र की मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक से संबंधित अध्यादेश को पारित कर दिया है। सरकार ने तीन तलाक बिल के संसद में अटकने की वजह से इसे लागू कराने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाया है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में केंद्र सरकार ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी। कैबिनेट की मंजूरी के तुरंत बाद बुधवार रात को राष्ट्रपति ने भी इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए। यह अध्यादेश अब अगले 6 महीने तक लागू रहेगा। तब तक सरकार को इस बिल को पास कराना होगा। सरकार ने इस मामले में विपक्ष से साथ देने की अपील की है। दूसरी ओर सरकार के इस फैसले को लेकर कांंग्रेस की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
Cabinet has today approved an ordinance on Triple Talaq: Law Minister Ravi Shankar Prasad pic.twitter.com/x55lGeihBW
— ANI (@ANI) September 19, 2018
तीन तलाक से सबसे अधिक मामले यूपी से
कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया, हमारे सामने तीन तलाक के करीब 430 मामले आए हैं, जिनमें से 229 सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले और 201 सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद के हैं। तीन तलाक के मामलों के पुख्ता सबूत भी हैं। इनमें 120 मामले उत्तर प्रदेश से हैं।
वोटबैंक की राजनीति कर रही कांग्रेस- रविशंकर प्रसाद
इस मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, हमने इस बिल बार-बार पास करवाने की कोशिश की। कई बार कांग्रेस को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वोटबैंक के चक्कर में कांग्रेस ने इसे पास नहीं करने दिया। इस मुद्दे पर भी कांग्रेस वोटबैंक की राजनीति कर रही है। रविशंकर प्रसाद ने सोनिया गांधी, ममता बनर्जी और मायावती को इस मामले पर सरकार का साथ देने की अपील भी की है।
राज्यसभा में अटका था बिल
लोकसभा से पारित होने के बाद भी यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। दरअसल तीन तलाक को लेकर मोदी सरकार पहले से ही काफी आक्रामक रही है, इसके लिए सरकार की तरफ से बिल भी पेश किया गया था। हालांकि, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के विरोध के बाद इस बिल में संशोधन किया गया था। संसद में कांग्रेस ने इस बिल के कुछ प्रावधानों में बदलाव करने की बात कही थी। मगर संशोधन के बाद भी यह बिल राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था।
कांग्रेस पर तीन तलाक बिल को अटकाने का आरोप
हालांकि, लोकसभा में यह बिल पास हो चुका है। तीन तलाक बिल बजट सत्र और मॉनसून सत्र में पेश किया गया था, लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था। बीजेपी की तरफ से लगातार कांग्रेस पर तीन तलाक बिल को अटकाने का आरोप लगाया जाता रहा है। इसको लेकर पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी कांग्रेस पर निशाना साध चुके हैं।
संशोधित तीन तलाक बिल के अनुसार-
गौरतलब है कि नए बिल में तीन तलाक के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है, लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को जमानत देने का अधिकार होगा। संशोधित तीन तलाक बिल के अनुसार ट्रायल से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। पीड़िता, परिजन और खून के रिश्तेदार ही FIR दर्ज करा सकते हैं। एक बार में तीन तलाक बिल की पीड़ित महिला को मुआवजे का अधिकार होगा। वहीं मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार भी होगा।
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Created On :   19 Sept 2018 12:15 PM IST